Wednesday, June 13, 2012


'अल्पसंख्यक आरक्षण पर SC कोर्ट ने दिखाई सख्ती'
अल्पसंख्यक आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से एकबार फिर केंद्र सरकार को झटका लगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी सब कोटा का आधार क्या है? साथ ही सर्वोच्च अदालत ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। इससे 325 आईआईटी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है जिन्होंने सब कोटा के आधार पर आईआईटी क्वालीफाई किया था। पूर्ववर्ती सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि सरकार इतने गंभीर मसले पर इतनी लापरवाही कैसे कर सकती है। आखिर किस आधार पर ओबीसी को मिलने वाले 27 फीसदी कोटे को विभाजित कर सरकार ने अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी सब कोटा दिया। कल को ऐसे ही और भी कोटा तय कर देंगे। इससे पहले वाहनवती ने कोटा का लाभ पाकर आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफल होने वाले 325 छात्रों के भविष्य का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आईआईटी में अभी काउंसिलिंग चल रही है। लेकिन पीठ ने उनकी एक न सुनी और कोई भी आदेश जारी करने से साफ इनकार कर दिया। अदालत सरकार के इस तरीके से बहुत नाखुश है कि उसने इतने संवेदनशील मामले में ऑफिस मेमोरंडम जारी कर दिया। जबकि इससे पहले कम से कम कुछ आंकड़े एकत्र करने की कार्यवाही तो करनी ही चाहिए थी। पीठ ने कहा कि यदि किसी वैधानिक प्राधिकरण जैसे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से इस मसले पर राय-मशविरा किया गया होगा तो हमें खुशी होगी। कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार ने किस आधार पर ओबीसी को मिलने वाला 27 प्रतिशत कोटा विभाजित किया। यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, आपने 27 प्रतिशत कोटा से सब कोटा निकाला है। कल को आप और भी कोटा तय करेंगे। तब वाहनवती ने कहा कि वह अदालत को इसके लिए संतुष्ट कर देंगे कि किस आधार पर 4.5 प्रतिशत कोटा दिया गया। नाराज पीठ ने इस पर कहा कि आप हाईकोर्ट को भी संतुष्ट कर सकते थे।  आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 28 मई के फैसले में मुसलमानों को 4.5 फीसदी आरक्षण दिए जाने के प्रावधान को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यह सब कोटा सिर्फ धार्मिक आधार पर है। इसका और कोई तार्किक आधार नहीं है। 22 दिसंबर, 2011 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम में अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े या अल्पसंख्यकों के लिए जैसे शब्दों का प्रयोग बताता है कि कोटा धर्म के आधार पर दिया गया।

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