Wednesday, January 25, 2012


माधवान के सरकारी पद संभालने पर रोक
नई दिल्ली: विवादास्पद एंट्रिक्स-देवास करार में भूमिका निभाने को लेकर सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर और तीन अन्य प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के खिलाफ अभूतपूर्व अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत उनके किसी भी सरकारी पदभार ग्रहण पर रोक लगा दी है। अपने खिलाफ उठाए गए इस कदम से गुस्साए नायर ने इसके लिए इसरो के मौजूदा अध्यक्ष के. राधाकृष्णन को जिम्मेदार ठहराया है। नायर ने आरोप लगाया कि इसके पीछे उनका हाथ है और वह सरकार को गुमराह करने के लिए एक निजी एजेंडाचला रहे हैं। नायर ने बेंगलूर में बताया, ‘‘यह उनका (राधाकृष्णन का) निजी एजेंडा है। यह व्यक्ति कई लोगों को निशाना बनाने पर तुले हुए हैं और इस प्रक्रिया में वह संगठन का सत्यानाश कर रहे हैं।’’ एंट्रिक्स करार के तहत इसरो ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन कर एक निजी कंपनी को एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटित किया था। इसरो अधिकारियों ने बताया कि नायर के अलावा इसरो में पूर्व वैज्ञानिक सचिव के. भास्कराचार्य, एंट्रिक्स (इसरो की वाणिज्यिक शाखा) के पूर्व प्रबंध निदेशक केआर श्रीधरमूर्ति, और इसरो अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक केएन शंकर को अंतरिक्ष विभाग ने दंडित किया है। देवास के साथ उस वक्त करार पर हस्ताक्षर किया गया था जब नायर इसरो के प्रमुख थे। भारत के प्रथम चंद्रमा मिशन चंद्रयान-1 के पीछे भी नायर की अहम भूमिका है। एक उच्चाधिकार समिति (एचपीसी) की रिपोर्ट और इस रिपोर्ट की एक समिति द्वारा पड़ताल किए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने एंट्रिक्स और देवास के बीच हुए करार के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल के लिए पिछले साल 31 मई को पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रत्युश सिन्हा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक उच्च स्तरीय टीम गठित की थी। नायर ने कहा, ‘‘उन्होंने (राधाकृष्णन) पूरे मुद्दे (देवास करार) पर सरकार को गुमराह किया। इसके पीछे अहम भूमिका निभाने वाले वह मुख्य व्यक्ति हैं, उन्होंने सरकार को गुमराह किया और गलत सूचना दी और उन्होंने कार्रवाई की।’’

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