Monday, January 9, 2012


आपकी छत ही बनेगी आपका बिजलीघर?

नई दिल्ली। अब आपकी छत ही आपका बिजलीघर बन जाएगी। फोटोवोल्टिक रूफटॉप से उत्पादित बिजली की बिक्री के लिए एक बड़े बाजार को देख नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय देशभर में छतों पर सौर ऊर्जा के उत्पादन की योजना बना रहा है।
अगले दस साल के दौरान देश में पीवी रूफटॉप से उत्पादित बिजली के लिए 20 गीगावाट का बाजार उपलब्ध होगा जिसकी आपूर्ति ग्रिड कनेक्शन के जरिए की जा सकेगी। नामी फर्म केपीएमजीके मुताबिक, फिलहाल देश की कुल बिजली मांग में आवासीय उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी 29 फीसदी है जो वर्ष 2021-22 तक बढ़कर 34 फीसदी हो सकती है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत भी कम होगी। वर्तमान समय में अधिकतर बिजली वितरण कंपनियों की दरों को देखते हुए सौर ऊर्जा के लिए बाजार में काफी संभावनाएं हैं। वर्तमान में सौर ऊर्जा की लागत 9-10 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच (किलोवाट प्रति घंटा) है जो सब्सिडी के बाद घटकर 6-7 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच रह जाती है।
अधिकतर डिस्कॉम की दरें 3 से 6 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच हैं, इसलिए डीजल से उत्पादित बिजली के मुकाबले यह काफी सस्ती होगी। एमएनआरई अधिकारियों के मुताबिक इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए मकान के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों की छतों पर भी पीवी सोलर पैनल के जरिए बिजली उत्पादन की योजना तैयार की जा रही है। हाल ही में मंत्रालय के समक्ष विशेषज्ञ कंपनी द्वारा इस संबंध में एक प्रस्तुतीकरण दिया गया।

प्रस्तुतीकरण में कहा गया कि देश के 19.2 करोड़ मकानों, 4.2 करोड़ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, 1.5 लाख औद्योगिक भवनों, 28200 कॉलेजों, 12.8 लाख स्कूलों और 15400 अस्पतालों की छतों पर पीवी पैनल की स्थापना कर सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। इस पीवी पैनल से उत्पादित बिजली का इस्तेमाल उस भवन की जरूरत के लिए किया जा सकता है और जरूरत से अधिक बिजली को ग्रिड में भेजा जा सकता है।
एमएनआरई सूत्रों के मुताबिक यह योजना अभी शुरुआती स्तर पर है और इसमें सफलता के लिए डिस्कॉम को राजी करना होगा। इसके साथ ही ग्रिड से जोडऩे के लिए एक संहिता तैयार करनी होगी। सूत्रों के मुताबिक कैलिफोर्निया, ब्राजील, इटली और स्पेन में इस तरह की नेट मीटरिंग की सफलता को देखते हुए एमएनआरई इस प्रकार की योजना को आगे बढ़ा सकता है।

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