Thursday, November 22, 2012

ग्रामीण साप्ताहिक बाजारों का अपना एक महत्त्व है।

सिकुड़ते गाँव और बढ़ते शहरीकरण के बावजूद इस समय भी  देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या गावों में बसती  है आज भी हमारे गाँव हमारी संस्कृति हमारी परम्परा और जीवत जीवन की बचाए  हुये हैं  गावों का रहन - सहन , संस्कृति आज भी हमें आकर्षित करती हैं . ग्रामीण  जीवन का सबसे बड़ा आकर्षण गावं के मेला और बाजार हैं जो आज भी देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं . गावं का मेला या  ग्रामीण साप्ताहिक बाजारों का अपना एक महत्त्व है। देश के एक अरब उपभोक्ताओं में से दो - तिहाई इन्हीं बाजारों से अपनी दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदते हैं। देश के आन्तरिक व्यापार का बडा हिस्सा इन्हीं बाजारों में होता है। सकल राष्ट्रीय आय में आधी हिस्सेदारी ग्रामीण है। सरकारी आंकडों के अनुसार वर्ष 2008-09 में देश के ग्रामीण बाजारों से लगभग 20 हजार अरब रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। इस राजस्व में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण विकास के लिए सरकारी बजट में वृद्धि होना बताया जाता है। भारत में ग्रामीण बाजार दो तरह के हैं। एक वे हैं जहां पर स्थायी दूकानें बनी होती हैं, तथा पूरे दिन व्यावसायिक गतिविधियां चलती रहती हैं। दूसरे वे हैं जहां सप्ताह में एक या दो दिन अस्थायी दूकाने लगती हैं। इन बाजारों को हाट भी कहा जाता है। इनमें दुकानदार के रूप में कृषक, शिल्पकार, लघुउद्यमी और स्थानीय गावों के दुकानदार होते हैं। यहां पर दैनिक उपयोग की वस्तुओं, कृषि उपकरणों, अनाज, कृषि-उत्पादनों की बिक्री व खरीदारी की जाती है। खरीदार भी आसपास के ग्रामीण ही होते हैं। सरल शब्दों में कहा जाये तो ग्रामीण साप्ताहिक बाजार एक तरह से खुदरा बाजार हैं। जिनमें स्थानीय उत्पादों की, स्थानीय दुकानदारों द्वारा बिक्री और स्थानीय उपभोक्ताओंद्वारा खरीदारी की जाती है।
ये साप्ताहिक बाजार सदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ बने हुए हैं।भारत के ग्रामीण बाजारों में दैनिक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं की बिक्री 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ रही है। इसलिए छोटी-बडी कम्पनियां उन तक पहुंचने के लिए नये-नये उपाय कर रही हैं। साबुन, दंतमंजन, तेल, सैम्पू, सौन्दर्य प्रसाधन बनानेवाली कम्पनियों के साथ ही टी.वी., रेफ्रिजरेटर, मोबाइल फोन बनाने वाली और बिस्कुट, चाकलेट, पेय पदार्थ, चिप्स इत्यादि खाद्य पदार्थ बनानेवाली कम्पनियाँ ग्रामीण बाजारों में अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। इस समय देश में रोजमर्रा की वस्तुओं की कुल खपत का 40 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण भागों में हो रही है। अनुमान है कि आगामी 3-4 वर्षों में यह खपत बढकर 55 से 60 प्रतिशत हो जायेगी। धन की उपलब्धता के चलते अब सस्ती ही नहीं, बल्कि महंगी वस्तुओं की खपत भी बढने लगी है। जो वस्तुएं शहरी दूकानों में मिलती हैं, उनमें से अधिकांश ग्रामीण बाजारों की स्थायी दूकानों में भी उपलब्ध होने लगी हैं।भारत में ग्रामीण बाजार आज भी स्थानीय दूकानों और खरीदारों पर निर्भर है। स्थानीय पूंजी द्वारा ही इनका ढांचा खडा किया जाता है। इनके विकास में शहरी और बाहरी पूंजी का नितांत अभाव है। बैंक और अन्य वित्तीय व्यवस्थायें भी अधिक रुचि नहीं ले रही हैं। ग्रामीण बैंक पूंजी के अभाव में अधिक कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं। रिजर्व बैंक की एक रपट के अनुसार ग्रामीण भाग के 40 प्रतिशत लोगों तक कोई भी औपचारिक वित्तीय सेवा नहीं पहुंच पायी है। ग्रामीण बैंको का अपर्याप्त पूंजी बाजार तथा कर्मचारियों की प्रोन्नति के अवसरों में कमी इन बैंकों को अप्रभावी बना दिया है। फलत: ऋण वसूली भी बेहतर ढंग से नहीं हो पा रही है। ग्रामीण खरीदारों को किसी भी संस्था द्वारा कर्ज उपलब्ध नहीं कराया जाता। आज भी ग्रामीण जनता बहुत सोच समझकर खर्च करती है। उनकी इस आदत में बदलाव लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। यदि बडि कम्पनियां अपने उत्पादों को ग्रामीण भागों में खपाना चाहती हैं तो वहां के उपभोक्ताओंको धन सहज सुलभ हो, इसके लिए उपाय करने होंगे।

