कांग्रेस दिखाएगी मुलायम पर "ममता"
नई दिल्ली।। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी के अड़ंगे लगाने वाले रवैये से तंग आ चुकी काग्रेस ने अब उनसे पीछा छुड़ाने का मन बना लिया है। संसद में आंकड़ों की भरपाई के लिए वह इसके बदले समाजवादी पार्टी को अपले पाले में लाने का मंसूबा बना रही है, जिस पर मुलायम सिंह भी लगभग तैयार ही बैठे हैं। यूपी चुनाव के बाद इस नए राजनीतिक गठजोड़ को अमलीजामा पहनाया जा सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान भूमि अधिग्रहण बिल, रीटेल में एफडीआई और फिर लोकपाल बिल पर तृणमूल कांग्रेस के रवैये से काफी क्षुब्ध है। इन मुद्दों पर टीएमसी के रवैये और बयानबाजी के चलते सरकार को कदम पीछे खींचने पड़ चुके हैं, जिससे काफी किरकिरी भी हुई है। ममता के इस व्यवहार ने यूपीए सरकार के विरोधियों को भी यह कहना का पूरा मौका दिया कि सरकार के सहयोगी ही विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
वैसे, ममता पर शुरू से ही गठबंधन धर्म नहीं निभाने के आरोप लगते रहे हैं। बंगाल में कांग्रेस को दगा देने वालों को भी ममता ने अपनी सरकार और पार्टी में बढ़िया हैसियत दी है। मालदा के कांग्रेस अध्यक्ष एस.मित्रा आजकल ममता की कैबिनेट में महिला-बाल विकास मंत्री हैं, तो चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल होने वाले श्यामपदा मुखर्जी पर भी ममता मेहरबान हैं और उन्हें भी कैबिनेट में जगह दी गई है। अब त्रिपुरा ओर गोवा में भी ममता अपने प्रत्याशी उतारने की बात कहकर कांग्रेस की आंखों की किरकिरी बन गई हैं।
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब समय आ गया है जब अड़ियल रुख वाली ममता बनर्जी को टा-टा कहकर समाजवादी पार्टी के साथ पूर्ण गठबंधन कर लिया जाए। कांग्रेस के एक गुट का कहना है कि लोकसभा में 19 सांसद वाली टीएमसी से बेहतर है कि 22 सांसदों वाली एसपी का दामन थाम लिया जाए। वरिष्ठ कांग्रेसियों का मानना है कि वैसे भी यूपी विधानसभा चुनाव के बाद यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस सत्ता के सिंहासन तक पहुंच सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान भूमि अधिग्रहण बिल, रीटेल में एफडीआई और फिर लोकपाल बिल पर तृणमूल कांग्रेस के रवैये से काफी क्षुब्ध है। इन मुद्दों पर टीएमसी के रवैये और बयानबाजी के चलते सरकार को कदम पीछे खींचने पड़ चुके हैं, जिससे काफी किरकिरी भी हुई है। ममता के इस व्यवहार ने यूपीए सरकार के विरोधियों को भी यह कहना का पूरा मौका दिया कि सरकार के सहयोगी ही विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
वैसे, ममता पर शुरू से ही गठबंधन धर्म नहीं निभाने के आरोप लगते रहे हैं। बंगाल में कांग्रेस को दगा देने वालों को भी ममता ने अपनी सरकार और पार्टी में बढ़िया हैसियत दी है। मालदा के कांग्रेस अध्यक्ष एस.मित्रा आजकल ममता की कैबिनेट में महिला-बाल विकास मंत्री हैं, तो चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल होने वाले श्यामपदा मुखर्जी पर भी ममता मेहरबान हैं और उन्हें भी कैबिनेट में जगह दी गई है। अब त्रिपुरा ओर गोवा में भी ममता अपने प्रत्याशी उतारने की बात कहकर कांग्रेस की आंखों की किरकिरी बन गई हैं।
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब समय आ गया है जब अड़ियल रुख वाली ममता बनर्जी को टा-टा कहकर समाजवादी पार्टी के साथ पूर्ण गठबंधन कर लिया जाए। कांग्रेस के एक गुट का कहना है कि लोकसभा में 19 सांसद वाली टीएमसी से बेहतर है कि 22 सांसदों वाली एसपी का दामन थाम लिया जाए। वरिष्ठ कांग्रेसियों का मानना है कि वैसे भी यूपी विधानसभा चुनाव के बाद यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस सत्ता के सिंहासन तक पहुंच सकता है।
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