Wednesday, August 29, 2012

माँ बाप की सेवा नहीं की तो नहीं मिलेगा मेवा

 उत्तर प्रदेश सरकार ने  माता-पिता और कानूनी अभिभावकों के भरण-पोषण, भत्तों के लिए आवदेन की व्यवस्था एवं विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल गठित  करने का फैसला किया है .अगर कायदे से इस फैसले पर अमल होता है तो लाखो बेसहारा और बुजुर्ग को राहत महसूस होगी .यूपी सरकार द्वारा माता-पिता के भरण-पोषण के लिए बनाए जाने वाले कानून के तहत संतानों से पीड़ित व उपेक्षित माता-पिता अगर चाहें तो उन्हें दी गई संपत्ति हस्तान्तरण को शून्य घोषित करवा सकते हैं। अधिनियम के तहत बुजुर्ग माता-पिता और कानूनी अभिभावकों के वारिस को उनके भरण-पोषण का खर्च उठाना होगा और सरंक्षण देना होगा। सही भरण-पोषण न करने पर अधिनियम के तहत बनने वाले ट्रिब्यूनल माता-पिता या कानूनी अभिभावक को दस हजार रुपये तक का भत्ता दिलवा सकेंगे।  ये उसके बाद भी संभ व है, जब मां-बाप ने अपनी संपत्ति अपनी संतान के नाम कर दी हो। नए फैसले के अनुसार  ट्रिब्यूनल ही पहले इस तरह की शिकायतों की जांच व भरण-पोषण के भत्ते में परिवर्तन करेगा। अब ऐसे संताने सावधान हो जाये जो माँ बाप की सम्पति अपने नाम करवा उन्हें घर से बहार निकाल देते हैं .  सावधान हो जाओ, अपने मां-बाप को परेशान किया तो उनकी जायदाद से बेदखल हो सकते हो। ये उसके बाद भी संभ व है, जब मां-बाप ने अपनी संपत्ति अपनी संतान के नाम कर दी हो। यूपी सरकार द्वारा माता-पिता के भरण-पोषण के लिए बनाए जाने वाले कानून के तहत संतानों से पीड़ित व उपेक्षित माता-पिता अगर चाहें तो उन्हें दी गई संपत्ति हस्तान्तरण को शून्य घोषित करवा सकते हैं। अधिनियम के तहत बुजुर्ग माता-पिता और कानूनी अभिभावकों के वारिस को उनके भरण-पोषण का खर्च उठाना होगा और सरंक्षण देना होगा। सही भरण-पोषण न करने पर अधिनियम के तहत बनने वाले ट्रिब्यूनल माता-पिता या कानूनी अभिभावक को दस हजार रुपये तक का भत्ता दिलवा सकेंगे। 

 

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