जेपीसी से बीजेपी सांसदों के वॉकआउट के बाद कांग्रेस को डर सता रहा है कि मुख्य विपक्षी पार्टी दबाव बनाने के लिए लोकसभा से अपने सांसदों के सामूहिक इस्तीफे दिलवा सकती है। हालांकि, बीजेपी ने संसदीय समितियों और लोकसभा से उसके सासंदों के संभावित इस्तीफे की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा देने जैसे खबरों से इनकार किया है। सुषमा स्वराज ने लोकसभा से सांसदों के सामूहिक इस्तीफे की खबरों को मनगढ़ंत बताया है। पार्टी सूत्रों ने संसदीय समितियों और जेपीसी छोड़ने की बात से भी इनकार किया। उन्होंने कहा है कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। इससे पहले खबरें आई थीं कि कैग रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा ने केंद्र पर दबाव बढ़ाने के लिए लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा देने की रणनीति बनाई है। भाजपा के सदस्य जेपीसी से भी बाहर आ सकते हैं।
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले गुरुवार को बीजेपी की बैठक हुई। इसके बाद पार्टी सूत्र ने बताया कि लोकसभा से सभी सांसदों के इस्तीफे की रिपोर्ट पूरी तरह से मनगढ़ंत है। पार्टी ने संसदीय समितियों और जेपीसी छोड़ने की बात से भी इनकार किया और कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है।बुधवार रात यूपीए कोऑर्डिनेशन कमिटी की मीटिंग में घटल दलों के नेताओं ने संसद में जारी गतिरोध पर चर्चा की। नेताओं की राय थी कि दबाव बढ़ाने के लिए सभी संसदीय समितियों से बीजेपी के सांसद अपना नाम वापस ले सकते हैं। यूपीए नेताओं को आशंका है कि बीजेपी के सांसद लोकसभा की सदस्यता से सामूहिक इस्तीफा देकर अस्थिरता को भी बढ़ा सकते हैं।
कांग्रेस ने भी इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारी भी कर ली थी। बुधवार देर शाम हुई यूपीए कॉआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि यदि भाजपा सांसद इस्तीफा देते हैं तो आम चुनाव कराने के बजाए भाजपा की 114 सीटों पर ही उपचुनाव करवा दिया जाएगा। यूपीए कॉआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शरद पवार, अजीत सिंह और फारुक अब्दुल्ला आदि शामिल थे।.कोयला आवंटन घोटाले के मुद्दे पर बीजेपी ने सरकार को लगातार तीसरे दिन भी घेरा हुआ है। गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए जोरदार हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार टालनी पड़ रही है। लगातार तीन दिन से संसद में तीन मिनट भी कामकाज नहीं हो पा रहा है। गतिरोध दूर करने के लिए राज्यसभा के सभापित ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। लेकिन इस बैठक में एनडीए शामिल नहीं हुआ। बैठक बेनतीजा खत्म हो गई।
प्रधानमंत्री इस मसले पर बयान देने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन विपक्ष सीधे उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। इस बीच, अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की है कि वे 'कोयला घोटाले' का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के घरों के बाहर प्रदर्शन करें।
सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों से कहा है कि हमें बचाव की मुद्वा में नहीं रहना है बल्कि भाजपा पर पलटवार करना है। वे जनता की इस तरह से अवेलहना नहीं कर सकते। अंदेशा है कि इस मुद्दे पर अब बीजेपी बड़ा राजनीतिक दांव खेल सकती है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए बीजेपी के सभी लोकसभा सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। इसे पार्टी का प्लान-2 बताया जा रहा है। इस्तीफे के सिलसिले की शुरुआत बीजेपी के सदस्य संसद की सभी समितियों से इस्तीफे के साथ कर सकते हैं। पार्टी सभी तरह की संसदीय समिति से इस्तीफे का एलान कर सकती है। बीजेपी नेताओं ने बुधवार शाम संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से वॉकआउट करते हुए इस्तीफे की धमकी देकर अपने तेवर जता दिए हैं। पार्टी का एक धड़ा इस बात के हक में है कि कम से कम पार्टी के सभी सदस्यों को संसदीय समितियां छोड़ देनी चाहिए। माना जा रहा है कि संसदीय समितियों से इस्तीफे की रणनीति पर भाजपा जल्द ही अमल कर सकती है। हालांकि, औपचारिक तौर पर बीजेपी अभी इस्तीफे की खबरों से इनकार कर रही है। गुरुवार को बीजेपी ने साफ किया है कि अभी पार्टी का किसी भी संसदीय समिति से बाहर आने का कोई इरादा नहीं है।
इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार जिस तरह से संसदीय समितियों को ध्वस्त कर रही है, ऐसे में समिति के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लगता है। भाजपा सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए स्थायी, तदर्थ सहित सभी तरह की संसदीय समितियोंसे उसके सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। इसके लिए भाजपा सदस्यों को तैयार करने को कहा गया है। वरिष्ठ बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट को लेकर पार्टी ने प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। हम इस मांग को निर्णायक मोड़ तक ले जाएंगे। उन्होंने संकेत दिया कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे के लिए सरकार पर दबाव बनाने को लेकर भाजपा के पास कई विकल्प और रणनीति हैं जिसका खुलासा उचित समय पर पार्टी करेगी।
लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी के इस दांव की काट खोजनी शुरू कर दी है। यूपीए कोऑर्डिनेशन कमिटी की बुधवार शाम हुई बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी लोकसभा सांसदों के संभावित इस्तीफे पर मंथन किया। बैठक में पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि अगर बीजेपी के 114 लोकसभा सदस्य संसद से इस्तीफा देते हैं तो देश में मध्यावधि चुनाव नहीं बल्कि उपचुनाव होंगे। पार्टी की रणनीति के मुताबिक अगर बीजेपी अपनी सभी सीटें जीतती है तो भी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर कांग्रेस इन 114 सीटों में कुछ भी हासिल करती है तो अगले आम चुनावों के लिए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनने लगेगा। मतलब साफ है कि कांग्रेस को लगता है कि दोनों स्थितियों में बीजेपी को कोई खास फायदा नहीं होगा।
इससे पहले कोल ब्लॉक बंटवारे पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से संपर्क किया, लेकिन वहां उसे निराशा हाथ लगी। संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने पर भी उसे जद-यू जैसे मित्र दल से भी पूरा साथ नहीं मिल रहा। जबकि यूपीए की समन्वय समिति की बैठक में घटक दल प्रधानमंत्री के पक्ष में खड़े दिखे। सबने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। हालांकि कोयला घोटाले के केंद्र में आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस के सहयोगी दल संसद और उसके बाहर खुलकर सामने नहीं आ रहे। वैसे सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मौका मिलने पर अपनी लड़ाई खुद लडऩे की तैयारी पूरी कर ली है। इसे देख ही बीजेपी के रणनीतिकारों ने संसदीय समितियों से बाहर आने और लोकसभा से सामूहिक इस्तीफे की रणनीति पर विचार करना शुरू किया था।
कांग्रेस ने भी इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारी भी कर ली थी। बुधवार देर शाम हुई यूपीए कॉआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि यदि भाजपा सांसद इस्तीफा देते हैं तो आम चुनाव कराने के बजाए भाजपा की 114 सीटों पर ही उपचुनाव करवा दिया जाएगा। यूपीए कॉआर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शरद पवार, अजीत सिंह और फारुक अब्दुल्ला आदि शामिल थे।.कोयला आवंटन घोटाले के मुद्दे पर बीजेपी ने सरकार को लगातार तीसरे दिन भी घेरा हुआ है। गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए जोरदार हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार टालनी पड़ रही है। लगातार तीन दिन से संसद में तीन मिनट भी कामकाज नहीं हो पा रहा है। गतिरोध दूर करने के लिए राज्यसभा के सभापित ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। लेकिन इस बैठक में एनडीए शामिल नहीं हुआ। बैठक बेनतीजा खत्म हो गई।
प्रधानमंत्री इस मसले पर बयान देने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन विपक्ष सीधे उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। इस बीच, अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की है कि वे 'कोयला घोटाले' का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के घरों के बाहर प्रदर्शन करें।
सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों से कहा है कि हमें बचाव की मुद्वा में नहीं रहना है बल्कि भाजपा पर पलटवार करना है। वे जनता की इस तरह से अवेलहना नहीं कर सकते। अंदेशा है कि इस मुद्दे पर अब बीजेपी बड़ा राजनीतिक दांव खेल सकती है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए बीजेपी के सभी लोकसभा सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। इसे पार्टी का प्लान-2 बताया जा रहा है। इस्तीफे के सिलसिले की शुरुआत बीजेपी के सदस्य संसद की सभी समितियों से इस्तीफे के साथ कर सकते हैं। पार्टी सभी तरह की संसदीय समिति से इस्तीफे का एलान कर सकती है। बीजेपी नेताओं ने बुधवार शाम संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से वॉकआउट करते हुए इस्तीफे की धमकी देकर अपने तेवर जता दिए हैं। पार्टी का एक धड़ा इस बात के हक में है कि कम से कम पार्टी के सभी सदस्यों को संसदीय समितियां छोड़ देनी चाहिए। माना जा रहा है कि संसदीय समितियों से इस्तीफे की रणनीति पर भाजपा जल्द ही अमल कर सकती है। हालांकि, औपचारिक तौर पर बीजेपी अभी इस्तीफे की खबरों से इनकार कर रही है। गुरुवार को बीजेपी ने साफ किया है कि अभी पार्टी का किसी भी संसदीय समिति से बाहर आने का कोई इरादा नहीं है।
इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार जिस तरह से संसदीय समितियों को ध्वस्त कर रही है, ऐसे में समिति के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लगता है। भाजपा सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए स्थायी, तदर्थ सहित सभी तरह की संसदीय समितियोंसे उसके सदस्य इस्तीफा दे सकते हैं। इसके लिए भाजपा सदस्यों को तैयार करने को कहा गया है। वरिष्ठ बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट को लेकर पार्टी ने प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। हम इस मांग को निर्णायक मोड़ तक ले जाएंगे। उन्होंने संकेत दिया कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे के लिए सरकार पर दबाव बनाने को लेकर भाजपा के पास कई विकल्प और रणनीति हैं जिसका खुलासा उचित समय पर पार्टी करेगी।
लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी के इस दांव की काट खोजनी शुरू कर दी है। यूपीए कोऑर्डिनेशन कमिटी की बुधवार शाम हुई बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी लोकसभा सांसदों के संभावित इस्तीफे पर मंथन किया। बैठक में पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि अगर बीजेपी के 114 लोकसभा सदस्य संसद से इस्तीफा देते हैं तो देश में मध्यावधि चुनाव नहीं बल्कि उपचुनाव होंगे। पार्टी की रणनीति के मुताबिक अगर बीजेपी अपनी सभी सीटें जीतती है तो भी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर कांग्रेस इन 114 सीटों में कुछ भी हासिल करती है तो अगले आम चुनावों के लिए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनने लगेगा। मतलब साफ है कि कांग्रेस को लगता है कि दोनों स्थितियों में बीजेपी को कोई खास फायदा नहीं होगा।
इससे पहले कोल ब्लॉक बंटवारे पर सरकार पर दबाव बनाने के लिए भाजपा ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से संपर्क किया, लेकिन वहां उसे निराशा हाथ लगी। संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने पर भी उसे जद-यू जैसे मित्र दल से भी पूरा साथ नहीं मिल रहा। जबकि यूपीए की समन्वय समिति की बैठक में घटक दल प्रधानमंत्री के पक्ष में खड़े दिखे। सबने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। हालांकि कोयला घोटाले के केंद्र में आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस के सहयोगी दल संसद और उसके बाहर खुलकर सामने नहीं आ रहे। वैसे सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने मौका मिलने पर अपनी लड़ाई खुद लडऩे की तैयारी पूरी कर ली है। इसे देख ही बीजेपी के रणनीतिकारों ने संसदीय समितियों से बाहर आने और लोकसभा से सामूहिक इस्तीफे की रणनीति पर विचार करना शुरू किया था।
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