Friday, June 22, 2012


भारत में शिज्ञित युवाओं को है खुदकुशी खतरा 
भारत जिन युवाओं के दम पर वैश्विक महाशक्ति बनने का सपना संजोए हुए है उन युवाओं में खुदकुशी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। भारतीय युवाओं की मौत में खुदक‌ुशी को दूसरी सबसे़ बड़ी वजह माना जा रहा है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) की रिपोर्ट को आधार बनाकर ब्रिटिश मेडिकल जरनल लैसेंट में बताया गया है कि 15-29 साल के भारतीय युवाओं में खुदकुशी की प्रवृत्ति बढी है। खुदकुशी करने वाली युवतियों की औसत उम्र 25 साल है जबकि युवाओं की औसत उम्र 34 साल है। गौरतलब है कि देश में 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है।  रिपोर्ट के अनुसार शिक्षित लोगों के खुदकुशी करने का खतरा ज्यादा है। अशिक्षित पुरूषों की तुलना में 12वीं या उच्च शिक्षा हासिल करने वाले पुरूषों में खुदकुशी करने की आशं‌का 43 फीसदी अधिक है। वहीं महिलाओं में यह खतरा 90 फीसदी तक है। लंदन स्कूल ऑफ हाईजीनिक एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर विक्रम पटेल ने बताया कि 2010 में एक लाख 87 हजार लोगों ने खुदकुशी की। इसमें 49 फीसदी पुरूषों और 44 फीसदी महिलाओं ने कीटनाशक पीकर अपनी जीवन लीला समाप्त की। जहरीले पदार्थ पीकर खुदकुशी करने वालों की तादात सबसे अधिक है। फांसी लगाकर खुदकुशी करने वालों की संख्या दूसरे नंबर है। सिर्फ 2010 में मरने वाले पुरुषों में से 40 फीसदी के मौत का कारण खुदकुशी थी। इसी तरह महिलाओं में 56 प्रतिशत ने खुदकुशी की। 2001-03 के बीच लगभग तीन फीसदी मौत का कारण खुदकुशी रही। प्रोफेसर पटेल का मानना है कि मातृ मृत्यु दर में कमी आई है लेकिन खुदकुशी जल्द ही भारतीय युवतियों में मौत का प्रमुख कारण बन सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में सबसे अधिक 42 फीसदी पुरूषों और 40 फीसदी महिलाओं ने खुदकुशी की है। आंध्र प्रदेश में 28 हजार, तमिलनाडु में 24 हजार और महाराष्ट्र में 19 हजार लोगों ने खुदकुशी की, जिनकी उम्र 15 साल या उससे अधिक थी। दिल्ली में खुदकुशी करने वालों की संख्या सबसे कम रही।




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