नई दिल्ली/सूरत : टीम अन्ना के राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा से अन्ना आंदोलन के समर्थक खुश नहीं हैं। शुक्रवार को अनशन तोड़ने और अरविंद केजरीवाल द्वारा अपनी पार्टी बनाने की घोषणा के एक दिन बाद सूरत के नवसारी में अन्ना हजारे के नाराज समर्थकों ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन व अन्ना के पोस्टर जलाए। ये समर्थक यहां पिछले 10 दिनों से धरना-अनशन पर बैठे थे।
टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने प्रस्तावित राजनीतिक विकल्प पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कोई दल नहीं बल्कि एक `आंदोलन` होगा। धरना स्थल जंतर मंतर पर शुक्रवार को उपस्थित लोगों से केजरीवाल ने कहा, `हमारा उद्देश्य सत्ता हथियाना नहीं है। हम दिल्ली केंद्रित सरकार को खत्म करना और सरकार को गांवों में और लोगों के पास ले जाना चाहते हैं। हमारा स्वरूप एक राजनीतिक दल का न होकर आंदोलन का होगा।` केजरीवाल ने कहा कि जनता घोषणा पत्र बनाएगी। हमारा ढांचा आंदोलन की तरह होगा या फिर जनता जैसा चाहेगी।
टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि राजनीतिक पार्टी का गठन जल्दबाजी होगी और सड़क से संसद तक इस आंदोलन की दिशा जनता तय करेगी। सामाजिक कार्यकर्ता व टीम अन्ना की कोर समिति की सदस्य मेधा पाटकर ने भी टीम अन्ना को उसके फैसलों को लेकर चेताया और कहा कि चुनावी राजनीति में उतरने से पहले किसी को सौ बार सोचना पड़ता है। यदि कोई राजनीति से जुड़ता है तो जो समर्थन उसने हासिल किया हो उसे खोना नहीं चाहिए।
टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने प्रस्तावित राजनीतिक विकल्प पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कोई दल नहीं बल्कि एक `आंदोलन` होगा। धरना स्थल जंतर मंतर पर शुक्रवार को उपस्थित लोगों से केजरीवाल ने कहा, `हमारा उद्देश्य सत्ता हथियाना नहीं है। हम दिल्ली केंद्रित सरकार को खत्म करना और सरकार को गांवों में और लोगों के पास ले जाना चाहते हैं। हमारा स्वरूप एक राजनीतिक दल का न होकर आंदोलन का होगा।` केजरीवाल ने कहा कि जनता घोषणा पत्र बनाएगी। हमारा ढांचा आंदोलन की तरह होगा या फिर जनता जैसा चाहेगी।
टीम अन्ना के एक अन्य सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि राजनीतिक पार्टी का गठन जल्दबाजी होगी और सड़क से संसद तक इस आंदोलन की दिशा जनता तय करेगी। सामाजिक कार्यकर्ता व टीम अन्ना की कोर समिति की सदस्य मेधा पाटकर ने भी टीम अन्ना को उसके फैसलों को लेकर चेताया और कहा कि चुनावी राजनीति में उतरने से पहले किसी को सौ बार सोचना पड़ता है। यदि कोई राजनीति से जुड़ता है तो जो समर्थन उसने हासिल किया हो उसे खोना नहीं चाहिए।
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