Saturday, December 31, 2011

बेहद जरुरी है लोकपाल तो मंजूर होना भी जरुरी है


नववर्ष के अवसर पर राष्ट्र को दिए भाषण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार एक व्यापक समस्या है जिससे बहु आयामी उपायों से ही निपटा जा सकता है।सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बोलते  हुए पीएम ने कहा कि वो व्यक्तिगत स्तर पर काम करके सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को कम करने और प्रभावी सरकार कायम करने के लिए काम करेंगे।प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त मजबूत कानून साबित होते। सरकार मजबूत लोकपाल लाने के लिए प्रतिबद्ध थी, लोकपाल बिल का राज्यसभा से पास न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।मनमोहन सिंह ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं और इनका परीणाम आने में समय लगेगा इसलिए हमे संयम कायम रखना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार पर चिंता केंद्र में है लेकिन हमें नई चुनौतियां पर भी चिंतन करना चाहिए।आर्थिक चुनौतियों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं देश की आर्थिक स्थिरता को लेकर चिंता में हूं। पिछले तीन सालों में देश का वित्तिय घाटा बढ़ा है।लोकपाल कानून पर तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह साल के अंतिम दिन अहम संदेश दिया। उन्होंने कहा कि देश में लोकपाल और लोकायुक्त की सख्त जरूरत है। करप्शन को कम करने में इनकी अहम भूमिका होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि करप्शन को जड़ से खत्म करने में अभी वक्त लगेगा। इसके लिए सिर्फ लोकपाल कानून की नहीं अन्य कानूनों की भी जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम मजबूत लोकपाल कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि इसके पहले गृहमंत्री पी. चिंदबरम सरकार का बचाव करते हुए कहा कि हमारे पास आधी रात को लोकपाल बिल के मामले को सुलझाने का और कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि एकमात्र दूरदर्शी तरीका यही था कि लोकपाल पर बहस को अधूरा रखा जाए , ताकि बजट सत्र में इस पर चर्चा की जा सके। गृहमंत्री ने विश्वास जताया है कि सरकार बजट सेशन के पहले तृणमूल कांग्रेस को लोकपाल पर अपने साथ कर लेगी। लोकपाल विधेयक पर विपक्ष के हमले के बीच कांग्रेस ने कहा कि यह जल्द ही वापस आएगा। पार्टी का कहना है कि यह बिल न तो मरा है न ही यह आईसीयू में है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह बयान राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद दिया , जिसमें उन्होंने संवैधानिक दर्जे के साथ सशक्त लोकपाल विधेयक लाने तक आराम न करने का वादा किया था। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक रैली में राहुल ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि यह महज उनका नहीं बल्कि पूरी दे

    लोकपाल पर कोई दूसरा उपाय नही था :चिदंबरम
       
 गृहमंत्री पी. चिंदबरम ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि हमारे पास आधी रात को लोकपाल बिल के मामले को सुलझाने का और कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि एकमात्र दूरदर्शी तरीका यही था कि लोकपाल पर बहस को अधूरा रखा जाए ताकि बजट सत्र में इस पर चर्चा की जा सके। गृहमंत्री ने विश्वास जताया है कि सरकार बजट सेशन के पहले तृणमूल कांग्रेस को लोकपाल पर अपने साथ कर लेगी। 
उधर, लोकपाल विधेयक पर विपक्ष के हमले के बीच कांग्रेस ने कहा कि यह जल्द ही वापस आएगा। पार्टी का कहना है कि यह बिल न तो मरा है न ही यह आईसीयू में है। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह बयान राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद दिया जिसमें उन्होंने संवैधानिक दर्जे के साथ सशक्त लोकपाल विधेयक लाने तक आराम न करने का वादा किया था।
 

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक रैली में राहुल ने लोकपाल को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाने के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि यह महज उनका नहीं बल्कि पूरी देश के युवाओं का सपना था और कांग्रेस तब तक आराम नहीं करेगी जब तक यह पूरा नहीं हो जाता। 

