निर्वाचन आयोग पांच राज्यों में होने वाले चुनाव की तारीखों की घोषणा आज शाम 4.30 बजे करेगा। वहीं अगर सूत्रों के हवाले से देखा जाए तो चुनाव आयोग यूपी में 3 से 23 फरवरी के बीच चुनाव कराना चाहता है।
गृह मंत्रालय ने आज चुनाव आयोग को बताया कि वह फरवरी से मार्च के बीच संभावित चुनावों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के लिए अद्र्धसैनिक बलों की 700 से 800 कंपनियां (करीब 70 हजार से 80 हजार जवान:) तैनात करने के लिए तैयार है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि चार घंटे तक चली उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, चुनाव आयुक्त वी एस संपत और एच एस ब्रह्मा, केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। गृह सचिव की चुनाव आयुक्तों के साथ निर्वाचन सदन में एक घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक के बारे में हालांकि आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने आयोग द्वारा मांगे गए अर्धसैनिक बलों में से केवल 85 फीसदी अर्धसैनिक बल ही उपलब्ध करा पाने में समर्थता जताई है। मांग से कम बलों की उपलब्धता का सीधा अर्थ यही होगा कि पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव एक चरण में संभव नहीं हो पाएंगे। ऐसे में बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश में कई चरणों में चुनाव की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने पांचों राज्यों के चुनाव के लिए अर्धसैनिक बलों की 240 कंपनियां मांगी थी लेकिन गृह मंत्रालय फिलहाल केवल 205 कंपनियां ही मुहैया करा पाने में समर्थ है। ऐसे में आयोग इन बलों का चरणों में प्रयोग करेगा और एक स्थान पर चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद इन बलों को अन्य क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।संकेत मिले हैं कि पंजाब, गोवा व उत्तराखंड में एक ही चरण में चुनाव होंगे। आयोग ने चुनाव में नशीले पदार्थो के इस्तेमाल की रोकथाम के लिए मादक पदार्थ महानिदेशक ओपीएस मलिक को भी प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्वाचन सदन में तलब किया। अगले साल पांच प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य पुलिस बल के अलावा अद्र्धसैनिक बलों के करीब 80 हजार जवानों को भी तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मतदान एक से अधिक चरणों में होगा इसलिए गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह उसके मुताबिक अपनी तैयार कर रहा है और जरूरी सुरक्षा बल मुहैया कराएगा। सर्वाधिक जवान राजनीतिक रूप से संवेदनशील उत्तर प्रदेश में तैनात किये जाने की संभावना है जो देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है और यहां 403 विधानसभा सीट हैं। प्रदेश में पांच चरणों में मतदान होने की संभावना है। वहीं पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में पिछले चुनावों में अपेक्षाकृत हिंसा की कम घटनाएं देखी गयी हैं। मणिपुर में लंबे समय तक उग्रवाद रहा और वहां शांतिपूर्ण मतदान के लिए भारी सुरक्षा बंदोबस्त किये जा सकते हैं। इन चारों राज्यों में संभवत: एक चरण में मतदान की संभावना है।केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के साथ शुक्रवार शाम तीनों निर्वाचन आयुक्तों की लंबी बैठक के साथ ही निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। मौजूदा उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च, पंजाब का 14 मार्च, मणिपुर का 15 मार्च, उ.प्र का 20 मई व गोवा विधानसभा का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है। नियमों के मुताबिक, आयोग को इन विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नए सदनों का गठन सुनिश्चित करना है। चूंकि कार्यकाल समाप्त होने से 6 माह पहले आयोग किसी भी समय चुनाव कराने में सक्षम है इसलिए उ.प्र व गोवा के चुनाव भी एक साथ ही कराए जाने की योजना है।
गृह मंत्रालय ने आज चुनाव आयोग को बताया कि वह फरवरी से मार्च के बीच संभावित चुनावों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के लिए अद्र्धसैनिक बलों की 700 से 800 कंपनियां (करीब 70 हजार से 80 हजार जवान:) तैनात करने के लिए तैयार है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि चार घंटे तक चली उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, चुनाव आयुक्त वी एस संपत और एच एस ब्रह्मा, केंद्रीय गृह सचिव आर के सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। गृह सचिव की चुनाव आयुक्तों के साथ निर्वाचन सदन में एक घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक के बारे में हालांकि आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने आयोग द्वारा मांगे गए अर्धसैनिक बलों में से केवल 85 फीसदी अर्धसैनिक बल ही उपलब्ध करा पाने में समर्थता जताई है। मांग से कम बलों की उपलब्धता का सीधा अर्थ यही होगा कि पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव एक चरण में संभव नहीं हो पाएंगे। ऐसे में बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश में कई चरणों में चुनाव की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने पांचों राज्यों के चुनाव के लिए अर्धसैनिक बलों की 240 कंपनियां मांगी थी लेकिन गृह मंत्रालय फिलहाल केवल 205 कंपनियां ही मुहैया करा पाने में समर्थ है। ऐसे में आयोग इन बलों का चरणों में प्रयोग करेगा और एक स्थान पर चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद इन बलों को अन्य क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।संकेत मिले हैं कि पंजाब, गोवा व उत्तराखंड में एक ही चरण में चुनाव होंगे। आयोग ने चुनाव में नशीले पदार्थो के इस्तेमाल की रोकथाम के लिए मादक पदार्थ महानिदेशक ओपीएस मलिक को भी प्रभावी कदम उठाने के लिए निर्वाचन सदन में तलब किया। अगले साल पांच प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य पुलिस बल के अलावा अद्र्धसैनिक बलों के करीब 80 हजार जवानों को भी तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मतदान एक से अधिक चरणों में होगा इसलिए गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह उसके मुताबिक अपनी तैयार कर रहा है और जरूरी सुरक्षा बल मुहैया कराएगा। सर्वाधिक जवान राजनीतिक रूप से संवेदनशील उत्तर प्रदेश में तैनात किये जाने की संभावना है जो देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है और यहां 403 विधानसभा सीट हैं। प्रदेश में पांच चरणों में मतदान होने की संभावना है। वहीं पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में पिछले चुनावों में अपेक्षाकृत हिंसा की कम घटनाएं देखी गयी हैं। मणिपुर में लंबे समय तक उग्रवाद रहा और वहां शांतिपूर्ण मतदान के लिए भारी सुरक्षा बंदोबस्त किये जा सकते हैं। इन चारों राज्यों में संभवत: एक चरण में मतदान की संभावना है।केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के साथ शुक्रवार शाम तीनों निर्वाचन आयुक्तों की लंबी बैठक के साथ ही निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। मौजूदा उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च, पंजाब का 14 मार्च, मणिपुर का 15 मार्च, उ.प्र का 20 मई व गोवा विधानसभा का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है। नियमों के मुताबिक, आयोग को इन विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नए सदनों का गठन सुनिश्चित करना है। चूंकि कार्यकाल समाप्त होने से 6 माह पहले आयोग किसी भी समय चुनाव कराने में सक्षम है इसलिए उ.प्र व गोवा के चुनाव भी एक साथ ही कराए जाने की योजना है।
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