Thursday, April 5, 2012


'सेनाध्यक्ष का पदभार सम्भालनें से पहले ही विवादों में बिक्रम सिहं'
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह की सेनाध्यक्ष पद पर नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें बिक्रम सिंह की नियुक्ति का विरोध किया गया है। यह याचिका सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों एवं वरिष्ठ नौकरशाह की ओर से दाखिल की गई है।पूर्वी कमान के कमांडर ले. जनरल बिक्रम सिंह भारतीय सेना में वरिष्ठतम अधिकारी हैं जो कि जनरल वीके सिंह के बाद सेना प्रमुख बनेंगे। कैबिनेट कमेटी ने सेना प्रमुख पद पर उनकी नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। गत 2 मार्च को उन्हें जनरल वीके सिंह का उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया गया है। बिक्रम सिंह की नियुक्ति का विरोध करने वाली याचिका सात लोगों की ओर से दाखिल की गई है। इसमें एडमिरल रामदास तथा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी शामिल हैं।याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिक्रम सिंह मार्च, 2001 में जम्मू-कश्मीर में हुए फर्जी मुठभेड़ मामले में शामिल थे और इस मामले से संबंधित याचिका जम्मू-कश्मीर हाइ कोर्ट में लंबित है। यह भी आरोप लगाया गया है कि बिक्रम सिंह ने वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान के दौरान गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की थी। ये अधिकारी उन्हीं के मातहत थे। इस मामले में अभी भी सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी लंबित है।याचिका में सीवीसी पीजे थामस की नियुक्ति रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को भारतीय सेना में निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से काम करने में सक्षम अधिकारी नहीं माना जा सकता। आरोप लगाया गया है कि बिक्रम सिंह की नियुक्ति राजनीतिक और निजी हित से प्रभावित है। इसके साथ ही याचिका में जनरल वीके सिंह के उम्र विवाद का भी जिक्र है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 10 फरवरी के आदेश में वीके सिंह की जन्मतिथि का मसला अनसुलझा छोड़ दिया है।

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