        समुद्री तूफान ठाने ने ली 40 की जान 
चेन्नै।। बंगाल की खाड़ी से उठे साइक्लोन 'ठाणे' तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में जबर्दस्त तबाही मचाई है। तूफान से तमिलनाडु का कुड्डालूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। तूफान से अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कुड्डालोर में 21 लोग, विल्लुपुरम और तिरुवल्लूर में क्रमश: दो-दो, चेन्नै में एक और पुडुचेरी में 7 लोगों के मरने की खबर है। कुड्डालोर में मछुआरों के पांच हजार घर ध्वस्त हो गए। सड़कें क्षतिग्रस्त होने से राहतकर्मियों को साइक्लोन प्रभावित कई स्थानों पर पहुंचने में दिक्कत आ रही है। 
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने तुरंत राहत के लिए 150 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। साथ ही चार मंत्रियों को चक्रवात प्रभावित इलाकों में जाने का निर्देश दिया। 
साइक्लोन के कारण दक्षिणी तमिलनाडु से ट्रेन सेवाएं प्रभावित रहीं। अधिकांश ट्रेनें देरी से चलीं और कई को पास के स्टेशनों पर रोक दिया गया। वहीं चेन्नै से कुवैत और मलेशिया समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय रूटों के लिए उड़ानें रद्द कर दी गई। पुडुचेरी जिला अधिकारी एसबी दीपक कुमार के अनुसार राहत कार्य तेजी से चल रहा है। सड़कों पर पड़े पेड़ों को हटाया जा रहा है। क्षेत्रीय मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में दक्षिण-पश्चिम में उठा ठाणे शुक्रवार सुबह 6:30 से 7:30 बजे के बीच कुड्डालोर व पुडुचेरी के बीच उत्तरी तमिलनाडु तट को पार कर पश्चिम की ओर बढ़ गया। मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल तूफान कमजोर पड़ गया है और कुड्डालोर से 35 किलोमीटर पश्चिम में तथा पुडुचेरी से 35 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में केंद्रित है। इस दौरान हवा की रफ्तार 140 किलोमीटर की रही। 
मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात के असर से उत्तरी तमिलनाडु के तट और पुडुचेरी में अगले 12 घंटों में और उत्तरी तमिलनाडु के अंदरूनी इलाकों में अगले 24 घंटों में भारी वर्षा हो सकती है। तटीय आंध्रप्रदेश और रायलसीमा क्षेत्र, उत्तरी केरल और दक्षिणी कर्नाटक में भी अगले 24 घंटों में भी वर्षा हो सकती है।

   अन्ना की तबियत खराब कोर कमेठी ने की बैठक रद्द

रालेगण सिद्धि । सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की तबीयत खराब होने की वजह से टीम अन्‍ना की कोर कमेटी की बैठक टल गई है। पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक लोकपाल पर आगे की रणनीति तय करने के लिए यह बैठक 2 और 3 जनवरी को रालेगण सिद्धि में होनी थी। अन्‍ना के निजी सहायक सुरेश पठारे ने बताया कि अन्ना की तबीयत अभी पूरी तरह ठीक नहीं है, इसलिए यह बैठक टल गई है। 
उन्‍होंने बताया कि अन्‍ना हजारे के स्‍वास्‍थ्‍य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। कोर कमेटी की अगली बैठक की तारीखों का ऐलान चार-पांच दिन के बाद किया जाएगा।
 
इससे पहले टीम अन्ना ने राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पास नहीं होने की पूरी जिम्मेदारी सरकार पर डाली। उसका कहना है कि राज्यसभा में पेश किए संशोधनों में कुछ बहुत अहम और बढ़िया थे। इन्हें मान कर सरकार आसानी से बिल पास करवा सकती थी। टीम की अहम सदस्य किरन बेदी ने तो सभापति हामिद अंसारी के निर्णय पर ही सवाल उठा दिया। उनका कहना है कि सभी के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब वह ऊपर उठ सकता है। सभापति के लिए इतिहास बनाने के लिहाज से ऐसी एक रात थी।
 
भले ही अन्ना हजारे को अपना लोकपाल आंदोलन और अनशन बीच में ही छोड़कर उठना पड़ा हो, लेकिन अब टीम अन्ना अपने आंदोलन के दायरे को और व्यापक रूप देने की बात कर रही है। अरविंद केजरीवाल और शांति भूषण ने कहा कि राज्यसभा में गुरुवार की रात जो हुआ है, उसके बाद तो अब लोकतंत्र को बचाने की मुहिम चलानी होगी। केजरीवाल ने कहा,गैर-कांग्रेसी पार्टियों की ओर से जो संशोधन पेश किए गए थे, उनमें सब फिजूल नहीं थे। खासकर दो संशोधन तो ऐसे थे, जिनको मानने से लोकपाल और मजबूत होता। इनमें एक था सीबीआई की स्वतंत्रता और दूसरा लोकपाल की नियुक्ति व इसे हटाने का प्रावधान।
 

