Saturday, January 21, 2012

        'एनआरएचएम घोटाला निकला 5000 करोड़ का'
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के घोटालों की जांच कर रहे नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) को छह साल तक दिए गए 8657 करोड़ में से करीब 5000 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिला है। रिपोर्ट में सीएजी ने यह भी पाया है कि सारा पैसा गैर पंज़ीकृत सोसाइटी केजरिए ट्रांसफर किया गया।  एनआरएचएम से 1085 करोड़ का भुगतान बिना हस्ताक्षर के ही किया गया। साथ ही बिना करार के 1170 करोड़ का ठेका दे दिया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीवीसी के निर्देशों का किसी भी टेंडर या ठेके में पालन नहीं किया गया। सारे ठेके मनमर्जी से बांट दिए गए। ठेके पर गाड़ियां लेने में गड़बड़ी का आलम यह है कि एक जिले केडीएम की गाड़ी ही किराए पर बताकर रकम हड़प ली गई। यह रिपोर्ट भारत के निरीक्षक एवं महालेखापरीक्षा (सीएजी) ने प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी को भेज दी है। प्रदेश केमुख्य सचिव के अनुरोध पर सीएजी ने अगस्त, 2011 में एनआरएचएम में हुए घोटाले की जांच शुरू की थी। सीएजी ने 23 जिलों में जाकर एनआरएचएम के तहत वर्ष 2005-06 से वर्ष 2011 तक दी गई धनराशि में गड़बड़ी की जांच की। सीएजी की टीम ने 23 जिलों में अलग-अलग टीमें और पांच विशेष टीमें लगाई थीं। सीएजी के इलाहाबाद दफ्तर के प्रमुख ऑडिटर जनरल मुकेश पी सिंह की अगुवाई में एनआरएचएम घोटाले की जांच अगस्त में शुरू की थी। एनआरएचएम से वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2010 तक दिए गए बजट, अब तक हुए खर्च, एनआरएचएम के खर्च की प्रक्रिया और अब तक एनआरएचएम और स्वास्थ्य विभाग से जारी हुए बजट की जांच शामिल थी। यह गड़बड़ी सभी 23 जिलों में मिली है। कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां जमकर पैसे का दोहन किया गया। कई जिलों में जननी सुरक्षा की राशि चेक की जगह नकद बांट दी गई। पैसा कहां गया पता नहीं चला। सीएजी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट 30 नवंबर को ही स्वास्थ्य विभाग के पास भेज दी थी। इसके बाद शुक्रवार को सीएजी ने यह रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी

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