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भुवनेश्वर।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि विज्ञान के क्षेत्र में भारत पिछड़ रहा है और इसकी जगह चीन ले रहा है। उन्होंने कहना है पिछले कुछ दशकों में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति में गिरावट आई है और चीन जैसे देशों ने हमें पीछे छोड़ दिया है।
भुवनेश्वर में 99वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछले कुछ दशकों में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति में लगातार गिरावट आई है और चीन जैसे देश आगे निकल रहे हैं।'
सिंह के अनुसार, ''चीजें बदल रही हैं, लेकिन हम केवल उससे संतुष्ट नहीं हो सकते जो हमने पाया है। देश में विज्ञान के क्षेत्र में हमें और बदलाव करने की जरूरत है। हमें विज्ञान में सप्लाई को मजबूत बनाना होगा। यह सच है कि विज्ञान और इंजिनियरिंग अच्छे छात्रों को आकर्षित करता है, लेकिन इसमें बेहतर करियर नहीं होने के कारण वे बाद में अन्य विकल्प चुन लेते हैं।'
प्रधानमंत्री ने विज्ञान पर खर्च बढ़ाने की जरूरत भी जताई और कहा, 'जहां तक संसाधनों का सवाल है, देश में शोध एवं विकास पर जीडीपी का बहुत कम हिस्सा खर्च किया जाता है। हमें 12वीं पंचवर्षीय परियोजना के अंत तक इस पर जीडीपी का दो प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य हासिल करना है, जो इस वक्त 0.9 प्रतिशत है।' उन्होंने कहा कि ऐसा तभी हो सकता है जब उद्योग जगत अपना योगदान बढ़ाए। फिलहाल शोध एवं विकास कार्यों का 25 प्रतिशत उद्योग जगत खर्च करता है।
भुवनेश्वर में 99वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछले कुछ दशकों में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति में लगातार गिरावट आई है और चीन जैसे देश आगे निकल रहे हैं।'
सिंह के अनुसार, ''चीजें बदल रही हैं, लेकिन हम केवल उससे संतुष्ट नहीं हो सकते जो हमने पाया है। देश में विज्ञान के क्षेत्र में हमें और बदलाव करने की जरूरत है। हमें विज्ञान में सप्लाई को मजबूत बनाना होगा। यह सच है कि विज्ञान और इंजिनियरिंग अच्छे छात्रों को आकर्षित करता है, लेकिन इसमें बेहतर करियर नहीं होने के कारण वे बाद में अन्य विकल्प चुन लेते हैं।'
प्रधानमंत्री ने विज्ञान पर खर्च बढ़ाने की जरूरत भी जताई और कहा, 'जहां तक संसाधनों का सवाल है, देश में शोध एवं विकास पर जीडीपी का बहुत कम हिस्सा खर्च किया जाता है। हमें 12वीं पंचवर्षीय परियोजना के अंत तक इस पर जीडीपी का दो प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य हासिल करना है, जो इस वक्त 0.9 प्रतिशत है।' उन्होंने कहा कि ऐसा तभी हो सकता है जब उद्योग जगत अपना योगदान बढ़ाए। फिलहाल शोध एवं विकास कार्यों का 25 प्रतिशत उद्योग जगत खर्च करता है।
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