Friday, January 20, 2012


 'इनकम टैक्स विभाग ने किया 60 चोंरो का भंण्डाफोड'
नई दिल्ली।। टैक्स चोर अब खैर मनाएं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) की मदद से बड़ी टैक्स चोरी करने वाले 60 से ज्यादा लोगों का पता लगाया है। ये लोग कई साल से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पहुंच से बाहर थे। फाइनैंस मिनिस्ट्री के अफसरों ने बताया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब इनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि एफआईयू को टैक्स चोरी करने वाले इन लोगों के 350 से ज्यादा बैंक अकाउंट का पता चला है। उन्होंने बताया कि सर्विलांस के दौरान इन अकाउंट्स में ' एक्टिव ट्रांजैक्शंस ' का पता चला। इनमें से कुछ ने खुद को दिवालिया घोषित किया हुआ था हालांकि, वे नई मिल्कियत खरीद रहे हैं। अधिकारी ने बताया, ' एफआईयू डाटा से सफलता का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है।' वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने एजेंसियों से मिलने वाली जानकारी की जांच के लिए एक सेल बनाया था। टैक्स चोरी करने वाले लोगों को पकड़ना इसका मकसद था। 31 मार्च 2011 को कुल डायरेक्ट टैक्स एरियर 3.3 लाख करोड़ रुपये था। इसमें 1.97 लाख करोड़ पर्सनल इनकम टैक्स और 1.4 लाख करोड़ कॉरपोरेट टैक्स था। कम्पट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (कैग) ने ऑडिट में पाया था कि 30 सितंबर 2010 तक 1.65 लाख करोड़ की वसूली नहीं हो सकी थी। इसमें करीब 90,000 करोड़ रुपए इसलिए नहीं मिल पाए, क्योंकि एसेसी का पता नहीं लगाया जा सका या उनके पास रिकवरी के लिए एसेट नहीं थे। एफआईयू को 271 मामलों की लिस्ट दी गई, जिनसे रिकवरी की जा सकती थी। एफआईयू बैंकों और दूसरे फाइनैंशल इंस्टिट्यूशन से डाटा जुटाती है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंडरिंग ऐक्ट के तहत फाइनैंशल इंस्टिट्यूशन और सिक्योरिटीज मार्केट की इंटरमीडियरीज को 10 लाख रुपए से ज्यादा का ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों का 10 साल का रिकॉर्ड देना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें ' संदिग्ध ट्रांजैक्शन ' करने वाले लोगों का भी रिकॉर्ड देना पड़ता है। टैक्स चोरी करने वाले इन लोगों का प्रोफाइल तैयार करने के लिए एनुअल इंफामेर्शन रिटर्न (एआईआर) जैसे दूसरे स्त्रोतों से हासिल डाटा को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों से मिलाया जा रहा है।

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