Tuesday, July 24, 2012


शरद पवार की मांगो के आगे सरकार को छुटा पसीना
महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के गर्त से बाहर निकलने की कोशिश हो या फिर अपनी बेटी सुप्रिया सुले के राजनीतिक भविष्य को सुनिश्चित करने की बात। पिछले एक हफ्ते के दौरान कांग्रेस से नाराज एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की डिमांड लिस्ट बेहद लंबी है।
महाराष्ट्र में हर छोटे बड़े मामलों पर पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सीधा हस्तक्षेप चाहते हैं, ताकि एनसीपी को बदनामी से बचाया जा सके। सोनिया के सामने उन्होंने प्रदेश के कई मामलों का जिक्र किया, जिसमें एनसीपी कोटे के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के बड़े मामले हैं। इसके साथ ही पवार की सबसे बड़ी इच्छा अपनी बेटी को केंद्र की राजनीति में असरदार पद दिलाने की भी है।

सूत्रों का कहना है कि इसके लिए पवार अगाथा संगमा की बलि देकर इसके एवज में अपनी बेटी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की मांग भी कांग्रेस के सामने रखी है। मगर पवार की मांगों की फेहरिस्त इतनी लंबी और जटिल है कि इस पर गौर करने में कांग्रेस और सरकार के रहनुमाओं के पसीने छूट गए हैं। 
यूपीए सरकार के सामने पवार ने पावर प्ले का दांव खेलकर अपने दोनों हाथों में लड्डू थामने की कोशिश की है। सूत्रों का कहना है कि अपने कब्जे से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के जाने से पवार खफा हैं। वह इस मलाईदार विभाग को दुबारा अपने पास रखना चाहते हैं। यूपीए में नंबर दो की हैसियत पाने में पवार भले ही इतने ज्यादा इच्छुक नहीं हों, मगर वह रक्षा मंत्री बनने के बेहद इच्छुक हैं।
सूत्रों का कहना है कि वह कांग्रेस को यह भी कह रहे हैं कि अगर खाद्य आपूर्ति विभाग देने में दिक्कत है तो उन्हें रक्षा मंत्री की कुर्सी सौंपी जाए। वहीं बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र की राजनीति में वह इसलिए भी फिट करना चाहते हैं क्योंकि प्रदेश की राजनीति में उनके भतीजा अजीत पवार पहले ही जमे हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी वहां प्रदर्शन भी अच्छा कर रही है। इसलिए माना जा रहा है कि वह कांग्रेस से अपनी बेटी के लिए कैबिनेट मंत्री की कुर्सी मांग रहे हैं। इसके लिए वह ग्रामीण विकास राज्य मंत्री अगाथा का इस्तीफा भी करवाने के लिए तैयार हैं। मगर दूसरी ओर सिर्फ नौ सांसदों वाली पार्टी को तीन कैबिनेट मंत्री देने की बात कांग्रेस को पच नहीं रही है।
पवार प्रदेश के कई मसलों पर वह कांग्रेस से राहत चाहते हैं। मसलन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सहकारी बैंकों को चेयरमैनों को बर्खास्त कर दिया। इन बैंकों पर सबसे ज्यादा काबू एनसीपी नेताओं का था। बैंकों के बंद होने से एनसीपी काडर पस्त पड़ गया है। वहीं महाराष्ट्र सदन की इमारत समेत कई निर्माण प्रोजेक्टों में वरिष्ठ एनसीपी मंत्री छगन भुजबल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, जिन्हें कांग्रेस खूब हवा दे रही है।
सोमवार को एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटले सफाई भी दे रहे थे कि कुछ कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि वह यूपीए सरकार से नाराजगी इन मामलों में राहत पाने के लिए कर रहे हैं। यह सरासर गलत है। पवार को ऐतराज है कि एनसीपी के खिलाफ घोटालों के सबसे ज्यादा मामलों को चव्हाण ही हवा दे रहे हैं। प्रदेश के सिंचाई क्षेत्र में मुख्यमंत्री की ओर से जारी श्वेत पत्र में तो सीधे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ही फंसे हुए हैं। यह तीन हजार करोड़ का घोटाला माना जा रहा है।

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