क्या हो पाएगा लोकपाल बिल पास?
ममता अड़ी रहीं, तो लटक जाएगा लोकपाल बिल
नईदिल्ली।। राज्यसभा में
जैसे जैसे लोकपाल बिल पर बहस आगे बढ़ रही है, बिल पास कराने की सरकार की उम्मीदें
धुंधली पड़ती दिख रही हैं। विपक्ष तो बिल में संशोधनों पर अड़ा है ही, सरकार के लिए
सबसे बड़ी मुश्किल उसके ही सहयोगी दल तृण
मूल कांग्रेस ने खड़ी कर दी है।ऐसे में अब लोकपाल बिल का लटकना या फिर गिरना तय माना जा रहा है।
मूल कांग्रेस ने खड़ी कर दी है।ऐसे में अब लोकपाल बिल का लटकना या फिर गिरना तय माना जा रहा है।
क्या हो सकता है
1-पहला विकल्पः सरकार बिल के लिए राज्य सभा में बहुमत जुटाए और पास कराए।
लेकिन सरकार के लिए यह दूर की कौड़ी दिख रही है।
2-दूसरा विकल्पः संशोधनों के साथ बिल पास हो। अगर ऐसा होता है तो इसे वापस लोकसभा को भेजा जाएगा। छह महीने बाद लोकसभा के अगले सत्र में बिल के संशोधनों पर चर्चा होगी। लोकसभा ने संशोधन नहीं माने तो जॉइंट सेशन बुलाकर सरकार को बिल पास कराना होगा। इस तरह बिल छह महीने तक लटक जाएगा।
3- तीसरा विकल्पः सेंस ऑफ हाउस लेकर बिल को सलेक्ट कमिटी को भेजा जाएगा , जो इस पर विचार करेगी। इसमें भी बिल का लटकना तय।
राज्यसभा में लोकपाल बिल पर कुल 173 संशोधन प्रस्ताव हैं। यूपीए की सहयोगी पार्टी तृणमूल ने भी बिल मेंसे राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने संबंधी प्रावधान को हटाने के लिए संशोधन का नोटिस दिया है। ऐसा मानाजा रहा है कि तृणमूल संशोधन पर वोटिंग की जिद कर सकती है। तृणमूल की इस ' जिद ' को एसपी , बीएसपीऔर आरजेडी का भी सपोर्ट है। अब कुछ ही देर में कांग्रेस कोर कमिटी की बैठक होने वाली है। इसमें लोकपालबिल को राज्य सभा में पास कराने को लेकर रणनीति तय की जाएगी।
जानकारों का कहना है कि अगर तृणमूल का यह संशोधन वोटिंग में पास हो जाता है तो लोकपाल बिल इससेशन में लटक जाएगा। बिल को फिर से लोकसभा में इन संशोधनों पर विचार करने के लिए भेज दिया जाएगा।इस तरह लोकपाल बिल इस सेशन में पास नहीं हो पाएगा।
राज्य सभा में 6 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस ने उच्च सदन में इस बिल पर चर्चा शुरू होने से पहले साफ करदिया कि वह लोकायुक्त वाले प्रावधान का पूरी ताकत से विरोध करेगी। पार्टी के नेता और जहाजरानी राज्य मंत्रीमुकुल रॉय ने कहा , ' हम इस बारे में संशोधन पहले ही पेश कर चुके हैं और अब उस पर दबाव बनाएंगे। '
जानकारों का कहना है कि लोकायुक्त के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक के खिलाफ भी वोट कर सकती है।हालांकि मुकुल रॉय ने इस बाबत कहा है कि फिलहाल ऐसा कोई सवाल नहीं उठता है।
2-दूसरा विकल्पः संशोधनों के साथ बिल पास हो। अगर ऐसा होता है तो इसे वापस लोकसभा को भेजा जाएगा। छह महीने बाद लोकसभा के अगले सत्र में बिल के संशोधनों पर चर्चा होगी। लोकसभा ने संशोधन नहीं माने तो जॉइंट सेशन बुलाकर सरकार को बिल पास कराना होगा। इस तरह बिल छह महीने तक लटक जाएगा।
3- तीसरा विकल्पः सेंस ऑफ हाउस लेकर बिल को सलेक्ट कमिटी को भेजा जाएगा , जो इस पर विचार करेगी। इसमें भी बिल का लटकना तय।
राज्यसभा में लोकपाल बिल पर कुल 173 संशोधन प्रस्ताव हैं। यूपीए की सहयोगी पार्टी तृणमूल ने भी बिल मेंसे राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने संबंधी प्रावधान को हटाने के लिए संशोधन का नोटिस दिया है। ऐसा मानाजा रहा है कि तृणमूल संशोधन पर वोटिंग की जिद कर सकती है। तृणमूल की इस ' जिद ' को एसपी , बीएसपीऔर आरजेडी का भी सपोर्ट है। अब कुछ ही देर में कांग्रेस कोर कमिटी की बैठक होने वाली है। इसमें लोकपालबिल को राज्य सभा में पास कराने को लेकर रणनीति तय की जाएगी।
जानकारों का कहना है कि अगर तृणमूल का यह संशोधन वोटिंग में पास हो जाता है तो लोकपाल बिल इससेशन में लटक जाएगा। बिल को फिर से लोकसभा में इन संशोधनों पर विचार करने के लिए भेज दिया जाएगा।इस तरह लोकपाल बिल इस सेशन में पास नहीं हो पाएगा।
राज्य सभा में 6 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस ने उच्च सदन में इस बिल पर चर्चा शुरू होने से पहले साफ करदिया कि वह लोकायुक्त वाले प्रावधान का पूरी ताकत से विरोध करेगी। पार्टी के नेता और जहाजरानी राज्य मंत्रीमुकुल रॉय ने कहा , ' हम इस बारे में संशोधन पहले ही पेश कर चुके हैं और अब उस पर दबाव बनाएंगे। '
जानकारों का कहना है कि लोकायुक्त के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक के खिलाफ भी वोट कर सकती है।हालांकि मुकुल रॉय ने इस बाबत कहा है कि फिलहाल ऐसा कोई सवाल नहीं उठता है।
रॉय ने कहा कि बिल पर चर्चा पूरी हो जाने के बाद मतदान का सवाल उठेगा। लेकिन अभी तक तृणमूललोकायुक्त नियुक्त करने संबंधी विधेयक के भाग -3 को हटाने की अपनी राय पर मजबूती के साथ खड़ी है।
उन्होंने कहा , ' हम सिर्फ लोकायुक्त प्रावधान हटाने का दबाव बना रहे हैं। हमें लोकपाल वाले हिस्से से कोईसमस्या नहीं है। हम राज्यों में लोकायुक्त बनाए जाने के पक्ष में हैं , लेकिन ऐसा राज्य खुद करेंगे , न कि केन्द्र कीओर से ऐसा होगा। '
उन्होंने कहा , ' हम सिर्फ लोकायुक्त प्रावधान हटाने का दबाव बना रहे हैं। हमें लोकपाल वाले हिस्से से कोईसमस्या नहीं है। हम राज्यों में लोकायुक्त बनाए जाने के पक्ष में हैं , लेकिन ऐसा राज्य खुद करेंगे , न कि केन्द्र कीओर से ऐसा होगा। '
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