नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर टीम अन्ना आज शाम 5 बजे 10 दिनों से जारी अपना अनशन खत्म कर देगी। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह जंतर−मंतर पहुंचकर अनशन तुड़वाएंगे। सरकार के साथ उम्र विवाद को लेकर चर्चा में रहे वीके सिंह जंतर-मंतर आने वाले हैं, जहां अन्ना और उनके सहयोगी अनशन पर बैठे हैं। टीम अन्ना सदस्य प्रशांत भूषण ने दोपहर में प्रदर्शनकारियों को बताया कि जनरल सिंह, अन्ना को उपवास तोड़ने के लिए जूस पिलाएंगे।
गौरतलब है कि सिंह उन 21 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने गुरुवार को टीम अन्ना से उनका अनशन तोड़ने की अपील की थी और कहा था कि उन्हें अपनी ऊर्जा वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था को सुधारने में इस्तेमाल करनी चाहिए। गुरुवार को अन्ना ने कहा था कि देश को राजनैतिक विकल्प देना जरूरी है। 2014 के आम चुनाव की तैयारी की बात कहकर अन्ना ने कहा कि ऐसे में अनशन में वक्त बर्बाद करना ठीक नहीं है। अन्ना के इस ऐलान का जहां कई लोग समर्थन कर रहे हैं, वहीं इसका विरोध भी हो रहा है। टीम अन्ना इस मुद्दे पर लगातार सफाई दे रही है। टीम अन्ना के सदस्य कुमार विश्वास ने एनडीटीवी से कहा कि टीम ने जनता के सामने एक विकल्प रखा है और जाहिर है कि कुछ लोग सहमत होंगे, तो कुछ असहमत। गुरुवार को टीम अन्ना और अन्ना के अनशन को खत्म करने की देश की बड़ी हस्तियों ने अपील की जिसके बाद अनशन के नौवें दिन अन्ना ने इस बात का ऐलान किया कि मौजूदा हालात में उन्हें लोगों को एक राजनीतिक विकल्प देना होगा।
अन्ना ने गुरुवार को मंच से कहा कि मैं राजनीतिक विकल्प देने के पक्ष में हूं। देश को ऐसे धर्मनिरपेक्ष विकल्प की जरूरत है। मंच से दिए गए अपने करीब 30 मिनट के भाषण में अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार जब झुकने को तैयार नहीं तो जनता के सामने उसका विकल्प रखना जरूरी हो जाता है।
टीम अन्ना के राजनीति में उतरने का संकेत देते हुए अन्ना ने कहा था कि 2014 के चुनावों में अब दो साल बचे हैं। हमें डेढ़ साल देशभर में घुमना है इसलिए अब अनशन करने का फायदा नहीं है। अन्ना के इस ऐलान के बाद गुरुवार शाम बड़ी तादाद में लोग जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए।
वहीं टीम अन्ना के अनशनकारी सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नई पार्टी के स्वरूप, प्रत्याशियों के चयन के तरीके पर फैसला जनता से राय लेने के बाद लिया जाएगा।
उधर, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि चुनावी राजनीति में कदम रखने से पहले टीम अन्ना को 100 बार सोचना चाहिए। मेधा ने कहा कि राजनीति में जाकर उन्हें वही करना होगा जो बाकी सब करते हैं।
राजनीति में आने के टीम अन्ना के एलान से उनके निशाने पर रही पार्टियों के नेता खुश हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसे टीम अन्ना के ऐसे इरादे का अंदाजा पहले से था। केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि सियासत में आने के बाद टीम अन्ना जमीनी हकीकत समझ आएगी।
राजनीति में उतरने के टीम अन्ना के फैसले से बीजेपी के चेहरे पर शिकन नहीं है। बीजेपी का मानना है कि अगर टीम अन्ना अपने उम्मीदवार खड़े करती है तो नुकसान कांग्रेस को होगा न कि बीजेपी का। पार्टी को टीम अन्ना के इरादों की भनक पहले से ही थी इसीलिए उसने इस बार अनशन को समर्थन नहीं दिया।
गौरतलब है कि सिंह उन 21 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने गुरुवार को टीम अन्ना से उनका अनशन तोड़ने की अपील की थी और कहा था कि उन्हें अपनी ऊर्जा वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था को सुधारने में इस्तेमाल करनी चाहिए। गुरुवार को अन्ना ने कहा था कि देश को राजनैतिक विकल्प देना जरूरी है। 2014 के आम चुनाव की तैयारी की बात कहकर अन्ना ने कहा कि ऐसे में अनशन में वक्त बर्बाद करना ठीक नहीं है। अन्ना के इस ऐलान का जहां कई लोग समर्थन कर रहे हैं, वहीं इसका विरोध भी हो रहा है। टीम अन्ना इस मुद्दे पर लगातार सफाई दे रही है। टीम अन्ना के सदस्य कुमार विश्वास ने एनडीटीवी से कहा कि टीम ने जनता के सामने एक विकल्प रखा है और जाहिर है कि कुछ लोग सहमत होंगे, तो कुछ असहमत। गुरुवार को टीम अन्ना और अन्ना के अनशन को खत्म करने की देश की बड़ी हस्तियों ने अपील की जिसके बाद अनशन के नौवें दिन अन्ना ने इस बात का ऐलान किया कि मौजूदा हालात में उन्हें लोगों को एक राजनीतिक विकल्प देना होगा।
अन्ना ने गुरुवार को मंच से कहा कि मैं राजनीतिक विकल्प देने के पक्ष में हूं। देश को ऐसे धर्मनिरपेक्ष विकल्प की जरूरत है। मंच से दिए गए अपने करीब 30 मिनट के भाषण में अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार जब झुकने को तैयार नहीं तो जनता के सामने उसका विकल्प रखना जरूरी हो जाता है।
टीम अन्ना के राजनीति में उतरने का संकेत देते हुए अन्ना ने कहा था कि 2014 के चुनावों में अब दो साल बचे हैं। हमें डेढ़ साल देशभर में घुमना है इसलिए अब अनशन करने का फायदा नहीं है। अन्ना के इस ऐलान के बाद गुरुवार शाम बड़ी तादाद में लोग जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए।
वहीं टीम अन्ना के अनशनकारी सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि नई पार्टी के स्वरूप, प्रत्याशियों के चयन के तरीके पर फैसला जनता से राय लेने के बाद लिया जाएगा।
उधर, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि चुनावी राजनीति में कदम रखने से पहले टीम अन्ना को 100 बार सोचना चाहिए। मेधा ने कहा कि राजनीति में जाकर उन्हें वही करना होगा जो बाकी सब करते हैं।
राजनीति में आने के टीम अन्ना के एलान से उनके निशाने पर रही पार्टियों के नेता खुश हैं। कांग्रेस का कहना है कि उसे टीम अन्ना के ऐसे इरादे का अंदाजा पहले से था। केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि सियासत में आने के बाद टीम अन्ना जमीनी हकीकत समझ आएगी।
राजनीति में उतरने के टीम अन्ना के फैसले से बीजेपी के चेहरे पर शिकन नहीं है। बीजेपी का मानना है कि अगर टीम अन्ना अपने उम्मीदवार खड़े करती है तो नुकसान कांग्रेस को होगा न कि बीजेपी का। पार्टी को टीम अन्ना के इरादों की भनक पहले से ही थी इसीलिए उसने इस बार अनशन को समर्थन नहीं दिया।
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