Friday, January 6, 2012



      अन्ना का आन्दोलन मंझधार में : आगे की रणनीति तय नहीं

नई दिल्ली।। अन्ना हजारे के नेतृत्व वाला भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां से आगे का रास्ता मुश्किल दिख रहा है। असमंजस की ऐसी स्थिति बन गई है कि टीम अन्ना अब आम जनता की शरण में आ गई है। टीम अन्ना लोगों से पूछ रही है कि उसे किस राह पर आगे बढ़ना चाहिए। 
गौरतलब है कि टीम अन्ना पर लगातार कांग्रेस विरोधी होने का आरोप लगता रहा है, जबकि बेजीपी समेत सभी पार्टियों में दागी नेता हैं। इन आरोपों के मद्देनजर अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने एक लेख के जरिए जोर देकर कहा है कि टीम अन्ना कांग्रेस के खिलाफ नहीं है और न ही बीजेपी के साथ है। केजरीवाल ने कहा, 'हम कैसे किसी ऐसी पार्टी का समर्थन कर सकते हैं जो बाबूलाल कुशवाहा सरीखे दागी मंत्री को अपनी पार्टी में जगह दे सकती है।'
 
टीम अन्ना की नजर में देश में कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसकी छवि भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई के पैमाने पर दागी न हो। साथ ही संसद में लोकपाल बिल को लेकर हो रही बहस और भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून की राह में रोड़ों से भी टीम अन्ना काफी आहत है। नतीजा यह दिखाई दे रहा है कि टीम की आवाज एक नहीं दिखाई दे रही। संतोष हेगड़े कुछ कह रहे हैं, तो किरन बेदी कुछ और कह रही हैं।
 
इन सबसे ऊपर अन्ना की सेहत का सवाल भी है। दिन-ब-दिन अन्ना की सेहत बिगड़ती जा रही है जिसके चलते आने वाले चुनावों में अन्ना का चुनाव प्रसार करने का कायर्क्रम भी ठप्प हो गया है।
 
पसोपेश के ऐसे माहौल में अगर टीम अन्ना में अगर कोई ऐसी आवाज है जिसे प्राणाणिक माना जा सकता है तो वह है अरविंद केजरीवाल की आवाज। लेकिन, केजरीवाल खुद पसोपेश में हैं। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया में शुक्रवार को लिखे गए लेख में खुद माना कि हम नहीं जानते कि आगे हमें क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का सुझाव है कि हमें अपनी खुद की पार्टी बनानी चाहिए, लेकिन हमारी न ऐसी कोई मंशा है और न ही हम ऐसा करने में सक्षम हैं।
 
लेख में केजरीवाल ने फिक्र जताते हुए लिखा है कि आंदोलन चौराहे पर आ गया है, यहां कोई भी गलत फैसला विनाशकारी साबित हो सकता है।

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