भारत का ग्रामीण उपभोक्ता अपने भविष्य के प्रति सचेत रहता है। इसलिए अपनी बचत के पैसे से वह जमीन जायदाद या फिर सोना खरीदता है। उपभोग की वस्तुओं के प्रति वह बहुत सावधान रहता है। बडी कम्पनियां उन्हेें कम गुणवत्तावाली वस्तुओं को बेचकर अधिक दिनों तक बाजार में टिकी नहीं रह सकतीं। इसलिए उन्हें अपनी बिक्री बढाने के लिए गुणवत्ता बढाने के साथ-साथ विपणन और वितरण (मार्केटिंग एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन) के तरीके बदलने की जरूरत है। तेजी से बढते ग्रामीण बाजारों की सुरक्षा के लिए सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए। ग्रामीण उपभोक्ताओं का शोषण न हो सके और उन्हें अच्छी उपयोगी वस्तुएं सही मूल्य पर मिल सकें इसके लिए कानून बनाने होंगे। वस्तुओं के मूल्य और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए "ग्रामीण बाजार नियामक आयोग" जैसी किसी संस्था का गठन करना होगा। इन बाजारों में स्थानीय उत्पाद, कुटीर उद्योगों की वस्तुएं, स्थानीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित वस्तुएं, कृषि उत्पन्न इत्यादि मिलते रहें और बडी कम्पनियों द्वारा उन्हें नुकसान न पहुंचाया जाये इसके लिए भी कदम उठाने होंगे।
ग्रामीण बाजार देश की अर्थव्यवस्था का भविष्य हैं। उन्हें प्रोत्साहित करने, उन्हें संरक्षण प्रदान करने, उनकी गति बनाये रखने और उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित करने के लिए उचित उपाय करने होंगे। यदि ऐसा न हुआ तो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का बढता संजाल शहरों की तरह ग्रामीण
           

भारत के बाजारों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की घुसपैठ के कारण साप्ताहिक ग्रामीण बाजारों का स्वरूप भी प्रभावित हुआ है। स्थायी दूकानों में परम्परागत उपभोग की वस्तुओं की जगह देशी-विदेशी कम्पनियों के उत्पाद सजे मिलते हैं। आवश्यक आवश्यकता की वस्तुओं की जगह सुखकर आवश्यकता की वस्तुओं ने ले ली है। इन वस्तुओं की सहज उपलब्धता से ग्रामीणों में मांग भी बढने लगी है। सरकार की ग्रामीण विकास की योजनाओं - भारत निर्माण योजना, राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना के बजट में भारी वृद्धि किये जाने से ग्रामीण मजदूरों को प्रत्यक्ष पूंजी मिलने लगी है। इसके अलावा किसान कर्ज माफी योजना तथा किसान कर्ज राहत योजना में दिया गया धन भी ग्रामीणों के पास पहुंच रहा है। ग्रामीण सडकों के निर्माण, ग्रामीण आवास व शौचालय के लिए आबंटित सरकारी धन से ग्रामीण बाजार को गति मिल रही है। सरकार ग्रामीण भागों में उपभोक्ता की वस्तुओं की मांग बढाने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी अपने उत्पादों के साथ मध्यमवर्गीय ग्रामीणों तक पहुंचने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। परिणामस्वरूप देश के गावों में मध्यवर्ग का दायरा बढ रहा है। गावों में मध्यवर्ग से उच्चवर्ग के घरों की संख्या कुल आबादी का 17 प्रतिशत हो गया है। भौतिक तथा सामाजिक आधारभूत ढांचे में आये सुधार, बैंकों के बढते संजाल, परिवहन के साधन तथा संचार व्यवस्था में विस्तार से ग्रामीण बाजारों को लाभ पहुंचा है। वहां रोजगार के प्रत्यक्ष अवसर में वृद्धि हुई है। मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण बाजार से कम्पनियों को राहत मिली है। मार्केटिंग कम्पनियों के लिए शहरी उपभोक्ताओं तक पहुंचना, उन्हें रिझाना तथा उनकी पसंद का अनुमान लगाना आसान होता है, किन्तु बने-बनाये सिद्धान्त के आधार पर भारत के ग्रामीण बाजारों के प्रति कोई राय कायम करना मुस्किल काम है। ग्रामीण बाजार काफी विस्तृत भाग में छोटे छोटे टुकडों में बंटे हुए होते हैं। इसलिए ग्रामीणों तक उत्पादों की जानकारी पहुंचाना बहुत कठिन होता है। अखबार, पत्रिका, टी.वी. और रेडियो जैसे पारम्परिक संचार माध्यमों द्वारा भी केवल 50 प्रतिशत ग्रामीणों तक ही सम्पर्क हो पाता है। इन विशेषताओं के कारण बडी कम्पनियाों द्वारा ग्रामीणों की आदतों, पसन्द-नापसंद, उनकी जीवनशैली, रहन - सहन का सूक्ष्म अध्ययन कराया जा रहा है। प्रचार के लिए विज्ञापनों और बडे-बडे होर्डिंग्स के बजाय मुंहजबानी प्रचार पद्धति का सहारा लिया जा रहा है। ग्रामीण बाजारों में पुराने जमाने की तरह गवैयों और विदूषकों द्वारा प्रचार पर भी विचार-विमर्श चल रहा है। इस कार्य में बडी कम्पनियों की मदद गावों में स्थित गैर सरकारी संगठन भी कर रहे हैं। अपने उत्पादों को चर्चित और लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां भी बडी कम्पनियों द्वारा दी जा रही हैं।
            
