'नही रही स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन लक्ष्मी सहगल'
स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन लक्ष्मी सहगल का लंबी बीमारी के बाद
सोमवार को निधन हो गया है। वह 98 साल की थीं। चिकित्सकों
ने आधा दर्जन बार उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया, लेकिन वे
उन्हें बचा नहीं सके। नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज(आईएनए) में कैप्टन
रहीं डॉ. सहगल को पिछले हफ्ते गुरुवार की सुबह दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद
उन्हें कानपुर मेडिकल सेंटर में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था।
कैप्टन सहगल आईएनए के रानी झांसी रेजीमेंट में प्रमुख थीं। उन्हें 1998 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। लक्ष्मी सहगल पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सामने राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुकी हैं। डॉ. सहगल के नाती एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक शाद अली ने बताया कि उनकी हालत काफी समय से सुधार नहीं हो रहा था। 24 अक्टूबर, 1914 को परंपरावादी तमिल परिवार में जन्मी कैप्टन सहगल ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से शिक्षा ली थी, जिसके बाद वह सिंगापुर चली गई थीं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब जापानी सेना ने सिंगापुर में ब्रिटिश सेना पर हमला किया तो लक्ष्मी सहगल नेताजी की आज़ाद हिन्द फौज में शामिल हो गई थीं।
कैप्टन सहगल आईएनए के रानी झांसी रेजीमेंट में प्रमुख थीं। उन्हें 1998 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। लक्ष्मी सहगल पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सामने राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुकी हैं। डॉ. सहगल के नाती एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक शाद अली ने बताया कि उनकी हालत काफी समय से सुधार नहीं हो रहा था। 24 अक्टूबर, 1914 को परंपरावादी तमिल परिवार में जन्मी कैप्टन सहगल ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से शिक्षा ली थी, जिसके बाद वह सिंगापुर चली गई थीं। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब जापानी सेना ने सिंगापुर में ब्रिटिश सेना पर हमला किया तो लक्ष्मी सहगल नेताजी की आज़ाद हिन्द फौज में शामिल हो गई थीं।
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