Monday, April 9, 2012


'23 दोषी 12 को सजा गुजरात दंगा मामले में'
अहमदाबाद। गुजरात दंगों के दौरान आणंद के ओड गांव में नौ बच्चों एवं नौ महिलाओं समेत 23 लोगों के सामूहिक नरसंहार के मामले में विशेष अदालत ने 23 लोगों को दोषी माना है, जबकि 23 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। दोषियों की सजा का ऐलान 12 अप्रैल को किया जाएगा। उधर, बचाव पक्ष के वकील ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। गौरतलब है कि गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में 58 कारसेवकों को जला दिए जाने के बाद अहमदाबाद से करीब नब्बे किलोमीटर दूर आणंद के खंभोत्तज पुलिस थाना इलाके के ओड गांव में एक हजार से अधिक लोगों की उग्र भीड़ ने मुस्लिम समुदाय के 20 घरो को आग के हवाले कर दिया था जिसमें 9 बच्चों व 9 महिलाओं समेत 23 लोगों की मौत हो गई थी। विशेष जिला सत्र न्यायाधीश पूनम सिंह ने सोमवार को अपने फैसले में इस घटना को क्रूर हत्याकांड बताते हुए कहा कि जिस प्रकार महिलाओं व बच्चों को जलाया गया ऐसा दुर्लभतम मामला है। मारे गए लोगों में अधिकांश किसान एवं श्रमिक परिवार के सदस्य थे। दंगे में अपनी मां, पत्नी व बच्चे गंवाने वाले माजिद मियां शेख का कहना है कि बस न्याय मिलना चाहिए, दंगे में पूरा परिवार उजड़ गया। बीते दस साल न्याय की आस में ही बिता दिए थे फैसले के बाद अब एक आस बंधी है।हाई कोर्ट की ओर से विशेष जांच दल को सौंपे गए 9 विशेष दंगा मामलों में ओड भी एक था। उमरेठ तथा भालेज गांवों के बीच स्थित छोटे से ओड गांव के पीरांवात्ती इलाके में 1 मार्च को इस घटना को अंजाम दिया जिसकी शिकायत रफीक खान ने खंभोत्तज पुलिस थाने में की थी। गुजरात पुलिस इस घटना की तीन चार साल तक जांच करती रही, लेकिन खास नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। अहमदाबाद गुलबर्ग सोसायटी की दंगा पीड़ित जकिया जाफरी की अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के नौ विशेष दंगा मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया था। इन्हीं नौ विशेष मामलों में ओड सामूहिक नरसंहार मामला भी एक था। एसआईटी ने त्वरित जांच करते हुए इस मामले में 12 नवंबर 2009 को आरोप पत्र पेश करते हुए 47 लोगों को आरोपिया बनाया। कोर्ट कार्यवाही के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई, जबकि 46 आरोपियों में से 23 को सोमवार को अदालत ने दोषी माना। दोषियों के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, साजिश रचने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा शांतिभंग की आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप सिद्ध हुए हैं, जिनमें से 18 को हत्या का दोषी माना गया है। सभी 46 आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं एवं बचाव पक्ष के वकील सी के पटेल ने कहा है कि कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, अदालत का फैसला शिरोमान्य है लेकिन फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि 23 आरोपियों को बचा लेना उनके लिए एक उपलब्धि है व दोषी माने गए 23 अन्यों को भी बचाने का प्रयास करेंगे।जबकि सरकारी वकील का कहना है कि विशेष अदालत की ओर से दिया गया आज का फैसला एतिहासिक है, 23 दोषी माने गए आरोपियों में से 18 के खिलाफ हत्या, 4 को हतया के प्रयास का दोषी माना है, जबकि एक अभियुक्त की मौत हो चुकी है। कानूनी प्रक्रिया के तहत कोर्ट ने 158 गवाहों के बयान सुने, 117 प्रत्यक्षदर्शियों से घटना की सिलसिलेवार जानकारी ली तथा करीब 35 सरकारी गवाहों के बयानों के आधार पर यह फैसला सुनाया है। पहले इस मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एस वाई त्रिवेदी कर रहे थे, उनके चले जाने के बाद न्यायाधीश पूनम सिंह ने इस मामले को अंजाम तक पहुंचाया।

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