500 करोड़ के घोटाले के लिये हो जाइये तैयार
पिछले कुछ समय में हुए अनगिनत घोटालों से अगर आप त्रस्त नहीं हुए हैं तो एक और घोटाले के लिये तैयार हो जाइये. जी हाँ, दिल्ली के प्रेस क्लब में आज हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में असोसिएशन ऑफ रजिस्ट्रेशन फॉर प्लेट मनुफैक्चर के प्रेज़िडेंट रवि सोमानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुछ भ्रष्ट अफ़सरों के समूह द्वारा हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेटों का कॉन्ट्रैक्ट एक ऊँचे दामों वाली कंपनी को दिलाने जा रहा है जो अगर हो गया तो भविष्य में कम से कम 500 करोड़ का घोटाला होने की पूरी संभावना है.
दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एचएसआरपी प्रयोजन के लिये मई 2011,में मूलत एक टेंडर पेश किया गया तथा 13 जून 2011 को एक प्री-बिड मीटिंग भी बुलाई गई थी जिसमें यूपी के परिवहन विभाग द्वारा इच्छुक निर्माताओं से सुझाव लिये गये और नोट किये गये, लेकिन 21 जून 2011 को जब संशोधन की घोषणा की गई तो एसोसिएशन को धक्का लगा कि प्री-बिड मीटिंग में निर्णित सुझावों पर ध्यान करने के बजाय यूपी सरकार द्वारा टेंडर की शर्तों में बदलाव कर दिये गये जिसमें नई परिभाषा तथा शर्तों में बदलाव कर खुली प्रतिस्पर्धा की जगह पर किसी खास कंपनी के लिये बना दिया गया.
उत्तर प्रदेश सरकार के इस तानाशाही व पक्षपाती रवैये से आहत एसोसिएशन ने कई बार पत्र के माध्यम से शिमनित उच्च इण्डिया प्रा0 लि0 बारे में आरोप लगाया कि उक्त कंपनी का टेंडर गोवा और कर्नाटक राज्य में कपटपूर्ण व्यवहार और अधिक मूल्य के कारण निरस्त हुआ है. इस पर परिवहन डिपार्टमेंट ने पत्र के माध्यम से गोवा और कर्नाटक राज्यों से टेंडर निरस्त होने का कारण जानना चाहा जिसपर दोनों सरकारों से पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि जैसा कि एसोसिएशन ने आरोप लगाया, उसे सही पाया गया.
एसोसिएशन की प्रेज़िडेंट के अनुसार शिमनित उच्च और टान्जेस ईस्टर्न सिक्योरिटी, दोनों कंपनियों द्वारा जो तथ्य पेश किये गए थे उसे दो बार नहीं मानकर तीसरी बार न जाने किस दबाव के कारण उन्हीं तथ्यों के आधार पर न्याय विभाग ने परामर्श बदल दिया.
इसके अलावा अभी हाल ही में विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब,हरियाणा, उत्तराखण्ड, दिल्ली, गुजरात और त्रिपुरा में एचएसआरपी के लिये टेंडर किया गया लेकिन इनमें से किसी भी राज्य द्वारा ऐसी सोची समझी शर्त नहीं रखी गई थी जिससे आम जनता को हानि हो.
इससे यह साबित होता है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अधिकारी जनहित की परवाह न करके अपने व्यक्ति हित को ध्यान में रखकर इच्छुक कंपनियों के अनुसार मनमाने ढंग से कार्य कर रहें हैं.
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