Wednesday, January 18, 2012


        ‘विदेशी ईधन मिलेगा एयरलाइनों को
नई दिल्ली- भारतीय एयरलाइनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सरकार जल्द फैसला ले सकती है। सरकार का इरादा विदेशी एयरलाइन कंपनियों को देसी एयरलाइन कंपनियों में 49 फीसदी तक एफडीआइ की अनुमति देने का है। इस संबंध में जल्द ही कैबिनेट में विचार होगा। इस बीच, एयर इंडिया कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार ने 150 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का निर्णय लिया है। नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को कहा कि सरकार विदेशी एयरलाइन कंपनियों को देश की एयरलाइन कंपनियो में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी की खरीद की अनुमति देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी। भारतीय एयरलाइन उद्योग की समस्याओं पर वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी से मिलने गए अजित सिंह ने एयर इंडिया के पायलटो सहित सभी कर्मचारियो के बकाया वेतन और भत्तों के भुगतान के लिए तत्काल 150 करोड़ रुपये जारी करने का अनुरोध किया जिसे वित्त मंत्री ने स्वीकार कर लिया। सवा घंटे की मुलाकात के बाद अजित सिंह ने कहा, 'बैठक में अहम सवाल विदेशी एयरलाइनों को एफडीआइ की अनुमति देने का था। मैंने वित्त मंत्री के साथ इस पर चर्चा की और वह इस पर सहमत हुए। अब जल्द ही इस संबंध में उड्डयन मंत्रालय की ओर से कैबिनेट नोट जारी किया जाएगा।' विदेशी एयरलाइनों को भारतीय कंपनियो में हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति नीतिगत रूप से एक बड़ा बदलाव होगा। अभी विदेशी एयरलाइनों को भारतीय विमानन कंपनियो में निवेश का अधिकार नहीं है। केवल हवाई अड्डा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। विदेशी एयरलाइनों की एफडीआइ की सीमा के बारे में पूछे जाने पर अजित ने कहा, '49 प्रतिशत एफडीआइ पहले से है। सचिवाल की समिति ने भी एफडीआइ की सीमा 49 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।' अजित ने कहा कि एफडीआइ एक ऐसा कारक है जिससे यह उद्योग वित्तीय संकट से निपट सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह उद्योग इस समय भारी दबाव से गुजर रहा है। बैठक में एयर इंडिया के वेतन भुगतान का मसला भी कुछ हद तक निपट गया। अजित सिंह के मुताबिक एयर इंडिया को जल्द 150 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे। गौरतलब है कि कई महीनों से वेतन-भत्ते न मिलने से नाराज एयर इंडिया के पायलट हाल में आंदोलन पर चले गए थे। अजित ने कहा, 'सरकार ने फैसला किया है कि कम से कम इतनी राशि जारी की जाए जिससे उनके वेतन और उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन [पीएलआइ] के कुछ हिस्से का भुगतान किया जा सके।'

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