आज होगी यूआईडी मामले में कैबिनेट की बैठक
नई दिल्ली। देश के प्रत्येक नागरिक को विशिष्ट पहचान पत्र देने वाले आधार कार्ड प्राधिकरण की मियाद बढ़ाई जा सकती है। इस बारे में फैसला लेने के लिए आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमिटी बैठक बुलाई गई है। यूपीए सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, आधार योजना से विवादों का साया क्या हट पाएगा? क्या इसकी मियाद बढ़ाई जाएगी? इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए आज प्रधानमंत्री की अगुवाई में कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई गई है। विवाद की वजह वो चिट्ठी है जो गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी थी। चिठ्ठी में चिदंबरम ने सवाल उठाया था कि बायोमेट्रिक डाटा इकठ्ठा करने का काम आख़िर किसका है? यूआईडी का या भारत के रजिस्ट्रार जनरल का? आधार कार्ड के लिए भी बायोमेट्रिक आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। जिन पर गृहमंत्री ने सवाल उठाया था। गृह मंत्रालय और योजना आयोग के बीच खिंची तलवारों का आलम ये है कि इस मुद्दे पर बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक टालनी पड़ी थी। इसके बाद आधार प्राधिकरण की मियाद बढ़ाने को लेकर फैसला करने से पहले खुद प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों से विचार विमर्श किया। बुधवार को हुई बैठक में वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के अलावा गृहमंत्री पी. चिदंबरम, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, नंदन नीलेकणी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन भी मौजूद थे। यूआईडीएआई यानी यूनीक आइडेंटिफिकेशन ऑफ इंडिया का गठन 29 जनवरी 2009 को हुआ था। इसका मुख्य मकसद है बायोमेट्रिक आंकड़े इकट्ठा कर लोगों को एक कार्ड देना जिसे आधार कार्ड नाम दिया गया। इंफोसिस के सह अध्यक्ष रहे नंदन निलेकनी की अगुवाई में ये काम 31 मार्च 2012 तक पूरा होना था। लेकिन शुरूआत से ही योजना विवादों के घेरे में आ गई। गृह मंत्रालय की दलील है कि जब देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर बनाने का काम चल ही रहा है तो फिर अलग से एक कार्ड बनाने की ज़रूरत क्या है। कैबिनेट बैठक में ऐसा कोई बीच का रास्ता निकालना होगा, जिससे गृह मंत्रालय के तहत बन रहे एनपीआर और यूआईडी दोनों योजनाएं बिना किसी दिक्कत के साथ साथ चल सकें और उनमें कोई दोहराव भी ना हो।
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