सोनिया से मिलकर ठण्डे पडे पवार : टल सकता है
संकट
नई दिल्ली: सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद एनसीपी नेता और कृषिमंत्री शरद
पवार मानते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि दोपहर तक बिगड़ी हुई बात बन जाएगी यानी
अब शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल इस्तीफे पर जोर नहीं देंगे।
दरअसल पवार कई मसलों को लेकर नाराज हैं। उनकी शिकायत कई नियुक्तियों और फैसलों में अनदेखी करने को लेकर है। पवार, सुशील शिंदे को सदन का नेता बनाने से नाराज है। साथ ही नैफैड के लिए उन्होंने जो नाम भेजे, उन्हें पीएमओ ने नामंजूर कर दिया था। इन्हीं वजहों से पहले वह कैबिनेट की बैठक में नहीं गए और फिर अपना इस्तीफा भेज दिया। आखिर वे कौन से विकल्प हैं, जिन पर पवार मानते दिख रहे हैं। संभव है कि शरद पवार को मनाने के लिए कुछ और विभाग उनके जिम्मे दे दे दिए जाएं, क्योंकि अब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कमेटी (आईसीसी) में उतने व्यस्त नहीं हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री की गैर-मौजूदगी में कामकाज देखने के लिए एक टीम बनाई जा सकती है, जिसमें तीन सदस्य हो सकते हैं, शरद पवार, एके एंटनी और सदन के नेता। यूपीए के लिए शरद पवार भरोसेमंद साथी रहे हैं और उन्होंने एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का खुलकर साथ दिया। वह आर्थिक सुधारों के पक्ष में रहे हैं और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस का खुलकर साथ दिया।
उधर, एनसीपी के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा है कि उनको शरद पवार के इस्तीफे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सोनिया गांधी के साथ बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि ये एक सामान्य बैठक थी और सोनिया गांधी अगर बुलाएंगी, तो जाना ही पड़ेगा। लेकिन राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इतना तय है कि शरद पवार सरकार पर दबाव बना रहे हैं और अब सरकार की तरफ से बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, प्रणब मुखर्जी के वित्तमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद मनमोहन सरकार में नंबर 2 कौन है, यह यूपीए−2 के लिए एक पेचीदा सवाल बन गया है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीपी नेता शरद पवार मानते हैं कि यूपीए-2 में प्रणब के बाद वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए जो ताकत और ओहदा मनमोहन सरकार में प्रणब को दिया गया था, उसके पहले हकदार वह खुद हैं। दोनों दलों के बीच तल्खी यहां तक बढ़ गई है कि शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल ने अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को भेज दिए। दरअसल इस खींचतान की शुरुआत प्रणब के इस्तीफे के साथ ही शुरू हुई। प्रणब के इस्तीफे के बाद जो पहली कैबिनेट बैठक हुई, उसमें शरद पवार को उसी जगह पर सीट मिली, जहां प्रणब बैठते थे। लेकिन उसके एक हफ्ते बाद बाद जब कैबिनेट की बैठक हुई, उसमें प्रणब की सीट पर एके एंटनी को बिठाया गया, जिससे पवार नाराज हो गए।
बात यहां तक पहुंची की उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए यूपीए की बैठक में पवार नहीं पहुंचे और न ही किसी को भेजा। फिर गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में भी वह नहीं आए।
दरअसल पवार कई मसलों को लेकर नाराज हैं। उनकी शिकायत कई नियुक्तियों और फैसलों में अनदेखी करने को लेकर है। पवार, सुशील शिंदे को सदन का नेता बनाने से नाराज है। साथ ही नैफैड के लिए उन्होंने जो नाम भेजे, उन्हें पीएमओ ने नामंजूर कर दिया था। इन्हीं वजहों से पहले वह कैबिनेट की बैठक में नहीं गए और फिर अपना इस्तीफा भेज दिया। आखिर वे कौन से विकल्प हैं, जिन पर पवार मानते दिख रहे हैं। संभव है कि शरद पवार को मनाने के लिए कुछ और विभाग उनके जिम्मे दे दे दिए जाएं, क्योंकि अब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कमेटी (आईसीसी) में उतने व्यस्त नहीं हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री की गैर-मौजूदगी में कामकाज देखने के लिए एक टीम बनाई जा सकती है, जिसमें तीन सदस्य हो सकते हैं, शरद पवार, एके एंटनी और सदन के नेता। यूपीए के लिए शरद पवार भरोसेमंद साथी रहे हैं और उन्होंने एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का खुलकर साथ दिया। वह आर्थिक सुधारों के पक्ष में रहे हैं और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस का खुलकर साथ दिया।
उधर, एनसीपी के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा है कि उनको शरद पवार के इस्तीफे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सोनिया गांधी के साथ बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि ये एक सामान्य बैठक थी और सोनिया गांधी अगर बुलाएंगी, तो जाना ही पड़ेगा। लेकिन राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इतना तय है कि शरद पवार सरकार पर दबाव बना रहे हैं और अब सरकार की तरफ से बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, प्रणब मुखर्जी के वित्तमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद मनमोहन सरकार में नंबर 2 कौन है, यह यूपीए−2 के लिए एक पेचीदा सवाल बन गया है।
सूत्रों के मुताबिक एनसीपी नेता शरद पवार मानते हैं कि यूपीए-2 में प्रणब के बाद वह सबसे वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए जो ताकत और ओहदा मनमोहन सरकार में प्रणब को दिया गया था, उसके पहले हकदार वह खुद हैं। दोनों दलों के बीच तल्खी यहां तक बढ़ गई है कि शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल ने अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को भेज दिए। दरअसल इस खींचतान की शुरुआत प्रणब के इस्तीफे के साथ ही शुरू हुई। प्रणब के इस्तीफे के बाद जो पहली कैबिनेट बैठक हुई, उसमें शरद पवार को उसी जगह पर सीट मिली, जहां प्रणब बैठते थे। लेकिन उसके एक हफ्ते बाद बाद जब कैबिनेट की बैठक हुई, उसमें प्रणब की सीट पर एके एंटनी को बिठाया गया, जिससे पवार नाराज हो गए।
बात यहां तक पहुंची की उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए यूपीए की बैठक में पवार नहीं पहुंचे और न ही किसी को भेजा। फिर गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में भी वह नहीं आए।
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