शांति भूषण ने कहा, सरकार ने यह कहते हुए गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही पूरी नहीं होने दी कि समय सीमा को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, जबकि इसे आसानी से बढ़ाया जा सकता था। साफ है कि सरकार की मंशा ही नहीं थी कि लोकपाल बिल पास हो।

भारत- जापान  रिश्तो से 'चीन' नाखुश

पेइचिंग।। भारत और जापान के बीच बढ़ती नजदीकियों से चीन में बेचैनी है। जापान द्वारा हथियारों के निर्यात पर दशकों से लगा बैन हटाने और भारत के साथ रक्षा सहयोग गहरा करने जैसे कदमों को चीन के सरकारी मीडिया ने चिंता का कारण बताया है। 
चाइना डेली के मुताबिक, भारत और जापान के बीच 15 बिलियन डॉलर का मुद्रा विनिमय समझौता हुआ है। इसके अलावा, जापानी कंपनियां अब अमेरिका के अलावा दूसरे देशों के साथ भी हथियारों के विकास पर काम कर सकेंगी। जापान और भारत की नौसेनाएं अगले साल अपना पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास भी कर सकती हैं। अखबार ने जापान, भारत और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय वार्ता का भी जिक्र किया है। चाइना डेली ने पेइचिंग स्थित चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल स्टडीज के रिसर्चर शी यिनहॉन्ग के हवाले से कहा कि जापान द्वारा सैन्य ताकत बढ़ाने की कोशिशों से पूरे एशिया में खतरनाक संकेत जाएंगे। 
शंगहाई स्थित इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनैशनल स्टडीज में साउथ एशिया रिसर्च डिपार्टमेंट के डायरेक्टर झाओ गानचेंग ने दावा किया कि भारत और जापान के बीच हथियार समझौते से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। राजनीतिक सुरक्षा के लिहाज से जापान, अमेरिका और भारत जैसे देशों से जुड़कर चीन का मुकाबला करना चाहता है। 

       चुनाव के एक साल पहले FRI तो टिकट नहीं
नई दिल्ली।। चुनाव से एक साल पहले तक किसी गंभीर अपराध में चार्जशीट का सामना कर रहे व्यक्ति को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। इनमें रेप, मर्डर, डकैती और किडनैपिंग जैसे मामले शामिल हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने बताया कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को दिया है। इससे पहले, आयोग ने ही छह महीने पहले रिपोर्ट दर्ज होने और कोर्ट से आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने का प्रस्ताव सरकार को दिया था। कुरैशी का कहना है कि विंटर सेशन में चुनाव सुधार पर फैसला नहीं होने से हमें निराशा हुई है, जबकि कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने विश्वास दिलाया था कि पार्टियों की फंडिंग और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के प्रस्ताव इसी सेशन में पास कर दिए जाएंगे। चुनाव सुधार में यही दोनों सबसे अहम मुद्दे हैं। सरकार कहती है कि अपराधियों को रोकने पर आम सहमति नहीं बन रही। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हर पार्टी में ऐसे लोग होते हैं।
कुरैशी ने कहा, 'कोर्ट एक स्वतंत्र संस्था है। वह न्यायिक नजरिए से ही आरोप तय करती है। भले ही वह पहली नजर के आरोप हों, लेकिन उस पर भी आरोपी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। समय सीमा चाहे कोई भी हो, लेकिन शुरुआत जरूर होनी चाहिए।'    

Friday, December 30, 2011

आम बजट पेश होगा 29 फरवरी को ?