           

संसद कलतक के लिए स्थगित

जैसा कि  उम्मीद थी संसद की शुरुआत हंगामे से होगी और संसद कलतक  के लिए स्थगित कर दी गयी  विपक्ष के जोरदार हंगामे के साथ संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई. वहीं लोकसभा की कार्यवाही 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है.राज्यसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इस बीच सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि हमारी नीति साफ है कि संसद चलनी चाहिए बीएसपी ने एससी-एसटी आरक्षण विधेयक को लेकर हंगामा शुरू किया तो टीएमसी और बीजेपी ने एफडीआई को लेकर. संसद की कार्यवाही शुरू होते ही तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. साथ ही लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने लोकसभा में स्पीकर को एफडीआई पर चर्चा और वोटिंग के लिए नोटिस दिया. संसद का सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एफडीआई के मुद्दे पर सभी पार्टियों से सरकार का साथ देने की अपील की. उन्होंने कहा कि देश को निवेश की जरूरत है. सरकार हरेक मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है.' इसके जवाब में बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा कि पीएम के इस बयान का कोई मतलब नहीं है.

Saturday, November 17, 2012

पॉन्टी चड्ढा , भाई हरदीप चड्ढा की मौत

उद्योगपति पॉन्टी चड्ढा के राजधानी दिल्‍ली स्थित छतरपुर फार्म हाउस में गोलीबारी की खबर है.  खबर के अनुसार फार्म हाउस में हुए झगडे के दौरान गोली चली हैं. इस घटना में पॉन्टी चड्ढा के भाई हरदीप चड्ढा की मौत हो गई है. यह फार्म हाउस करीब 13 एकड़ में फैला हुआ है. सूचना मिलने पर दिल्‍ली पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंच गई है और जांच में जुट गई है. पॉन्टी चड्ढा के यूपी की राजनीति में खासी धमक रखते हैं. वो ना सिर्फ शराब के बड़े कारोबारी हैं, बल्कि रियल इस्टेट में भी उनका दबदबा है और कई मॉल्स और मल्टीप्लेक्स के वे मालिक हैं. फिल्मों में भी पॉन्टी ने पैसा लगाया है.इससे पहले 5 अक्टूबर को भी पॉन्टी चड्ढा के मुरादाबाद स्थित पुश्तैनी बंगले पर फायरिंग हुई थी लेकिन उस समय इस मामले को दबा दिया गया था. उस दिन पांच फायर हुए थे और पुलिस ने ये कहकर मामला रफा-दफा कर दिया था कि पॉन्टी के भतीजे ने नई रिवाल्वर खरीदी थी जिससे टेस्टिंग करते समय फायर हो गए.बताया जा रहा है जिस दिन मुरादाबाद के बंगले में फायरिंग हुई थी उससे दो दिन पहले ही इन भाइयों में बंटवारा हुआ था लेकिन न तो पॉन्टी और न ही उसके भाई मीडिया को कुछ बताने को तैयार थे.

