Friday, December 30, 2011


          ....तो आखिर लटक ही गया लोकपाल बिल

              

नई दिल्ली।। लोकपाल बिल कम से कम फरवरी तक के लिए टल गया है। राज्य सभा में लंबी बहस और हंगामे के बीच सरकार ने वोटिंग नहीं होने दी। आखिरकार रात 12 बजे हंगामे के बीच सभापति हामिद अंसारी ने राज्य सभाअनिश्चित काल तक के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। लोकपाल बिल के पास न होने पर टीम अन्ना ने सरकार परहमला किया और कहा कि कोई भी यूपीए पर भरोसा नहीं कर सकता। 
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने जानबूझ कर बिल को लटकाया। बीजेपी का आरोप काफी हद तक सही लगता है क्योंकि राज्यसभा में यूपीए का बहुमत नहीं था और तृणमूल कांग्रेस जैसे सहयोगी भी उसका साथ देने को तैयार नहीं थे। ऐसे में राज्यसभा में बिल का गिरना तय था। सदन में हार से बचने के लिए सरकार ने पहले तो जानबूझ कर बहस को लंबा खींचा और बाद में समय की कमी का बहाना बनाकर वोटिंग नहीं होने दी। 
कांग्रेस के बिल लटकाने की मंशा का साथ आरजेडी ने भी खूब दिया। आरजेडी के सांसद राजनीति प्रसाद ने बहस के दौरान बिल की कॉपी फाड़ दी और इस पर काफी हंगामा मचा। इसके बाद बहस खत्म हो गई और कार्मिक राज्य मंत्री नारायणसामी ने सरकार की तरफ से लोकपाल बिल पर लंबा-चौड़ा जवाब दिया। रात में करीब साढ़े ग्यारह बजे राज्य सभा की कार्रवाई 15 मिनट के लिए स्थगितभी की गई। हालांकि सरकार ने भी विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष ने 187 संशोधन पेश किए, जिन पर 1 दिन में वोटिंग मुमकिन नहीं थी। 
यह कहना गलत होगा कि सरकार ने बिल पास नहीं होने दिया क्योंकि राज्य सभा में कांग्रेस के अल्पमत में होने की वजह से बिल केवल संशोधनों के साथ ही पास हो पाता। और फिर यह लोकसभा में जाता यानी बिल को हर हाल में लटकना ही था। अब सरकार के पास यही रास्ता बचा है कि मार्च तक सहयोगी दलों को मना ले या फिर संयुक्त अधिवेशन बुला कर बिल पास करवाए। 
राज्य सभा में जब बिल पर बहस चल रही थी, तो बाहर सरकार अपनी रणनीति बनाने में जुटी रही। कांग्रेसकोर कमिटी की बैठक के साथ ही पार्टियों से संपर्क साधा गया था। प्रधानमंत्री और प्रणव मुखर्जी ने ममता बनर्जी को मनाने की नाकाम कोशिश की।

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