
मोदी को लेकर बदलते नजरिए का जिक्र करते हुए सिद्दीकी ने लिखा है कि
उन्होंने मोदी का इंटरव्यू लेने का फैसला उनके दो कट्टर विरोधियों फिल्म निर्माता
महेश भट्ट और स्क्रिप्ट राइटर सलीम खान से बातचीत के बाद किया। सिद्दीकी के
मुताबिक वो एक बैठक में गुजरात पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान सलीम साहब और भट्ट
साहब ने मोदी से बात करने का सुझाव दिया। मुझे यकीन नहीं था कि गुजरात दंगों पर
केंद्रित इस इंटरव्यू के लिए मोदी तैयार हो जाएंगे।
जानकारों की मानें तो साल 2014 में होने वाले आम चुनाव को लेकर मोदी अपनी छवि सुधारने की मुहिम मे जुटे
हुए हैं। इसी कोशिश में वो बीते दिनों सद्भावना उपवास कर चुके हैं। मोदी इससे पहले
कभी इतने खुले रूप से दंगों की बात करते दिखाई नहीं दिए। इस इंटरव्यू में मोदी ने
दंगों की जिम्मेदारी नहीं ली।
सिद्दीकी ने कहा कि मोदी का सपना देश का
प्रधानमंत्री बनने का है और उन्हें इस बात का पूरा अंदाजा है कि जब तक उनके चेहरे
पर लगा दंगे का दाग साफ नहीं होगा वो वहां तक नहीं पहुंच सकते। शाहिद सिद्दीकी ने
मोदी के बयान को ईमानदार माने से इनकार किया। उन्होंने कहा, कि मोदी से जितने भी सवाल पूछे गए उन्होंने कुछ के ही सटीक जवाब दिए। बाकी
सब पर वो चालाकी से बचते हुए निकल गए। क्या नरेंद्र मोदी का ही इंटरव्यू लेने की
कोई खास वजह थी? इस सवाल पर शाहिद सिद्दीकी का कहना था कि वो
इंदिरा गांधी से लेकर आज देश के सभी प्रधानमंत्रियों का इंटरव्यू कर चुके हैं।
मनमोहन सिंह ही ऐसे पीएम हैं जिनका इंटरव्यू वो नहीं ले सके हैं। सोनिया गांधी के
इंटरव्यू के लिए भी वो काफी वक्त से प्रयास कर रहे हैं।
इंटरव्यू में मोदी ने यह गुनहगार होने पर फांसी देने की बात तो की ही
लेकिन यह भी कहा है कि अगर मैं निर्दोष हूं तो देश मुझसे माफी मांगे। बकौल सिद्दीकी, मोदी नेता तो अच्छे हैं लेकिन इंसान भी अच्छा होना जरूरी है।
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