नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों के कोई बदलाव नहीं किया है। इसके पीछे आरबीआई ने महंगाई को एक बड़ी वजह बताया है, जो ब्याज दरों में कटौती में बाधा बनी हुई है। आरबीआई को अभी और महंगाई बढ़ने की उम्मीद है। इस बीच, रेपो रेट 8 फीसद पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि घटती आर्थिक विकास दर को देखते हुए सरकार को ही निवेश के लिए प्रोत्साहन देना होगा। मौद्रिक नीति से पहले जरूरी है कि सरकार वित्तीय ढांचे को दुरुस्त करने के लिए खर्चो में कटौती जैसे कदम उठाए। इससे पहले अर्थव्यवस्था के ताजा हालात पर जारी अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि आर्थिक विकास दर में कमी के बावजूद महंगाई में वृद्धि का जोखिम अभी बना हुआ है। इसमें मानसून की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताते हुए कहा गया है कि इसका असर कीमतों पर पड़ सकता है। साथ ही आपूर्ति की खराब स्थिति भी महंगाई बढ़ाने का खतरा पैदा करेगी। रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका मौद्रिक नीति के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभरा है। जून, 2012 में ही सामान्य महंगाई की दर 7.25 प्रतिशत रही थी, जबकि उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर 10.02 प्रतिशत तक जा चुकी है। महंगाई की ऊंची होती दर ने आरबीआई के सामने उलझन की स्थिति पैदा कर दी है।उद्योग जगत आर्थिक सुस्ती के चलते केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहा है। विकास की तिमाही दर 5.3 प्रतिशत तक घट चुकी है। मौद्रिक नीति की अपनी पिछली समीक्षा में 16 जून को भी रिजर्व बैंक ने दरों में कमी नहीं की थी।जहां तक आर्थिक विकास का सवाल है रिजर्व बैंक का मानना है कि सरकार का नीतिगत अनिर्णय, महंगाई की ऊंची दर और वैश्विक संकट चालू वित्त वर्ष 2012-13 में भी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे। आर्थिक विकास की दर मौजूदा वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत से नीचे ही रहेगी। केंद्रीय बैंक द्वारा प्रायोजित प्रोफेशनल फोरकॉस्टर्स ने इस दर को घटाकर 6.5 फीसद रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई ने निवेश का माहौल बढ़ाने के लिए सरकार को तेजी से कदम उठाने की सलाह दी है। केंद्रीय बैंक ने एफडीआई और बुनियादी क्षेत्र में निवेश के रास्ते की अड़चनों को दूर करने की जरूरत भी बताई है। बैंक का मानना है कि इन सबके बावजूद सरकार को अपने खर्चो को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित करना होगा। खासतौर पर बढ़ती सब्सिडी पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है।
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Tuesday, July 31, 2012
ब्याज दरों में नही होगा कोई बदलाव
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों के कोई बदलाव नहीं किया है। इसके पीछे आरबीआई ने महंगाई को एक बड़ी वजह बताया है, जो ब्याज दरों में कटौती में बाधा बनी हुई है। आरबीआई को अभी और महंगाई बढ़ने की उम्मीद है। इस बीच, रेपो रेट 8 फीसद पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का मानना है कि घटती आर्थिक विकास दर को देखते हुए सरकार को ही निवेश के लिए प्रोत्साहन देना होगा। मौद्रिक नीति से पहले जरूरी है कि सरकार वित्तीय ढांचे को दुरुस्त करने के लिए खर्चो में कटौती जैसे कदम उठाए। इससे पहले अर्थव्यवस्था के ताजा हालात पर जारी अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि आर्थिक विकास दर में कमी के बावजूद महंगाई में वृद्धि का जोखिम अभी बना हुआ है। इसमें मानसून की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताते हुए कहा गया है कि इसका असर कीमतों पर पड़ सकता है। साथ ही आपूर्ति की खराब स्थिति भी महंगाई बढ़ाने का खतरा पैदा करेगी। रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका मौद्रिक नीति के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभरा है। जून, 2012 में ही सामान्य महंगाई की दर 7.25 प्रतिशत रही थी, जबकि उपभोक्ता मुद्रास्फीति दर 10.02 प्रतिशत तक जा चुकी है। महंगाई की ऊंची होती दर ने आरबीआई के सामने उलझन की स्थिति पैदा कर दी है।उद्योग जगत आर्थिक सुस्ती के चलते केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहा है। विकास की तिमाही दर 5.3 प्रतिशत तक घट चुकी है। मौद्रिक नीति की अपनी पिछली समीक्षा में 16 जून को भी रिजर्व बैंक ने दरों में कमी नहीं की थी।जहां तक आर्थिक विकास का सवाल है रिजर्व बैंक का मानना है कि सरकार का नीतिगत अनिर्णय, महंगाई की ऊंची दर और वैश्विक संकट चालू वित्त वर्ष 2012-13 में भी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे। आर्थिक विकास की दर मौजूदा वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत से नीचे ही रहेगी। केंद्रीय बैंक द्वारा प्रायोजित प्रोफेशनल फोरकॉस्टर्स ने इस दर को घटाकर 6.5 फीसद रहने का अनुमान जताया है। आरबीआई ने निवेश का माहौल बढ़ाने के लिए सरकार को तेजी से कदम उठाने की सलाह दी है। केंद्रीय बैंक ने एफडीआई और बुनियादी क्षेत्र में निवेश के रास्ते की अड़चनों को दूर करने की जरूरत भी बताई है। बैंक का मानना है कि इन सबके बावजूद सरकार को अपने खर्चो को तत्काल प्रभाव से नियंत्रित करना होगा। खासतौर पर बढ़ती सब्सिडी पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है।
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