Thursday, November 8, 2012

संघ के समर्थन से नितिन गडकरी की कुर्सी बची


संघ के समर्थन से बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी की कुर्सी तो बच गई, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिए जाने को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता एकमत नहीं हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों पर पार्टी की क्लीनचिट मिलने के अगले दिन यानी बुधवार को भी बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने वरिष्ठ नेताओं से अपनी मुलाकात का सिलसिला जारी रखा। गडकरी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के अलावा पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की। माना जा रहा है कि मौजूदा कार्यकाल के लिए पार्टी से अभयदान मिलने के बाद गडकरी अब दूसरे कार्यकाल के लिए वरिष्ठ नेताओं को मना रहे हैं। लेकिन गडकरी को दूसरा गडकरी को दूसरे कार्यकाल को लेकर सुषमा का विरोध खत्म हो गया है। सुषमा को लगता है कि ऐसा करने से संघ उन्हें भविष्य की राजनीति में मदद करेगा। राजनाथ सिंह भी गडकरी के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं। संघ ने ही राजनाथ को पार्टी अध्यक्ष बनवाया था। संघ से बीजेपी में आए संगठन महासचिव रामलाल भी गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिलाने के लिए पेशबंदी कर रहे हैं।कार्यकाल दिए जाने पर पार्टी नेताओं की राय बंटी हुई हैं। पार्टी की ओर से इस पर खुलकर कुछ भी नही कहा जा रहा है।बीजेपी महासचिव जे पी नड्डा के मुताबिक दूसरे कार्यकाल पर पार्टी नेता सही समय पर उचित निर्णय लेगें। संघ के दबाव में पार्टी ने गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिलाने के मकसद से ही अपने संविधान में संशोधन किया था। सूत्रों के मुताबिक संघ पूरी तरह चाहता है कि गडकरी को दूसरा कार्यकाल मिले। संघ पृष्ठभूमि के नेता गडकरी के समर्थन में लामबंदी कर रहें हैं। इसका असर भी दिखने लगा है।
लेकिन गडकरी के दूसरे कार्यकाल का विरोध करने वालों की फैहरिस्त भी लंबी है। आडवाणी गडकरी को दूसरा कार्यकाल देने के खिलाफ अपनी राय संघ को बता चुके हैं। आडवाणी का तर्क है कि गडकरी को साथ लेकर चलने से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी और 2014 में खामियाजा उठाना पड़ेगा। अरुण जेटली ने संघ के दबाव में फिलहाल समर्थन का ऐलान किया है लेकिन वो दूसरे कार्यकाल के विरोध में हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल चुप हैं लेकिन वो भी गडकरी से ज्यादा खुश नहीं बताए जाते। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मोदी गुजरात में प्रचार करने से गडकरी को रोक भी सकते हैं।
यही नहीं, यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह जैसे नेता भी गडकरी के खिलाफ खड़े हैं। रामजेठमलानी भले ही हाशिए पर हैं, लेकिन गडकरी के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्होने विरोधियों की भावना को ही आवाज दी है। रामजेठमलानी के मुताबिक जो भी फैसला बीजेपी नें किया है उससे उनकी करप्शन के खिलाफ लडाई कमजोर ही होगी। अब संघ को ये तय करना है कि ग़डकरी विरोधियों की बात मानें और अपनी पसंद के किसी दूसरे नेता को कमान दे या तमाम विरोधों के बावजूद अपनी ताकत का इस्तेमाल गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिलाए।

Tuesday, November 6, 2012

स्वामी की याचिका चुनाव आयोग ने खारिज की


 कांग्रेस पार्टी की मान्यता खत्म करने की जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। स्वामी ने दावा किया था कि हेराल्ड ट्रिब्यून को कांग्रेस ने ब्याज रहित 90 करोड़ का लोन दिया था इसलिए कांग्रेस की मान्यता खत्म की जानी चाहिए। चुनाव आयोग ने स्वामी की ये याचिका खारिज कर दी।उन्होंने कहा कि मुझे पहले से ही इस बात का अंदेशा था लेकिन प्रक्रिया यही है कि पहले आयोग का दरवाजा खटखटाया जाए उसके बाद कोर्ट का रुख किया जाए इसीलिए मैंने पहले आयोग के समक्ष याचिका दी थी।
आयोग के फैसले पर सुब्रमण्यम स्वामी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। स्वामी ने कहा कि चुनाव आयोग बहुत ही लचीली संस्था है। उसे कांग्रेस ने हमेशा अनदेखा किया है। मैं अब कोर्ट जाऊंगा। स्वामी ने कहा कि उनकी याचिका खारिज करने से पहले आयोग को कम से कम सुनवाई तो करनी चाहिए थी लेकिन उसने वो भी नहीं किया।

नितिन गडकरी के इस्तीफे पर बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक

