Monday, April 9, 2012


'फिल्म क्या और कैसी है इसकी जानकारी मिलेगी  पहले'
 नई दिल्ली.जिन फिल्मों में सेक्स, हिंसा या अभद्र भाषा के इस्तेमाल का ओवरडोज है उनके लिए मौजूदा '' सर्टिफिकेट के अलावा 'ए प्लस' जैसी एक नई श्रेणी लाने के सेंसर बोर्ड का मूल प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने इसे इस आधार पर अस्वीकार किया है कि इसकी मॉनिटरिंग कौन करेगा। खासकर तब जबकि इस पर नजर रखना ही मुश्किल हो रहा है कि (स्रोत-वित्त मंत्रालय) एडल्ट फिल्में देखने के लिए 18 पार के लोग सिनेमाहॉल में घुस रहे हैं या उससे कम उम्र के भी।
यह प्रस्ताव सबसे पहले सेंसर बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष शर्मिला टैगोर के कार्यकाल के दौरान आया था। नतीजतन अब सेंसर बोर्ड ने तय किया है कि वह फिल्मों के सर्टिफिकेट देने के साथ सर्टिफिकेट पर यह भी लिखे कि ऐसा सर्टिफिकेट क्यों दिया जा रहा है? भारतीय सेंसर बोर्ड की सीईओ पंकजा ठाकुर दैनिक भास्कर से बातचीत में कहती हैं, 'हाल में हमने यह फैसला लिया है कि सर्टिफिकेट के साथ संक्षेप में उक्त सर्टिफिकेट दिए जाने के कारणों को लिखें। प्रॉड्यूसर को निर्देश होगा कि वे फिल्म के प्रदर्शन के दौरान इसे ऐसे पेश करें ताकि दर्शकों को यह प्रमुखता से दिखे।'जैसे 'देलही बेली' जैसी किसी फिल्म को मिलने वाले '' सर्टिफिकेट के नीचे लिखा जाएगा कि इसमें आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल है या 'डर्टी पिक्चर' जैसी किसी फिल्म के '' सर्टिफिकेट के नीचे लिखा जाएगा कि फिल्म में कुछ दृश्य या संवाद बच्चों के साथ देखने लायक नहीं हैं। सेंसर बोर्ड ने यह फैसला भी लिया है कि प्रोड्यूसरों को दिए जाने वाले सर्टिफिकेट में उसे जिस श्रेणी में रखा जाएगा, उस श्रेणी को विशेष रंगों से चमकाया जाएगा ताकि वे दर्शकों को साफ-साफ दिखें। जैसे '' (एडल्ट ) को सर्टिफिकेट में चटक लाल रंगों से उकेरा जाएगा। लेकिन क्या फिल्म के पोस्टरों पर भी इन सर्टिफिकेट को और फिल्म के कंटेंट को साफ तौर पर लिखवाने की कोशिश हो रही है? पूछने पर पंकजा ठाकुर कहती हैं, 'दुर्भाग्य से पोस्टर और प्रचार राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है जिनमें हमारा सीधा दखल नहीं होता लेकिन प्रोड्यूसरों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे अपनी फिल्मों के पोस्टरों पर फिल्म के कंटेंट और मिलने वाले सर्टिफिकेट को साफ तौर पर लिखें।'सेंसर सर्टिफिकेट की नई प्रस्तावित श्रेणी के बारे में वे कहती हैं कि मौजूदा 'यूए' श्रेणी (जिसका निहितार्थ यह है कि बच्चे पिता के निर्देश या उपस्थिति में ये फिल्में देख सकते हैं) की बजाय दो नई श्रेणी ('12 प्लस' और '15 प्लस') लाई जा रही है जिसे संसद में आगामी शीतकालीन सत्र में अनुमति के लिए सूचना व प्रसारण मंत्रालय पेश करेगा।

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