सेना लड रही है माही को बचाने की "जंग"
माही को
बचाने की मुहिम पूरी शिद्दत से जारी है। बचाव कार्य में जुटी सेना और लोगों को
उम्मीद है कि माही अभी भी जिंदा है, हालांकि लोगों की जुबान पर अनहोनी के कयास भी हैं।
बोरवेल में डाले गए सीसीटीवी कैमरे के जरिए माही की जो तस्वीर मिली है उसमें बच्ची
का हाथ दिख रहा है मगर वहां कुछ हरकत नजर नहीं आई।
सूत्रों के अनुसार खोदे जा रहे सुरंग और बोरवेल के बीच एक बड़ी चट्टान आ गई है। जिससे माही को निकालने में कुछ और समय लग सकता है। माही को बचाने के लिए शुक्रवार को बोरवेल के समानांतर खोदे गए गड्ढे से नीचे उतरा सैनिक दो बार दिशा भ्रम के कारण भटक गया था। इसके बाद दिल्ली से ग्राउंड पैरिकेटिंग राडार मशीन मंगवाई गई, ताकि सही दिशा में खुदाई की जा सके। बृहस्पतिवार रात तक सेना के जवानों ने पाइलिंग मशीन के जरिए लगभग 75 फीट गहरा गड्ढा खोद लिया था। इसके बाद असली मेहनत शुरू हुई, जब बोरवेल के ठीक नीचे की दिशा में खुदाई शुरू करनी थी। राडार की मदद से माही की स्थिति का सही अंदाजा लगाया जा सकेगा। बोरवेल के अंदर पाइप के जरिए ऑक्सीजन भेजी जा रही है। वहां से कार्बनडाइऑक्साइड निकालने के लिए भी अलग से पाइप डाला गया है। बचाव के काम में सेना, फायर विभाग, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के 100 से अधिक अधिकारी लगे हुए हैं। गुड़गांव रैपिड मेट्रो भी बचाव कार्य में जुटी हुई है। गुड़गांव के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बच्ची को सही सलामत बाहर निकालने के लिए कोशिशें जारी हैं। इस सिलसिले में सभी निर्देश दे दिए गए हैं। इस लापरवाही (बोरवेल को खुला छोडने) के लिए जो कोई भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ केस तैयार किया जा रहा है। गौरतलब है कि माही बुधवार रात 11 बजे बोरवेल में गिर गई थी।
-बच्ची को बचाने के काम में चट्टानों ने बड़ी बाधा खड़ी कर दी थी। बोरवेल और उसके साथ खोदे गए गड्ढे को आपस में जोड़ने के दौरान ये चट्टानें सामने आईं। इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है।
पीसी मीना, डिप्टी कमिश्नर
सूत्रों के अनुसार खोदे जा रहे सुरंग और बोरवेल के बीच एक बड़ी चट्टान आ गई है। जिससे माही को निकालने में कुछ और समय लग सकता है। माही को बचाने के लिए शुक्रवार को बोरवेल के समानांतर खोदे गए गड्ढे से नीचे उतरा सैनिक दो बार दिशा भ्रम के कारण भटक गया था। इसके बाद दिल्ली से ग्राउंड पैरिकेटिंग राडार मशीन मंगवाई गई, ताकि सही दिशा में खुदाई की जा सके। बृहस्पतिवार रात तक सेना के जवानों ने पाइलिंग मशीन के जरिए लगभग 75 फीट गहरा गड्ढा खोद लिया था। इसके बाद असली मेहनत शुरू हुई, जब बोरवेल के ठीक नीचे की दिशा में खुदाई शुरू करनी थी। राडार की मदद से माही की स्थिति का सही अंदाजा लगाया जा सकेगा। बोरवेल के अंदर पाइप के जरिए ऑक्सीजन भेजी जा रही है। वहां से कार्बनडाइऑक्साइड निकालने के लिए भी अलग से पाइप डाला गया है। बचाव के काम में सेना, फायर विभाग, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के 100 से अधिक अधिकारी लगे हुए हैं। गुड़गांव रैपिड मेट्रो भी बचाव कार्य में जुटी हुई है। गुड़गांव के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बच्ची को सही सलामत बाहर निकालने के लिए कोशिशें जारी हैं। इस सिलसिले में सभी निर्देश दे दिए गए हैं। इस लापरवाही (बोरवेल को खुला छोडने) के लिए जो कोई भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ केस तैयार किया जा रहा है। गौरतलब है कि माही बुधवार रात 11 बजे बोरवेल में गिर गई थी।
-बच्ची को बचाने के काम में चट्टानों ने बड़ी बाधा खड़ी कर दी थी। बोरवेल और उसके साथ खोदे गए गड्ढे को आपस में जोड़ने के दौरान ये चट्टानें सामने आईं। इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है।
पीसी मीना, डिप्टी कमिश्नर
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