भ्रष्टाचार को लेकर सरकार से जंग का बिगुल फूंकने वाली टीम अन्ना ने कदम वापस खींच लिए हैं। मजबूत लोकपाल की मांग नहीं माने जाने तक अनशन पर बैठी टीम अन्ना अब शुक्रवार शाम पांच बजे ही अनशन खत्म कर देगी। इसका ऐलान करते हुए समाजसेवी अन्ना हजारे ने बृहस्पतिवार को कहा कि अनशन पर वक्त बर्बाद क्यों करें। हमें जनता को राजनीतिक विकल्प देना होगा। अब तैयारी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की होगी।
टीम अन्ना की ओर से यह ऐलान ऐसे समय में आया है, जबकि अनशन स्थल पर पहले जैसी भीड़ नहीं जुट पाई। इसके अलावा सरकार ने भी अभी तक अनशन को लेकर बेरुखी का ही रुख दिखाया है। वहीं, अरविंद केजरीवाल समेत कई अनशनकारियों की बिगड़ती हालत को लेकर दिल्ली पुलिस ने भी टीम अन्ना को अस्पताल में भर्ती होने की चेतावनी दी थी। पिछले साल अप्रैल और अगस्त में हुए अनशनों में टीम अन्ना को मिले जबरदस्त समर्थन ने सरकार को दबाव में ला दिया था।
अन्ना ने कहा कि 2014 आने में अभी डेढ़ साल बाकी है। मुझे लगता है कि सरकार जन लोकपाल नहीं लाएगी। सरकार की मंशा भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की नहीं है। इसलिए हमें आंदोलन को राजनीतिक विकल्प देना पड़ेगा। हालांकि राजनीतिक दल बनाने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने लोगों से अपील कि वह सुझाव दें कि किस तरह राजनीतिक विकल्प मुहैया कराया जा सकता है। जनता को तय करना चाहिए कि किसे टिकट दी जाए। लेकिन दो बातों पर सोचना जरूरी है।
पहला तो यह कि संसद में चरित्रवान ही पहुंचें। इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि नेक व चरित्रवान ही चुनाव लड़ें। दूसरी बात यह कि हमें विकेंद्रीकरण पर जोर देना होगा। ग्राम संसद बनानी होगी जिनके पास गांव के सारे संसाधनों पर नियंत्रण होगा। हमें यह भी देखना होगा कि बिना पैसे के चुनाव हम कैसे लड़ेंगे और जीतेंगे।
अरविंद केजरीवाल और अन्य की बिगड़ती हालत को लेकर अन्ना हजारे से बृहस्पतिवार को 22 प्रमुख हस्तियों ने अनशन तोड़ने की अपील की। इनमें न्यायविद वीआर कृष्णा, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह भी शामिल हैं। इन सभी ने पत्र लिख कर टीम अन्ना से अनशन खत्म करने का आग्रह किया।
क्या अन्ना हजारे ने अचानक अनशन खत्म करने का ऐलान करके अपने सहयोगियों को चौंका दिया। यह सवाल जंतर मंतर पर देर तक तैरता रहा। अन्ना ने यह ऐलान दोपहर बाद चार बजे करीब किया, जबकि इससे पहले दिन उनके और अरविंद केजरीवाल के भाषणों में इसका कोई जिक्र तक नहीं था। केजरीवाल तो राजनीतिक विकल्प के मुद्दे पर दो दिन और इंतजार करने की बात कह चुके थे।
टीम अन्ना की ओर से यह ऐलान ऐसे समय में आया है, जबकि अनशन स्थल पर पहले जैसी भीड़ नहीं जुट पाई। इसके अलावा सरकार ने भी अभी तक अनशन को लेकर बेरुखी का ही रुख दिखाया है। वहीं, अरविंद केजरीवाल समेत कई अनशनकारियों की बिगड़ती हालत को लेकर दिल्ली पुलिस ने भी टीम अन्ना को अस्पताल में भर्ती होने की चेतावनी दी थी। पिछले साल अप्रैल और अगस्त में हुए अनशनों में टीम अन्ना को मिले जबरदस्त समर्थन ने सरकार को दबाव में ला दिया था।
अन्ना ने कहा कि 2014 आने में अभी डेढ़ साल बाकी है। मुझे लगता है कि सरकार जन लोकपाल नहीं लाएगी। सरकार की मंशा भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की नहीं है। इसलिए हमें आंदोलन को राजनीतिक विकल्प देना पड़ेगा। हालांकि राजनीतिक दल बनाने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने लोगों से अपील कि वह सुझाव दें कि किस तरह राजनीतिक विकल्प मुहैया कराया जा सकता है। जनता को तय करना चाहिए कि किसे टिकट दी जाए। लेकिन दो बातों पर सोचना जरूरी है।
पहला तो यह कि संसद में चरित्रवान ही पहुंचें। इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि नेक व चरित्रवान ही चुनाव लड़ें। दूसरी बात यह कि हमें विकेंद्रीकरण पर जोर देना होगा। ग्राम संसद बनानी होगी जिनके पास गांव के सारे संसाधनों पर नियंत्रण होगा। हमें यह भी देखना होगा कि बिना पैसे के चुनाव हम कैसे लड़ेंगे और जीतेंगे।
अरविंद केजरीवाल और अन्य की बिगड़ती हालत को लेकर अन्ना हजारे से बृहस्पतिवार को 22 प्रमुख हस्तियों ने अनशन तोड़ने की अपील की। इनमें न्यायविद वीआर कृष्णा, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह भी शामिल हैं। इन सभी ने पत्र लिख कर टीम अन्ना से अनशन खत्म करने का आग्रह किया।
क्या अन्ना हजारे ने अचानक अनशन खत्म करने का ऐलान करके अपने सहयोगियों को चौंका दिया। यह सवाल जंतर मंतर पर देर तक तैरता रहा। अन्ना ने यह ऐलान दोपहर बाद चार बजे करीब किया, जबकि इससे पहले दिन उनके और अरविंद केजरीवाल के भाषणों में इसका कोई जिक्र तक नहीं था। केजरीवाल तो राजनीतिक विकल्प के मुद्दे पर दो दिन और इंतजार करने की बात कह चुके थे।
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