अन्ना की तबियत खराब कोर कमेठी ने की बैठक रद्द
रालेगण सिद्धि । सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की तबीयत खराब होने की वजह
से टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक टल गई है। पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक
लोकपाल पर आगे की रणनीति तय करने के लिए यह बैठक 2 और 3 जनवरी को रालेगण सिद्धि में होनी
थी। अन्ना के निजी सहायक सुरेश पठारे ने बताया कि अन्ना की तबीयत अभी पूरी तरह
ठीक नहीं है, इसलिए यह बैठक टल गई है।
उन्होंने बताया कि अन्ना हजारे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। कोर कमेटी की अगली बैठक की तारीखों का ऐलान चार-पांच दिन के बाद किया जाएगा।
इससे पहले टीम अन्ना ने राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पास नहीं होने की पूरी जिम्मेदारी सरकार पर डाली। उसका कहना है कि राज्यसभा में पेश किए संशोधनों में कुछ बहुत अहम और बढ़िया थे। इन्हें मान कर सरकार आसानी से बिल पास करवा सकती थी। टीम की अहम सदस्य किरन बेदी ने तो सभापति हामिद अंसारी के निर्णय पर ही सवाल उठा दिया। उनका कहना है कि सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब वह ऊपर उठ सकता है। सभापति के लिए इतिहास बनाने के लिहाज से ऐसी एक रात थी।
भले ही अन्ना हजारे को अपना लोकपाल आंदोलन और अनशन बीच में ही छोड़कर उठना पड़ा हो, लेकिन अब टीम अन्ना अपने आंदोलन के दायरे को और व्यापक रूप देने की बात कर रही है। अरविंद केजरीवाल और शांति भूषण ने कहा कि राज्यसभा में गुरुवार की रात जो हुआ है, उसके बाद तो अब लोकतंत्र को बचाने की मुहिम चलानी होगी। केजरीवाल ने कहा,गैर-कांग्रेसी पार्टियों की ओर से जो संशोधन पेश किए गए थे, उनमें सब फिजूल नहीं थे। खासकर दो संशोधन तो ऐसे थे, जिनको मानने से लोकपाल और मजबूत होता। इनमें एक था सीबीआई की स्वतंत्रता और दूसरा लोकपाल की नियुक्ति व इसे हटाने का प्रावधान।
शांति भूषण ने कहा, सरकार ने यह कहते हुए गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही पूरी नहीं होने दी कि समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, जबकि इसे आसानी से बढ़ाया जा सकता था। साफ है कि सरकार की मंशा ही नहीं थी कि लोकपाल बिल पास हो।
उन्होंने बताया कि अन्ना हजारे के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। कोर कमेटी की अगली बैठक की तारीखों का ऐलान चार-पांच दिन के बाद किया जाएगा।
इससे पहले टीम अन्ना ने राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पास नहीं होने की पूरी जिम्मेदारी सरकार पर डाली। उसका कहना है कि राज्यसभा में पेश किए संशोधनों में कुछ बहुत अहम और बढ़िया थे। इन्हें मान कर सरकार आसानी से बिल पास करवा सकती थी। टीम की अहम सदस्य किरन बेदी ने तो सभापति हामिद अंसारी के निर्णय पर ही सवाल उठा दिया। उनका कहना है कि सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब वह ऊपर उठ सकता है। सभापति के लिए इतिहास बनाने के लिहाज से ऐसी एक रात थी।
भले ही अन्ना हजारे को अपना लोकपाल आंदोलन और अनशन बीच में ही छोड़कर उठना पड़ा हो, लेकिन अब टीम अन्ना अपने आंदोलन के दायरे को और व्यापक रूप देने की बात कर रही है। अरविंद केजरीवाल और शांति भूषण ने कहा कि राज्यसभा में गुरुवार की रात जो हुआ है, उसके बाद तो अब लोकतंत्र को बचाने की मुहिम चलानी होगी। केजरीवाल ने कहा,गैर-कांग्रेसी पार्टियों की ओर से जो संशोधन पेश किए गए थे, उनमें सब फिजूल नहीं थे। खासकर दो संशोधन तो ऐसे थे, जिनको मानने से लोकपाल और मजबूत होता। इनमें एक था सीबीआई की स्वतंत्रता और दूसरा लोकपाल की नियुक्ति व इसे हटाने का प्रावधान।
शांति भूषण ने कहा, सरकार ने यह कहते हुए गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही पूरी नहीं होने दी कि समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, जबकि इसे आसानी से बढ़ाया जा सकता था। साफ है कि सरकार की मंशा ही नहीं थी कि लोकपाल बिल पास हो।
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