Tuesday, April 3, 2012


'टाट्रा घोटाले में आज गिरफ्तार हो सकते रवि ऋषि'
नई दिल्लीटाट्रा ट्रक सौदे की साजिश 1997 में ही रच गई थी। जब चेकोस्लोवाकिया की मूल कंपनी के विभाजन के बाद इंग्लैंड की टाट्रा कंपनी से ट्रकों की खरीद का करार किया गया। इस संबंध में सीबीआई को अहम सबूत मिले हैं और वह टाट्रा के मालिक रवि ऋषि से आगे की पूछताछ कर घोटाले की कड़िया जोड़ने में जुटी हुई है।रवि ऋषि के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। ऋषि के देश से बाहर जाने का रास्ता बंद करने के बाद उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडराने लगा है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टाट्रा ट्रकों की डील में घोर अनियमितता के सबूत मिले हैं और इसके लिए बीईएमएल, सेना और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ-साथ ऋषि समान रूप से जिम्मेदार है। इस मामले में सीबीआई ने सोमवार को नए सिरे से ऋषि से पूछताछ की।
नियमों के मुताबिक सेना की खरीद में किसी बिचौलिए की भूमिका नहीं होनी चाहिए थी। 1986 में टाट्रा ट्रकों की सौदे में यही हुआ था। यह सौदा सीधे टाट्रा ट्रक बनाने वाली चेकोस्लोवाकिया की कंपनी कंपनी से किया गया था, लेकिन 1997 में नए सिरे से इसके लिए करार किया गया। लेकिन इस बार करार मूल कंपनी से करने के बजाय इंग्लैंड की टाट्रा कंपनी से कर लिया गया, जिसके मालिक रवि ऋषि हैं। मजेदार बात यह है कि टाट्रा ट्रक बनाने वाली मूल कंपनी का अधिकाश मालिकाना हक ऋषि के पास है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घोटाले की शुरुआत यहीं से हुई। सीबीआई के अनुसार रवि ऋषि अपनी ही कंपनी से बनने वाले टाट्रा ट्रकों को दोगुनी कीमत पर बीईएमएल को बेचने लगा, जो बाद में सेना तक पहुंचते थे। इस पूरे खेल में बीईएमएल, रक्षा मंत्रालय और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों समेत सभी का हिस्सा बंटा था। यही कारण है कि 2011 में 600 टाट्रा ट्रकों की खरीद को हरी झडी देने के लिए सेनाध्यक्ष वीके सिंह को 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। सीबीआई सूत्रों के अनुसार घोटाले की साजिश इस तरह रची गई कि जिससे किसी को संदेह नहीं हो। घोटाले के खुलासे के बाद सीबीआई इसमें शामिल रक्षा मंत्रालय, सेना और बीईएमएल के अधिकारियों की भूमिका की जाच में जुटी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मामले में जल्द ही ऋषि समेत कई बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा सकता है।

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