नितिन गडकरी के इस्तीफे को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आज शाम बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक हो रही है। बैठक में पार्टी गडकरी के साथ खड़े होने की बात करेगी। उधर, सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा है कि गडकरी का साथ न देने की खबर गलत है। मैं हमेशा गडकरी के साथ हूं।इससे पहले नितिन गडकरी पर पार्टी के अंदर से ही हमले तेज हो गए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजेठमलानी ने गडकरी पर तीखा हमला बोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर दी।
राम जेठमलानी ने कहा कि गडकरी पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के चलते पहले ही पार्टी को काफी नुकसान हो चुका है। उनका यह भी दावा है कि पार्टी में कई और नेता गडकरी के इस्तीफे के पक्ष में हैं। उन्होंने यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह का नाम लेते हुए कहा कि वह भी गडकरी के इस्तीफे की मांग पर सहमत हैं। इसे लेकर जेठमलानी ने तीनों के नाम पर एलके आडवाणी को एक चिट्ठी भी लिखी है।गडकरी को अध्यक्ष पद से हटाने की इस मुहिम के बीच अध्यक्ष पद के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम भी कुछ लोग उछाल रहे हैं, लेकिन गुजरात बीजेपी के सूत्रों से जानकारी मिली है कि मोदी कम से कम गुजरात चुनावों तक अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हैं।सूत्रों का कहना है कि मोदी दिल्ली में पार्टी के भीतर जारी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। साथ ही मोदी नहीं चाहेंगे कि यशवंत सिन्हा या जसवंत सिंह जैसे नेता अध्यक्ष की कुर्सी संभालें। 
सूत्रों के मुताबिक, वह अरुण जेटली जैसे भरोसेमंद साथी ही इस पद के लिए चाहेंगे।दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने विवेकानंद और दाऊद इब्राहिम के आईक्यू पर दिए अपने बयान पर खेद जताया है। गडकरी ने एक बयान जारी कर कहा है कि स्वामी विवेकानंद हमेशा से बीजेपी के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। मेरे दिल में भी उनके लिए इज्जत रही है।गडकरी ने कहा कि मैंने कहा था कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी पूरी जिंदगी मानवता के कल्याण में लगा दी। मुझे इस बात से दुख पहुंचा है कि मेरे बयान को गलत तरीके से समझा गया। मैं यह दोहराना चाहता हूं कि मैंने स्वामी विवेकानंद की तुलना किसी से नहीं की। फिर भी किसी को मेरे बयान से दुख पहुंचा है तो इसके लिए मैं खेद जताता हूं।
बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर पद छोड़ने के बढ़ते दबाव के बीच पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज उनके समर्थन में उतर आयी हैं। सुषमा ने मंगलवार को सोशल मीडिया साइट टिवटर पर लिखा है कि मीडिया में आ रही यह खबर पूरी तरह गलत है कि वह गडकरी का समर्थन नहीं कर रही है। स्वराज ने अपने ट्वीट में कहा कि मैंने हमेशा उनका समर्थन किया है और मैं अपना समर्थन दोहरा रही हूं। भाजपा के चार बड़े नेताओं ने खुलकर गडकरी को अध्यक्ष पद से हटाने की हिमायत की है.इसके बाद ये सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या नितिन गडकरी को दरवाज़ा दिखा दिया जाएगा?
जेठमलानी ने विवेकानंद और दाउद इब्राहिम के आईक्यू की तुलना के गडकरी के बयान की भी खिंचाई करते हुए इसे मूखर्ता से भरा बयान बताया। सोमवार को ही राम जेठमलानी के बेटे महेश जेठमलानी ने गडकरी के विरोध में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था।  मंगलवार को ही बीजेपी के कई नेताओं की आपस में मुलाकात हुई। गडकरी ने भी सुषमा स्‍वराज और अरुण जेटली से मुलाकात की। दूसरी तरफ आरएसएस के विचारक एस. गुरुमूर्ति ने लालकृष्‍ण आडवाणी से मुलाकात की। इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी कोर ग्रुप की मंगलवार को सात बजे शाम बैठक होने की संभावना है। 



अब भा जा पा के नेता राम रावण और कृष्ण और कंस कि तुलना कर रहे हैं

अब भा जा पा के नेता राम रावण और कृष्ण और कंस कि तुलना करके नितिन गडकरी को बचाने  में लग गए हैं कैलाश विजय वर्गाजिया का कहना है कि गडकरी ने कुछ औसा बयान दिया था  कि अगर स्वामी विवेकानंद जी और दाऊद इब्राहिम का scientific भाषा में बोलूं तो IQ समान था परन्तु एक व्यक्ति ने गुनहगारी के क्षेत्र में अपनी पूरी बुद्धिमत्ता को use किया, वो वहाँ के शहंशाह बने और दूसरे व्यक्ति ने समाज के लिए, देश के लिए Philosophically अपने जीवन को दिया तो वे विवेकानंद बने!”

 कैलाश विजय वर्गाजिया का कहना उपरोक्त कथन में कुछ शब्दों पर ज़ोर दिया जा रहा है और बाकि को अनदेखा किया जा रहा है. मैं यह मानता ह

ूँ कि किसी भी बात का अर्थ सिर्फ शब्दों में नहीं पूरे वाक्य में होता है और अगर कोई भी व्यक्ति इस पूरे कथन को पढ़ेगा तो नितिन जी गडकरी से सहमत ही होगा. भगवान ने हर व्यक्ति को समान IQ दिया है और इस बात में कोई संदेह नहीं, बस इंसान पर निर्भर करता है कि वो उसे किस दिशा में उपयोग में लेकर आगे बढ़ता है. इसही बात को नितिन जी ने समझाने के लिए स्वामी विवेकानंद जी और दाऊद इब्राहिम का उदाहरण लिया जिसे नकारात्मक सोचने वाले लोगों ने गलत अर्थ निकालकर विवादास्पद मुद्दा बना दिया. ‘अर्थ का अनर्थ निकालना’ जैसी कहावत शायद ऐसी ही घटनाओं के परिणाम स्वरूप बनी होगी!

