Monday, February 13, 2012


 पाक पीएम पर आरोप तय, 27 तक देना होगा जवाब
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी के खिलाफ वहां की सुप्रीम कोर्ट में आरोप तय कर दिए गए हैं। गिलानी के खिलाफ अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने प्रधानमंत्री को २७ फरवरी तक का वक्त जवाब के लिए दिया है। बेंच ने गिलानी के सामने आरोप पेश कर पूछा कि क्या आपने आरोप पत्र पढ़ लिया है? गिलानी ने इसका जवाब 'हां' में दिया। गिलानी के वकील एतजाज ने उन्हें आरोप की बारीकियां समझाईं। आरोपपत्र पर सभी सात जजों के दस्‍तखत हैं। इससे पहले गिलानी आज एक बार फिर खुद कार चलाकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्‍होंने कोर्ट में आज एक बार फिर कहा है कि वे बेकसूर हैं। गिलानी के वकील ने कोर्ट से आरोपों का जवाब देने के लिए 24 फरवरी और दस्तावेज जमा करने के लिए 16 फरवरी तक का वक्त मांगा था। इस बीच, जानकार मान रहे हैं कि कोर्ट के आज के रुख के बाद गिलानी प्रधानमंत्री पद पर बने नहीं रह सकेंगे। 'नवा ए वक्‍त' के संपादक सज्‍जाद मीर ने कहा कि नैतिक रूप से अब गिलानी प्रधानमंत्री नहीं रह गए हैं। उन्‍होंने जरदारी साहब (राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी) के लिए यह कुर्बानी दी है। प्रधानमंत्री पद से उनकी विदाई का ऐलान अब औपचारिकता भर रह गया है। गिलानी ने यदि राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर खोलने से इंकार किया तो देश एक नए राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर सकता है। गिलानी को एक तगड़ा झटका देते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने शुक्रवार को उनकी अवमानना के आरोप तय करने के खिलाफ दायर की गई अपील को खारिज कर दिया था।  गिलानी न्यायालय के बार-बार आदेश के बावजूद राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में धन शोधन के कथित मामलों को फिर से शुरू करने में असफल रहे हैं। 19 जनवरी को अवमानना का मामला जब आया तो गिलानी व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए और कहा कि सरकार राष्ट्रपति के खिलाफ मामलों को फिर से शुरू नहीं कर सकती है क्योंकि उन्हें पाकिस्तान और विदेश में पूरी तरह से छूट हासिल है।  कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि दोषी करार दिये जाने के बाद राष्ट्रपति के पास उन्हें क्षमादान देने का अधिकार है। जानेमाने वकील एवं सांसद एस एम जफर ने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान तभी लागू होगा जब सजा अदालत की ओर से सुनाई जाती है लेकिन उस स्थिति में उनकी दोषसिद्धि रिकार्ड में रहेगी। इसलिए राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान के बावजूद प्रधानमंत्री अयोग्य घोषित हो सकते हैं।  गिलानी की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायालय ने उनसे कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और आपके पास जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से शुरू करने के लिए स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को पत्र लिखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। 
 



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