मुंबई: अभिनेत्री से निर्माता-निर्देशक बनीं पूजा भट्ट अपने पिता महेश भट्ट द्वारा 1974 में निर्देशित फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' की रीमेक बनाने की योजना बना रही हैं। वहीं उनके पिता ने पूजा के इस फैसले का स्वागत किया है।
पूजा ने पत्रकारों को बताया, मुझे मेरे पिता की फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' को देखने में खुशी होगी। उस वक्त सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर रोक लगा दी थी और वह (महेश भट्ट) निराशा में डूब गए। मैं उस वक्त बहुत छोटी थी। हमारे पास पैसे नहीं थे और वह सेंसर बोर्ड के कार्यालय से शिवाजी पार्क पैदल ही चले आए।
उन्होंने कहा, 'मंजिलें और भी हैं' तत्कालीन समय से काफी आगे की कहानी थी। यह ऐसी फिल्म है जिसे मैं दोबारा देखना चाहूंगी और शायद बनाऊंगी। 40 साल पहले महेश भट्ट ने यह फिल्म कबीर बेदी, गुलशन अरोड़ा और प्रेम नारायण के साथ बनाई थी। इसके कई दृश्यों को हटाने के बाद इसे प्रदर्शित किया गया था। यह फिल्म न तो आलोचक और न ही दर्शकों को पसंद आई थी। वहीं महेश भट्ट का कहना है कि 70 के दशक में इन फिल्मों के निर्माता पर जानवर का तमगा लगा दिया जाता था। फिल्म 'अर्थ', 'सारांश' और 'नाम' से बॉलीवुड में ख्याति पाने वाले फिल्म निर्माता महेश ने कहा, यह फिल्म काफी काटने-छांटने के बाद काफी देर से प्रदर्शित हुई। यह बॉक्स आफिस पर असफल रही। यह काफी स्वच्छंद और दर्शकों को अचंभित करने वाली थी। मैं उस वक्त 21 या 22 साल का था। महेश अपनी बेटी के इस निर्णय से खुश हैं।
पूजा ने पत्रकारों को बताया, मुझे मेरे पिता की फिल्म 'मंजिलें और भी हैं' को देखने में खुशी होगी। उस वक्त सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर रोक लगा दी थी और वह (महेश भट्ट) निराशा में डूब गए। मैं उस वक्त बहुत छोटी थी। हमारे पास पैसे नहीं थे और वह सेंसर बोर्ड के कार्यालय से शिवाजी पार्क पैदल ही चले आए।
उन्होंने कहा, 'मंजिलें और भी हैं' तत्कालीन समय से काफी आगे की कहानी थी। यह ऐसी फिल्म है जिसे मैं दोबारा देखना चाहूंगी और शायद बनाऊंगी। 40 साल पहले महेश भट्ट ने यह फिल्म कबीर बेदी, गुलशन अरोड़ा और प्रेम नारायण के साथ बनाई थी। इसके कई दृश्यों को हटाने के बाद इसे प्रदर्शित किया गया था। यह फिल्म न तो आलोचक और न ही दर्शकों को पसंद आई थी। वहीं महेश भट्ट का कहना है कि 70 के दशक में इन फिल्मों के निर्माता पर जानवर का तमगा लगा दिया जाता था। फिल्म 'अर्थ', 'सारांश' और 'नाम' से बॉलीवुड में ख्याति पाने वाले फिल्म निर्माता महेश ने कहा, यह फिल्म काफी काटने-छांटने के बाद काफी देर से प्रदर्शित हुई। यह बॉक्स आफिस पर असफल रही। यह काफी स्वच्छंद और दर्शकों को अचंभित करने वाली थी। मैं उस वक्त 21 या 22 साल का था। महेश अपनी बेटी के इस निर्णय से खुश हैं।
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