Monday, November 5, 2012

स्वामी विवेकानंद और माफ़िया डॉन दाऊद इब्राहिम का आईक्यू एक जैसा

महिलाओं की पत्रिका ओजस्विनी के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल पहुंचे गडकरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद और माफ़िया डॉन दाऊद इब्राहिम का आईक्यू एक जैसा था.गडकरी ने आगे कहा, ''ज़िंदगी में उनकी दिशा एक को स्वामी बना गई तो दूसरे को अंडरवर्ल्ड डॉन. एक ने इसका इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए किया तो दूसरे ने आतंक फैलान के लिए किया.''उनके इस बयान की चारों तरफ़ आलोचना हो रही है. भाजपा ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है और कहा है कि गडकरी ख़ुद इस पूरे मसले पर स्पष्टीकरण देंगे.अपने स्पष्टीकरण में गडकरी ने कहा कि उन्होंने दोनों की तुलना नहीं की थी और मीडिया ने उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश किया है.गडकरी के अनुसार उन्होंने कहा था कि जो लोग अपने आईक्यू का बेहतर इस्तेमाल करते हैं वे विवेकानंद जैसे हैं और जो अपने आईक्यू का इस्तेमाल सही काम के लिए नहीं करते हैं वे दाऊद इब्राहिम जैसे हैं.हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि दोनों का आईक्यू एक जैसे ज़रूर थे, लेकिन उनकी ज़िंदगी की दिशा अलग थी.

ताज कॉरिडोर मामले में मायावती सभी जनहित याचिकाएं खारिज


 करोड़ों रुपए के ताज कॉरिडोर कथित घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को बड़ी राहत दी , उनके खिलाफ दायर सभी जनहित याचिकाएं खारिज कर दीं। मायावती पर इस मामले में अब कोई मुकदमा नहीं चलेगा। मायावती के वकील एवं बसपा महासिचव सतीश चंद्र मिश्र ने संवाददाताओं को बताया, "उच्च न्यायालय ने ताज कॉरिडोर मामले में दायर उन सभी सात जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मायावती और बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।"उधर, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वह लखनऊ खंडपीठ के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।
मिश्र ने कहा कि हमने अदालत को बताया कि ये याचिकाएं राजनीतिक कारण से मायावती की छवि खराब करने के लिए दायर की गई थीं। न्यायालय ने पाया कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इस आधार पर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी मायावती के खिलाफ कोई गलती नहीं निकाल पाई थी। सीबीआई ने भी रिपोर्ट में कहा था कि अधिकारियों ने गलितयां की थीं।मिश्र के अनुसार, उच्च न्यायालय को बताया गया कि मायावती के सामने ताज कॉरिडोर की फाइल कभी नहीं रखी गई। ताज कॉरिडोर में सिर्फ सड़क बनाने की योजना थी, इमारत बनाने की नहीं।

उन्होंने कहा कि मिशन मैनेजमेंट बोर्ड ने बीजेपी की सरकार में ताज कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उस वक्त प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लिहाजा इस मामले में यदि कोई आरोपी बनता है तो वह उस वक्त के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसमें मायावती के खिलाफ मामला चलाए जाने की पहले से ही कोई संभावना नहीं थी।

गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने मायावती तथा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण अभियोजन की कार्यवाही समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ वर्ष 2009 में छह जनहित याचिकाएं दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी। इन सभी छह याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद आज इस मामले में मायावती को बड़ी राहत दी गई।इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अनी कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार 11 सितंबर को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बहस की थी वहीं, मायावती तथा अन्य पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र अधिवक्ताओं की टीम के साथ पेश हुए।

Saturday, November 3, 2012

कांग्रेस की मान्यता रद्द करवाने के लिए चुनाव आयोग जाएंगे स्वामी

स्वामी ने कहा है कि वह कांग्रेस की मान्यता खत्म करने के लिए चुनाव आयोग में अर्ज़ी देंगे. स्वामी ने इस बात का संकेत शनिवार को एक ट्वीट के ज़रिये दिया. उल्लेखनीय है कि स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने असोसिएटेड जर्नल्स नाम की कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज़ दिया था.सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार 1 नवंबर को कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं उनके पुत्र राहुल गांधी ने कम्पनी बना कर नकली एवं फर्जी सौदे द्वारा 1600 करोड़ रुपये के हेराल्ड हाउस एवं इस समूह से जुड़ी सम्पत्तियों को हथिया लिया. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी 2008 से ही असोसिएटेड जर्नल्स प्राइवेट लिमिटेड के अंशधारक थे लेकिन उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनावों में इस बात का खुलासा नहीं किया."एसोसिएटेड जर्नल्स कंपनी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्थापित की थी और ये 'नेशनल हैरल्ड' और 'क़ौमी आवाज़' अख़बार छापती थी. अंग्रेज़ी भाषा का अखबार नेशनल हैरल्ड अब बंद हो चुका है.लेकिन राहुल गांधी के कार्यालय ने एक वक्तव्य जारी कर स्वामी के आरोपों को बेबुनियाद और अपमानजनक बताया है और उनके खिलाफ अदालत जाने की बात कही है.सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल गांधी ने पार्टी नियमावली के अधीन सेक्शन 25 के तहत यंग इंडियन नामक कंपनी बनाई थी जिसने एसोसिएटेड जर्नल्स को खरीदा.महत्वपूर्ण है कि शुक्रवार 2 नवंबर को कांग्रेस ने भी कंपनी को कर्ज़ देने की बात स्वीकार की. कांग्रेस ने एक बयान जारी करके कहा कि उसने नैशनलहेराल्ड और कौमी आवाज़ के स्वामित्व वाले असोसिएटेड जर्नल्स प्राइवेट लिमिटेड (एपीपीएल) को धन दिया है और यह उसके लिए गर्व की बात है.बयान जारी करते हुए पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, "कांग्रेस ने असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की सहायता के लिए धन दिया था. ऐसा करके हमने अपना कर्तव्य निभाया है. यह हमारे लिए गर्व की बात है." बयान के बाद शनिवार 3 नवंबर को स्वामी ने ट्वीट किया कि उन्होंने पार्टी की मान्यता रद्द करने की अर्जी डालने का फैसला किया है. स्वाम ने लिखा, 'कांग्रेस ने कल (शुक्रवार) कबूल कर लिया है कि उसने कर्ज देने का अपराध किया है. आज मैं ईसीआई में कांग्रेस पार्टी की मान्यता रद्द करने की अर्जी दूंगा.' 

