उत्तराखंड-पंजाब में आज वोटिंग
नई दिल्ली: पंजाब एवं उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव के मतदान सुबह आठ बजे से शुरू हो चुका है। दोनों राज्यों में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। निर्वाचन आयोग के अनुसार पंजाब में विधानसभा की 117 सीटों के लिए जहां एक करोड़ 76 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे, वहीं उत्तराखण्ड विधानसभा की 70 सीटों के लिए 63 लाख मतदाता मतदान करेंगे।पंजाब में भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल का राज है तो दूसरी जगह (उत्तराखंड) खुद भाजपा सत्ता में है। पंजाब में 1967 से अब तक किसी भी दल ने लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बनाई। उत्तराखंड में चंद महीने पहले ही मुख्यमंत्री बदले गए हैं। पंजाब में कुल 1,078 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 417 निर्दलीय हैं और 93 महिला उम्मीदवार हैं। पंजाब में जहां अर्धसैनिक बलों की करीब 200 कम्पनियां तैनात की गई हैं तथा सुचारु रूप से मतदान कराने के लिए करीब 71,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। वहीं उत्तराखण्ड में केंद्रीय सुरक्षा बल की 75 कम्पनियां तैनात की गई हैं। इसके अतिरिक्त राज्य पुलिस के सशस्त्र बल की 25 कम्पनियों की भी तैनाती की गई है। कांग्रेस को जहां पंजाब में शिरोमणि अकली दल-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार को हरा देने का भरोसा है, वहीं ये पार्टियां भी सत्ता में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। राज्य में अधिकतर सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होगा, जहां अकाली दल-भाजपा, कांग्रेस और साझा मोर्चा के उम्मीदवार आमने सामने होंगे। उन्हें वामपंथी दलों और मनप्रीत बादल की पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब का भी मुकाबला करना होगा। लाम्बी, पटियाला सिटी, जलालाबाद और सामना सीट पर सभी की नजर है, क्योंकि लाम्बी से स्वयं प्रकाश सिंह बादल, पटियाला सिटी से अमरिंदर सिंह, जलालाबाद से उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल तथा सामना से अमरिंदर के बेटे रणिंदर सिंह मैदान में हैं। कांग्रेस नेता व राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल लहरा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। दो पूर्व अधिकारी डी.एस. गुरु और पी.एस. गिल क्रमश: भादौर और मोगा विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तराखण्ड में रमेश पोखरियाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोबारा काबिज होने वाले भुवन चंद्र खंडूरी कोटद्वार से भाजपा के उम्मीदवार हैं और पार्टी की जमीन बचाने की कोशिश में जुटे हैं। चुनाव राज्यों में हैं, लेकिन इन पर नजर पूरे देश की है। यूपी चुनाव से पहले और अन्ना के आन्दोलन के बाद पहला बड़ा चुनाव है। 6 मार्च को आने वाले इन चुनावों के परिणाम दिल्ली में बनने वाली सरकार की तस्वीर गढ़ेंगे।
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