Thursday, April 5, 2012


'अब 12 वीं के बाद सीधे करें पीएचडी'

स्नातक, परास्नातक फिर विश्वविद्यालय की संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) पास करना, पीएचडी या डीफिल के लिए अब इतनी जहमत उठाने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं, परास्नातक में 55 फीसदी से कम अंक होने के कारण भी पीएचडी/डीफिल से वंचित नहीं होना पड़ेगा।इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आगामी सत्र से ग्लोबलाइजेशन एंड डेवलपमेंट स्टॅडीज में देश का पहला बैचलर कम डीफिल पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है। छात्र-छात्राएं 12वीं के बाद सीधे इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।खास यह कि सात साल के इस कोर्स में दाखिले के लिए विषय की भी कोई पाबंदी नहीं है। किसी भी विषय से 12वीं पास विद्यार्थी प्रवेश ले सकते हैं। कुल स्वीकृत 20 सीटों के लिए विश्वविद्यालय की स्नातक प्रवेश परीक्षा (यूजीएटी) के आधार पर दाखिला होगा। इस तरह के इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए इसे शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।जल्द ही अन्य विषयों में भी इस तरह के पाठ्यक्रम शुरू होंगे। कुलपतियों तथा शिक्षण संस्थानों के हेड की पिछले दिनों हुई बैठक में बैचलर कम डीफिल पाठ्यक्रम का प्रस्ताव रखा गया था। इसका मकसद शोध के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान बढ़ाना तथा इसमें गुणवत्तापरक सुधार है। यूजीसी से इसकी अनुमति मिलने के बाद इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़ते हुए विश्वविद्यालय में इस तरह की पहल की गई है। सात साल के इस पाठ्यक्रम में खास बात यह भी है कि चार साल में स्नातक तथा पांच वर्ष में परास्नातक की डिग्री लेकर बाहर भी हुआ जा सकता है। इसके बाद दो साल के डीफिल पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय की यूजीएटी (बीए, बीएससी और बीकॉम) में शामिल विद्यार्थी विकल्प भर सकते हैं लेकिन 12वीं में कम से कम 50 फीसदी अंक होने चाहिए। इसके अलावा प्रवेश परीक्षा में भी न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ग्लोबलाइजेशन एंड डेवलपमेंट स्टॅडीज विभाग में आगामी सत्र से परास्नातक और डीफिल पाठ्यक्रम भी शुरू होंगे। परास्नातक में पीजीएटी के आधार पर दाखिले होंगे। इसमें बीए, बीएससी, बीकॉम, एमबीए किसी भी स्ट्रीम के विद्यार्थी प्रवेश ले सकते हैं। डीफिल कोर्स में दाखिला के लिए विश्वविद्यालय कीसंयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होना होगा

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