Friday, November 2, 2012

मोदी इसके लिए सुनंदा से माफी मांगें - बरखा सिंह

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने मोदी की आलोचना करते कहा कि मोदी इसके लिए सुनंदा से माफी मांगें। मोदी पर बातों-बातों में एक शेर दाग दिया। उन्होंने कहा- 'नफरतें पालना दुर्भाग्‍य रहा हो जिसका, वो किसी रिश्‍ते की अज़मत कहां पहचानता है। प्‍यार को पैसे में तौलने वाले से कहो, कोई बंदर अदरक का मजा जानता है.. कुछ दिन पहले केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री शशि थरूर की पत्नी को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड कहा था। इसके बाद से बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेता मीडिया से लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इससे जुड़े तरह- तरह के बयान दे रहे हैं। इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह ने भी अपना बयान दिया था।  उन्होंने कहा कि पुरुषों के बीच चल रहे विवाद या राजनीतिक मंशा पूरी करने के लिए किसी महिला के नाम का इस्तेमाल करना गलत है। मोदी जैसे पढ़े-लिखे इंसान को तो ऐसी बातें बिल्कुल शोभा नहीं देतीं। उन्होंने कहा कि अगर मोदी माफी नहीं मांगते हैं तो आयोग गुजरात की महिलाओं से अपील करेगा कि वे मोदी को ऐसा करने के लिए मजबूर करें, क्योंकि यह मामला किसी व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि देश की महिलाओं के सम्मान का है।उन्होंने कहा कि पुरुषों के बीच चल रहे विवाद या राजनीतिक मंशा पूरी करने के लिए किसी महिला के नाम का इस्तेमाल करना गलत है। मोदी जैसे पढ़े-लिखे इंसान को तो ऐसी बातें बिल्कुल शोभा नहीं देतीं। उन्होंने कहा कि अगर मोदी माफी नहीं मांगते हैं तो आयोग गुजरात की महिलाओं से अपील करेगा कि वे मोदी को ऐसा करने के लिए मजबूर करें, क्योंकि यह मामला किसी व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि देश की महिलाओं के सम्मान का है।

टीडीपी नेता येरेन नायडू की सड़क हादसे में मौत

तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री के येरन नायडू का आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में शुक्रवार तड़के हुई एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। हैदराबाद से करीब 700 किलोमीटर दूर उत्तरी तटीय आंध्र के श्रीकाकुलम जिले में रानास्थालम के नजदीक नायडू की कार के एक तेल के टैंकर से टकरा जाने से तड़के दो बजे के आसपास यह दुर्घटना हुई।। तेदेपा के पोलिटब्यूरो सदस्य नायडू विशाखापटनम में एक विवाह समारोह में शामिल होने के बाद श्रीकाकुलम लौट रहे थे, नायडू के साथ कार में मौजूद चार अन्य लोग भी घायल हुए हैं। उनमें से दो को आरआईएमएस अस्पताल में दाखिल कराया गया है। नायडू चार बार सांसद चुने गए हैं। वह 1996 से 1998 तक केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे। उनके घर में उनकी पत्नी, बेटा व बेटी हैं। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को श्रीकाकुलम जिले के उनके निमाडा गांव में होगा।  उन्हें तड़के 3.30 बजे के आसपास मृत घोषित कर दिया गया। तेदेपा के पोलिटब्यूरो सदस्य नायडू विशाखापटनम में एक विवाह समारोह में शामिल होने के बाद श्रीकाकुलम लौट रहे थे कि तभी यह दुर्घटना हुई। गंभीर रूप से घायल नायडू को राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंसेज (आरआईएमएस) में दाखिल कराया गया, जहां डॉक्टर्स उनका जीवन नहीं बचा सके। उन्हें तड़के 3.30 बजे के आसपास मृत घोषित कर दिया गया।

Thursday, November 1, 2012

सलमान खुर्शीद के फर्रुखाबाद में खुला खेल फर्रूखाबादी"

