कोकराझार (असम). असम में हिंसा और नफरत की आग जारी है। राहत शिविर में रह रहे लोगों का धैर्य भी जवाब दे रहा है। राहत सामग्री लेकर पहुंचे कोकराझार के डीएम बिपुल गोगोई पर राहत शिविरों में रह रहे लोगों ने हमला बोल दिया।
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हिंसा से प्रभावित इलाकों का 28 जुलाई को दौरा करेंगे।
कोकराझार के एक गांव से जान बचाकर राहत शिविर पहुंचे अजीज उल हक ने बोडो नेताओं पर पूरे विवाद का ठीकरा फोड़ते हुए कहा, 'शुरुआत में बोडो नेताओं ने हमसे आकर कहा कि हम लोग उन जगहों पर चले जाएं, जहां हमारे समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रह रहे हैं। इसके बाद हम लोग अपने गांव के नजदीक ही एक जगह पर ठहर गए। इसके बाद हमलावरों को हमारे खाली घरों को आग लगाने का मौका मिल गया। इसके अलावा हमलावरों ने उस जगह को भी घेर लिया जहां हम लोग इकट्ठा हुए थे।'
पीडि़त जहां नेताओं को अपनी बदहाली के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री राज्य की बदहाली को हिंसा का कारण बता रहे हैं। हिंसा के पीछे क्या वजह है? इसे लेकर अलग-अलग दावे और राय सामने आ रही है। हिंसा की चार वजहें सामने आ रही हैं, जिनमें कुछ तात्कालिक हैं तो कुछ वजहें काफी पहले से समस्या बनी हुई हैं।
बांग्लादेश से आ रहे अवैध प्रवासी असम में जारी हिंसा की मूल वजह बताए जा रहे हैं। असम के मूल निवासियों का कहना है कि बांग्लादेश से लगातार भारत में अवैध रूप से घुस रहे लोगों की वजह से वे असुरक्षित महसूस करते हैं। असम के मूल निवासियों का कहना है कि प्रवासियों के चलते इस क्षेत्र का 'संतुलन' बिगड़ गया है। गौरतलब है कि भारत-बांग्लादेश की पूरी सीमा पर तारबंदी न होने और नदियों के चलते सीमा के उस पार से भारत में प्रवेश करना बहुत मुश्किल नहीं है। ऐसे में बड़ी तादाद में बांग्लादेशी लोग बेहतर ज़िंदगी की तलाश में भारत में प्रवेश करते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि 1971 के बाद से बांग्लादेशियों का भारत आकर बसना जारी है। असम के नेताओं पर आरोप है कि वे इन अवैध प्रवासियों को पहचान पत्र दे देते हैं, ताकि वे उनके हक में वोट करें।
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हिंसा से प्रभावित इलाकों का 28 जुलाई को दौरा करेंगे।
कोकराझार के एक गांव से जान बचाकर राहत शिविर पहुंचे अजीज उल हक ने बोडो नेताओं पर पूरे विवाद का ठीकरा फोड़ते हुए कहा, 'शुरुआत में बोडो नेताओं ने हमसे आकर कहा कि हम लोग उन जगहों पर चले जाएं, जहां हमारे समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रह रहे हैं। इसके बाद हम लोग अपने गांव के नजदीक ही एक जगह पर ठहर गए। इसके बाद हमलावरों को हमारे खाली घरों को आग लगाने का मौका मिल गया। इसके अलावा हमलावरों ने उस जगह को भी घेर लिया जहां हम लोग इकट्ठा हुए थे।'
पीडि़त जहां नेताओं को अपनी बदहाली के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री राज्य की बदहाली को हिंसा का कारण बता रहे हैं। हिंसा के पीछे क्या वजह है? इसे लेकर अलग-अलग दावे और राय सामने आ रही है। हिंसा की चार वजहें सामने आ रही हैं, जिनमें कुछ तात्कालिक हैं तो कुछ वजहें काफी पहले से समस्या बनी हुई हैं।
बांग्लादेश से आ रहे अवैध प्रवासी असम में जारी हिंसा की मूल वजह बताए जा रहे हैं। असम के मूल निवासियों का कहना है कि बांग्लादेश से लगातार भारत में अवैध रूप से घुस रहे लोगों की वजह से वे असुरक्षित महसूस करते हैं। असम के मूल निवासियों का कहना है कि प्रवासियों के चलते इस क्षेत्र का 'संतुलन' बिगड़ गया है। गौरतलब है कि भारत-बांग्लादेश की पूरी सीमा पर तारबंदी न होने और नदियों के चलते सीमा के उस पार से भारत में प्रवेश करना बहुत मुश्किल नहीं है। ऐसे में बड़ी तादाद में बांग्लादेशी लोग बेहतर ज़िंदगी की तलाश में भारत में प्रवेश करते रहे हैं। जानकारों का मानना है कि 1971 के बाद से बांग्लादेशियों का भारत आकर बसना जारी है। असम के नेताओं पर आरोप है कि वे इन अवैध प्रवासियों को पहचान पत्र दे देते हैं, ताकि वे उनके हक में वोट करें।
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