Saturday, June 16, 2012


युरोजोन भारत के लिए भी खतरनाक : पीएम
यूरोजोन संकट के जारी रहने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि इससे वैश्विक बाजार और कमजोर होगा और भारत के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. सिंह ने कहा कि वैश्विक विकास की गाड़ी को पटरी पर लाना तात्कालिक विषय है जिस पर दुनिया के देशों के नेताओं को ध्यान देना होगा. प्रधानमंत्री ने मैक्सिको और ब्राजील रवाना होने से पहले यह बात कही. मनमोहन सिंह 18 जून को मैक्सिको के रिसार्ट शहर लास काबोस में सातवें जी-20 शिखर सम्मेलन में और रियो डि जिनेरियो में रियो-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यूरोजोन में आर्थिक संकट और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने की पृष्ठभूमि में जी-20 नेताओं की मुलाकात का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि यूरोप में स्थिति विशेष तौर पर चिंता का विषय है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसकी बड़ी हिस्सेदारी है तथा यह भारत का महत्वपूर्ण कारोबारी और निवेश सहयोगी है. मनमोहन ने कहा, ‘समस्या के लगातार जारी रहने से वैश्विक बाजार और कमजोर होगा और हमारी अपनी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. हम उम्मीद करते हैं कि यूरोपीय नेता पूरी प्रतिबद्धता से उनके समक्ष पेश आ रहे वित्तीय संकट के समाधान के लिए पहल करेंगे.सिंह ने वैश्विक विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने की जरूरत बतायी. उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी है कि जी-20 देश सतत विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करने के लिए समन्वय के साथ काम करें. भारत मजबूत, व्यवहार्य एवं संतुलित विकास ढांचापर कार्यकारी समूह के सह अध्यक्ष की हैसियत से इस उद्देश्य को आगे बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जी-20 में अपने संबोधन के दौरान मैं विकास के आयामों की प्रमुखता सुनिश्चित करने और आधारभूत संरचना में निवेश पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दूंगा.सिंह ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) वैश्विक अर्थव्यवस्था के नये विकास केंद्र हैं.
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स नेताओं ने वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है ताकि अंतरराष्ट्रीय नीतिगत समन्वय, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उपयुक्त माहौल तैयार किया जा सके.
ब्रिक्स का वर्तमान अध्यक्ष होने के नाते भारत जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिक्स नेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की मेजबानी करेगा जिसमें शिखर सम्मेलन के एजेंडे के बारे में विचारों का आदान प्रदान किया जायेगा. रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि रियो 1992 के मुख्य सिद्धांतों को कमजोर नहीं किया जायेगा, विशेष तौर पर साझा सिद्धांतों पर. उन्होंने कहा, ‘1992 में रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन के बाद हमने लम्बी दूरी तय की है. पर्यावरण से जुड़े विषय आज वैश्विक चर्चा का केंद्रीय विषय बन गये हैं. फिर भी हम विकास की दिशा में व्यवहार्य रास्ते को अपनाने से अभी दूर हैं.’ मनमोहन ने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर दूंगा कि हम रियो 1992 के मुख्य सिद्धांतों को कमजोर नहीं करें विशेष तौर पर साझे सिद्धांतों, समानता और अलग अलग जिम्मेदारियों पर, जो व्यवहार्य वैश्विक विकास के प्रयासों का मूल विषय हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात को स्वीकार करना है कि दुनिया भर में विकास के स्तरों पर भेदभाव जारी है और विकासशील देशों के लिए वित्तीय एवं प्रौद्योगिकी समर्थन का प्रावधान किये जाने की जरूरत है. अगर हमें वैश्विक समुदाय के रूप में मिलकर काम करना है, तब हमें पर्यावरण चुनौतियों पर ध्यान देना होगा.मनमोहन ने कहा कि भारत इस संबंध में दुनिया के समान विचार वाले देशों के साथ मिलकर सहमति बनाने का प्रयास करेगा. इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री के रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन, कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर, चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ, श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे, नेपाल के प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई समेत अन्य नेताओं से मिलने की संभावना है.







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