सरकार ने संकेत दिया कि पांच राज्यों में चुनाव के बावजूद 2012-13 का आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जा सकता है। बजट निर्माण प्रक्रिया से जुड़े वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 29 फरवरी में बजट पेश करने में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। 
हालांकि अधिकारी का कहना था कि फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। लोकपाल विधेयक से जुड़े मामले से निपटने के बाद सरकार बजट पेश करने की तारीख पर विचार करेगी। 
आम तौर पर बजट फरवरी के आखिरी कामकाजी दिन लोकसभा में पेश किया जाता है। वर्ष 2012 में फरवरी 29 दिन की है और 29 फरवरी कामकाज का दिन है। समझा यह जा रहा है कि पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर - में विधानसभा चुनाव को देखते हुए कें्रद सरकार आम बजट देर से पेश कर सकती है। निर्वाचन आयोग द्वारा तय समयसारिणी के मुताबिक 3 मार्च को गोवा में आखिरी मतदान होना है। मतगणना 4 मार्च को शुरू होगी। 
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भी इससे पहले कहा था कि तय समय पर बजट पेश करने में कोई समस्या नहीं है। मुखर्जी ने कहा था, केंद्रीय बजट आम तौर पर फरवरी आखिरी दिन पेश किया जाता है। गोवा को छोड़कर सभी राज्यों का चुनाव तब तक खत्म हो जाएगा। इसलिए नहीं लगता कि बजट पेश करने में कोई समस्या होगी।
बजट सेशन में लाएंगे लोकपाल बिल : सरकार

नई दिल्ली।। लोकपाल बिल के लटकने के साथ ही अब इस पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। जहां विपक्ष कह रहा है कि आधी रात को लोकतंत्र की हत्या की गई, वहीं सरकार कह रही है कि विपक्ष की वजह से ही राज्यसभा से लोकपाल बिल पास नहीं हो पाया। इस बीच सरकार ने भरोसा दिलाया है कि लोकपाल बिल को निश्चित रूप से बजट सेशन में राज्यसभा से पास कराने की कोशिश की जाएगी। 

 
संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने कहा कि बिल पास हो सकता था लेकिन यह बीजेपी की वजह से लटक गया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की मंशा थी ही नहीं कि यह बिल पारित हो सके। जानबूझकर ज्यादा संशोधन इसलिए लाए गए ताकी लोकपाल बिल पास नहीं हो सके। बंसल ने सफाई दी कि अगर संशोधित बिल भी आता तो भी वह अगले सेशन में ही जाता। 

 
कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने यहां कहा, 'हम इसे निश्चित तौर पर मार्च में बजट सेशन में लाएंगे। हमें विपक्षी दलों द्वारा लाए गए 187 संशोधनों का अध्ययन करना है क्योंकि अधिकतर संशोधन एक-दूसरे से मिलते जुलते हैं। कुछ संशोधन केवल एक हिस्से से संबधित हैं, पूरे खंड से नहीं। कुछ में पूरे विधयेक को ही हटाने की मांग की गई है।' उन्होंने कहा कि संशोधनों का अध्ययन करने के बाद सरकार इस बात पर विचार करेगी कि क्या स्वीकार करना है और क्या खारिज करना है और फिर विपक्षी दलों से बातचीत करेंगे। आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी अगर इसे लोकतंत्र का काला दिन मानती है तो अरुण जेटली को सिर्फ 10 मिनट बोलना चाहिए था। 
कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने यहां कहा, 'हम इसे निश्चित तौर पर मार्च में बजट सेशन में लाएंगे। हमें विपक्षी दलों द्वारा लाए गए 187 संशोधनों का अध्ययन करना है क्योंकि अधिकतर संशोधन एक-दूसरे से मिलते जुलते हैं। कुछ संशोधन केवल एक हिस्से से संबधित हैं, पूरे खंड से नहीं। कुछ में पूरे विधयेक को ही हटाने की मांग की गई है।' उन्होंने कहा कि संशोधनों का अध्ययन करने के बाद सरकार इस बात पर विचार करेगी कि क्या स्वीकार करना है और क्या खारिज करना है और फिर विपक्षी दलों से बातचीत करेंगे। आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी अगर इसे लोकतंत्र का काला दिन मानती है तो अरुण जेटली को सिर्फ 10 मिनट बोलना चाहिए था। 

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि आधी रात के बाद राज्यसभा की कार्यवाही का विस्तार करना संभव नहीं था। उन्होंने सुबह ट्वीट किया, 'चर्चा वाले दिन शाम छह बजे तक 187 संशोधन दिए गए और वे भी एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं। सदन की कार्यवाही का विस्तार करना राज्यसभा के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।' उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास समय है और उसे आम सहमति की कोशिश करते हुए मजबूत लागू करने योग्य लोकपाल विधेयक पारित करना चाहिए।