फर्रुखाबाद में खुला खेल फर्रूखाबादी" का जुमला बडा पुराना है, यानी आज अरविंद केजरीवाल की रैली से पहले कांग्रेस ने सीडी जारी कर इंडिया अगेंस्ट करप्शन की धार को कुंद करने का प्रयास किया है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद और इंडिया अंगेस्ट करप्शन के संयोजक लक्ष्मण सिंह के बीच बातचीत की इस ऑडियो सीडी में सिंह और लुईस में सहमति होते बताया गया है। संयोजक लक्ष्मण सिंह की ओर से कहा गया है कि यदि सिटी कांग्रेस चीफ पुन्नी शुक्ला को पद से हटा दिया जाता है तो केजरीवाल की रैली को रद्द कर दिया जाएगा। आईएसी ने सीडी के फर्जी होने का दावा किया है और भ्रष्टाचारियों द्वारा किया गया मनगढ़ंत प्रयास बताया है।  जिला कांग्रेस अध्यक्ष आफताब हुसैन ने रिपोर्ट्स को यह सीडी बांटीलक्षमण सिंह के नाम पर आईएसी ने जनसभा के लिए मैदान बुक कराया है। लुईस डा.जाकिर हुसैन मेमोरिल ट्रस्ट की प्रमोटर हैं। ट्रस्ट पर 17 जिलों में विकलांगों को उपकरण देने में गड़बड़ियों का आरोप है। 
आईएसी ने सीडी को फर्जी करार दिया है। लक्ष्मण सिंह का कहना है कि सभा के बाद मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएसी कार्यकर्ताओं ने इस पर कांग्रेस वर्कर्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किए जाने की बात की।दावा किया जा रहा है इस सीडी में साफ़ तौर से लक्ष्मण सिंह को लुईस खुर्शीद से बात करते हुए सुना जा सकता है। जिस मे लुईस खुर्शीद लक्ष्मण सिंह से पूछती हैं कि वह दोनों एक ही शहर के है फिर विरोध का क्या मतलब है। इस पर लक्ष्मण सिंह कहते है कि वह अपने जिला अध्यक्ष को हटा कर उन्हे नया जिला अध्यक्ष बना दें, तो वह विरोध बंद कर देंगे। यह सीडी लक्ष्मण और लुईस खुर्शीद की फ़ोन पर हुई बात को रिकॉर्ड करके बनाई गई है। आईएसी की स्टेट वर्किंग कमेटी के सदस्य ओमेंद्र भारत ने सीडी को फर्जी बताया और कहा कि अरविंद केजरीवाल की छवि को खराब करने के लिए बनाया गया है।यह सीडी कितनी सही है कितनी गलत अभी इस की जांच बाकी है, लेकिन सभा से ठीक पहले आई इस सीडी ने ख़ासा हंगामा शुरू कर दिया है। हालांकि इस तरह के हंगामे की उम्मीद पहले से ही जताई जा रही थी। आज दिन मे 12 बजे अरविन्द केजरीवाल फर्रुखाबाद मे एक जनसभा को संबोधित करेंगे। लेकिन भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत गुरूवार को आवास विकास मैदान में होने जा रही इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आइएसी) की रैली के मद्देनजर दोनों पक्ष अपनी रणनीति को लेकर बेहद सावधानी बरत रहे हैं। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के चुनौती वाले गढ में आइएसी समर्थक किसी भी तरह अरविंद केजरीवाल की जिद पूरी करने में अपनी ताकत लगाये हैं, जबकि कांग्रेसी भी जवाब में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखने देना चाहते।केजरीवाल का आज खुर्शीद के गढ में हल्लाबोल होगा अर्थात केजरीवाल आज विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के संसदीय क्षेत्र में रैली करने का आह्वान किया हैं। इस रैल में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेता अरविन्द केजरीवाल ने विकलांगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां पहुंचने का आह्वान किया है। वहीं दूसरी ओर सलमान खुर्शीद और उनके समर्थकों ने भी इस रैली को लेकर अपनी कमर कस ली है। 

वहीं, सलमान खुर्शीद के खिलाफ जारी लड़ाई में नया अध्याय जोड़ने के लिए अरविंद केजरीवाल फर्रुखाबाद की रैली के लिए दिल्ली से निकल चुके हैं। फर्रुखाबाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का संसदीय क्षेत्र भी है। केजरीवाल ने सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर उनके एनजीओ में विकलांगों के लिए आए धन से धांधली करने का आरोप लगाया है। अरविंद केजरीवाल की  से ठीक पहले एक सीडी हंगामा मचा दिया है। इसमें इंडिया अंगेस्ट करप्शन के कार्यकर्ता लक्ष्मण सिंह और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद की बातचीत की रिकार्डिंग का कांग्रेसियों ने दावा किया है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को अरविन्द केजरीवाल ने रिलायंस इंडस्ट्री के मुकेश अंबानी पर आरोप लगाने के बाद अब एक बार फिर खुर्शीद को आडे हाथों लिया है। बताया जाता है कि सवाल-जवाब की जंग के बीच यह रैली बेहद अहम मानी जा रही है।