Tuesday, April 3, 2012


                               'इन तीनों पर  भी है 50 करोड का इनाम'
लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद उन चार आतंकवादियों में से एक है जिन पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा की है। इन चार आतंवादियों की सूची में अफगान तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर भी शामिल है। इन चार आतंकवादियों से ज्यादा इनाम की राशि सिर्फ अलकायदा प्रमुख अयमन अल जवाहिरी पर ही है। अमेरिका ने न्याय के लिए इनाम कार्यक्रम के तहत जवाहिरी पर 2.5 करोड़ डॉलर की इनामी राशि घोषित की है।  चार आतंकवादियों की सूची में 61 वर्षीय सईद के अलावा इराक में अलकायदा के नेता अबु दुआ, मुल्ला उमर और ईरान में अलकायदा का सहयोगी यासिन अल सूरी उर्फ एजेदिन अब्दल अजीज खलील शामिल है जिन पर एक करोड़ डॉलर की इनामी राशि घोषित की गयी है।रिवाडर्स फॉर जस्टिस वेबसाइट के अनुसार सईद को अरबी और इंजीनियरिंग का पूर्व प्राध्यापक तथा जमात-उद-दावा का संस्थापक सदस्य बताया गया है। वेबसाइट के अनुसार यह चरमपंथी इस्लामी संगठन है जिसका मकसद भारत के कुछ हिस्सों और पाकिस्तान में इस्लामी शासन स्थापित करना है। लश्कर-ए-तैयबा इस संगठन की लडाकू शाखा है। वेबसाइट पर कहा गया है कि सईद 2008 के मुंबई आतंकी हमलों सहित विभिन्न आतंकी हमलों का संदिग्ध सरगना है। मुंबई आतंकी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें आगे कहा गया है कि मुंबई आतंकी हमलों में उसकी भूमिका को लेकर भारत ने सईद के खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस जारी कर रखा है वहीं अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने अपने आदेश संख्या 13224 के तहत उसे विशेष निगरानी सूची में रखा है। अमेरिका ने सईद के सहयोगी अब्दुल रहमान मक्की पर 20 लाख डॉलर के इनाम की घोषणा की है। अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को 2001 में विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। अप्रैल 2008 में जमात-उद-दावा को भी यही दर्जा दिया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई आतंकी हमलों के तुरंत बाद दिसंबर 2008 में जमात-उत-दावा को आतंकवादी संगठन घोषित किया था। पंजाब प्रांत सरगोधा में छह मई 1950 को पैदा हुए सईद को मुंबई हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए छह महीने से कम समय तक नजरबंद रखा गया था। लाहौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में रिहा कर दिया गया था।परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में लश्कर को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन पाकिस्तान सरकार ने जमात-उत-दावा पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध नहीं लगाया है।

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