राष्ट्रपति जरदारी ने 12 जुलाई को इस पर हस्ताक्षर किए थे। इसके खिलाफ कोर्ट में 25 याचिकाएं दायर की गई थीं। इन पर चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने विचार किया और कानून को रद्द कर दिया। अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘अदालत का अवमानना कानून-2012 असंवैधानिक, अवैध और अमान्य घोषित किया जाता है। यह ऐलान किया जाता है कि अदालत की अवमानना अध्यादेश 2003 बहाल माना जाएगा।’
कानूनी जानकारों के अनुसार अब यदि प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने भ्रष्टाचार के मामलों को खोलने से इनकार कर दिया तो उनका भी वही हश्र हो सकता है जो गिलानी का हुआ था। गौरतलब है कि पांच दिन बाद शीर्ष कोर्ट की एक अन्य पीठ जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने की सुनवाई करने वाली है।
इस्लामाबाद। तख्तापलट की साजिश रचने के आरोपी पाकिस्तानी सेना के एक ब्रिगेडियर समेत पांच अधिकारियों को को एक सैन्य अदालत ने प्रतिबंधित समूह ‘हिज्ब-उत-तहरीर’ के साथ संबंध रखने के मामले में सजा सुनाई। सेना की ओर से शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, ब्रिगेडियर अली खान, मेजर इनायत अजीज, मेजर इफ्तिखार, मेजर सोहेल अकबर और मेजर जावेद बशीर के खिलाफ फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल की कार्यवाही पूरी हो गई है। बयान में प्रतिबंधित समूह का नाम नहीं दिया गया है, लेकिन आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह ‘हिज्ब-उत-तहरीर’ ही है।
ब्रिगेडियर खान को पांच साल, मेजर अकबर को तीन साल और मेजर बशीर को दो साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। अन्य दो दोषियों को 18 माह कैद की सजा सुनाई है। बयान में कहा गया है कि ‘पाकिस्तान सैन्य अधिनियम’ के तहत दोषी फैसले के खिलाफ सेना के अपीली न्यायालय में अपील कर सकते हैं। गौरतलब है कि खान पर रावलपिंडी स्थित ‘आर्मी जनरल मुख्यालय’ पर हमले और सरकार का तख्तापलट करने की योजना बनाने का आरोप था। गिरफ्तारी के वक्तखान ‘आर्मी जनरल मुख्यालय’ में नियम और कानून निदेशक थे।
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