राष्ट्रपति
की उम्मीदवारी को लेकर प्रणब सोनिया मे गुप्तगू
नई दिल्ली: कैसे और कौन बनेगा राष्ट्रपति ? ये दोनों
बाते अब बेहद खास हो गई हैं। बुधवार को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पर तृणमूल
कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जो सियासी चाल
चली है, उससे पूरी रणनीति ही बदल गई है।
इस पूरे मसले पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन, क्या कलाम, मनमोहन और सोमनाथ चटर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश करने से पहले ममता−मुलायम ने इनसे बात करना भी ज़रूरी नहीं समझा? क्या कांग्रेस को यह जरूरी नहीं लगा कि वह अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी हो और कहे कि किसी के दबाव में वह मनमोहन सिंह को बदलने नहीं जा रही है? क्या मुलायम−ममता की पहल के साथ दूसरी पार्टियां भी जुड़ेंगी? क्या कांग्रेस अब नए सिरे से मुलायम−ममता से मोलतोल करेगी और क्या अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ नए नाम सामने आएंगे? सवालों का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता, लेकिन इस बीच गुरुवार सुबह प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर मुलाकात की। 20 मिनट तक चली इस बैठक में रक्षामंत्री एके एंटनी भी मौजूद थे और बाद में पी चिदंबरम भी 10, जनपथ पर पहुंचे। इसी मुद्दे पर शाम को कांग्रेस कोर कमेटी की भी अहम बैठक होने वाली है।
अब तक कैबिनेट से प्रणब दा राष्ट्रपति पद के इकलौते उम्मीदवार थे, लेकिन ममता-मुलायम ने एक झटके में उन्हें अपने ही प्रधानमंत्री के सामने ला खड़ा किया।
लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। अगर मनमोहन सिंह का नाम राष्ट्रपति पद के लिए जोर पकड़ लेता है, तो इसका मतलब है कि कांग्रेस को एक नया प्रधानमंत्री चुनना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी में प्रणब से बेहतर इसका दावेदार और कौन हो सकता है...तो आज राष्ट्रपति पद और शायद प्रधानमंत्री पद के दो−दो दावेदार आमने-सामने होंगे। ऐसे में कैबिनेट बैठक का माहौल तनाव भरा हो सकता है। कम से कम गैर−कांग्रेसी दल तो यही चाहते होंगे। वैसे अगर इन दोनों की मर्जी चले, तो प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन जाना चाहेंगे और प्रधानमंत्री सात रेस कोर्स रोड नहीं छोड़ना चाहेंगे। दिलचस्प यह है कि मुलायम और ममता ने जो तीन नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश किए उनसे पहले बात करने की जरूरत ही नहीं समझी। लोकसभा के अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने एनडीटीवी से साफ कहा कि उनकी किसी भी राजनैतिक दल से बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा, मुझे यह भी नहीं पता कि ममता और मुलायम ने किन वजहों से मेरे नाम का प्रस्ताव रखा है। हालांकि अपने नाम के प्रस्ताव से मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
उधर, म्यांमार से लौटते वक्त मनमोहन सिंह ने भी कहा कि वह जहां हैं, खुश हैं। उधर, बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर यूपीए में ही मतभेद का आरोप लगाया है। एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि सभी पार्टियों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। बीजू जनता दल के नेता जय पांडा ने कहा है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए वह पीए संगमा के नाम पर ही कायम हैं।
लेफ्ट के नेता डी राजा ने कहा है कि अभी नामों को लेकर सिर्फ अटकलें हैं, जब तक कोई एक नाम सामने नहीं आता, लेफ्ट कोई फैसला नहीं लेगा।
इस पूरे मसले पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन, क्या कलाम, मनमोहन और सोमनाथ चटर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश करने से पहले ममता−मुलायम ने इनसे बात करना भी ज़रूरी नहीं समझा? क्या कांग्रेस को यह जरूरी नहीं लगा कि वह अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़ी हो और कहे कि किसी के दबाव में वह मनमोहन सिंह को बदलने नहीं जा रही है? क्या मुलायम−ममता की पहल के साथ दूसरी पार्टियां भी जुड़ेंगी? क्या कांग्रेस अब नए सिरे से मुलायम−ममता से मोलतोल करेगी और क्या अब राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ नए नाम सामने आएंगे? सवालों का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता, लेकिन इस बीच गुरुवार सुबह प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी के साथ उनके आवास पर मुलाकात की। 20 मिनट तक चली इस बैठक में रक्षामंत्री एके एंटनी भी मौजूद थे और बाद में पी चिदंबरम भी 10, जनपथ पर पहुंचे। इसी मुद्दे पर शाम को कांग्रेस कोर कमेटी की भी अहम बैठक होने वाली है।
अब तक कैबिनेट से प्रणब दा राष्ट्रपति पद के इकलौते उम्मीदवार थे, लेकिन ममता-मुलायम ने एक झटके में उन्हें अपने ही प्रधानमंत्री के सामने ला खड़ा किया।
लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। अगर मनमोहन सिंह का नाम राष्ट्रपति पद के लिए जोर पकड़ लेता है, तो इसका मतलब है कि कांग्रेस को एक नया प्रधानमंत्री चुनना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी में प्रणब से बेहतर इसका दावेदार और कौन हो सकता है...तो आज राष्ट्रपति पद और शायद प्रधानमंत्री पद के दो−दो दावेदार आमने-सामने होंगे। ऐसे में कैबिनेट बैठक का माहौल तनाव भरा हो सकता है। कम से कम गैर−कांग्रेसी दल तो यही चाहते होंगे। वैसे अगर इन दोनों की मर्जी चले, तो प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन जाना चाहेंगे और प्रधानमंत्री सात रेस कोर्स रोड नहीं छोड़ना चाहेंगे। दिलचस्प यह है कि मुलायम और ममता ने जो तीन नाम राष्ट्रपति पद के लिए पेश किए उनसे पहले बात करने की जरूरत ही नहीं समझी। लोकसभा के अध्यक्ष रहे सोमनाथ चटर्जी ने एनडीटीवी से साफ कहा कि उनकी किसी भी राजनैतिक दल से बात नहीं हुई है। उन्होंने कहा, मुझे यह भी नहीं पता कि ममता और मुलायम ने किन वजहों से मेरे नाम का प्रस्ताव रखा है। हालांकि अपने नाम के प्रस्ताव से मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
उधर, म्यांमार से लौटते वक्त मनमोहन सिंह ने भी कहा कि वह जहां हैं, खुश हैं। उधर, बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर यूपीए में ही मतभेद का आरोप लगाया है। एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि सभी पार्टियों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। बीजू जनता दल के नेता जय पांडा ने कहा है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए वह पीए संगमा के नाम पर ही कायम हैं।
लेफ्ट के नेता डी राजा ने कहा है कि अभी नामों को लेकर सिर्फ अटकलें हैं, जब तक कोई एक नाम सामने नहीं आता, लेफ्ट कोई फैसला नहीं लेगा।
No comments:
Post a Comment