Wednesday, February 22, 2012

'रसोई गैस और ङीजल के दाम बढाएगें आम आदमी की मुसीबतें'
महंगाई से जूझ रहे आम आदमी पर जल्द ही रसोई गैस और डीजल की मार भी पड़ने वाली है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आए उबाल से तेल विपणन कंपनियों के बढ़ते घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि डीजल की कीमत को चरणबद्ध तरीके से प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त किया जा सकता है। 10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। डीजल के नियंत्रण मुक्त किए जाने से किसानों पर विपरीत प्रभाव पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिएं और कृषि क्षेत्र में निवेश पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों की कीमतें बढ़ाने से मुद्रास्फीति बढ़ती है, इसलिए कीमतें बढाने से बेहतर है कि उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाए, ताकि कृषि क्षेत्र का विकास हो सके। इसके साथ ही विपणन प्रणाली में भी सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए बेहतर विपणन प्रणाली और आपूर्ति व्यवस्था सुदृढ करने की जरूरत है।उल्लेखनीय है कि सरकार पेट्रोल की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप बनाने के लिए उसे प्रशासनिक नियंत्रण से पहले की मुक्त कर चुकी है लेकिन डीजल, रसोई गैस और केरोसीन अभी भी सरकारी नियंत्रण में हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में हो रही वृद्धि से देश की प्रमुख सरकारी तेल विपणन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में 1.30 लाख करोड़ रूपए के घाटे का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बढ़ते घाटे की भरपाई के लिए डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने और रसोई गैस सिलेंडर में कोटा प्रणाली अपनाने का सुझाव दिया गया था। हालांकि राजनीतिक दबावों की वजह से सरकार इस सुझाव पर अब तक अमल नहीं कर पाई है।

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