Friday, September 7, 2012

अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद गहराए

 गांधीवादी व सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल के बीच राजनीतिक पार्टी बनाने के विकल्प को लेकर मतभेद गहरा गए हैं। अन्ना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी अगर चुनाव लड़ते हैं तो वह उनके लिए प्रचार नहीं करेंगे। अन्ना आंदोलन के जरिए सिर्फ जनता को जगाने के पक्ष में हैं, जिससे जनता योग्य उम्मीदवारों को चुनकर संसद और राज्यों की विधानसभाओं में भेज सके।भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे ने गुरुवार को अपनी छह सूत्री रणनीति की घोषणा की। अन्ना के इस ऐलान को आगामी 2 अक्तूबर को नई पार्टी की स्थापना कर दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही टीम केजरीवाल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। केजरीवाल ने फिलहाल इस पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। अन्ना की छह सूत्री रणनीति में साफ छवि के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान, प्रत्याशी खारिज करने का अधिकार पाने के लिए दबाव बनाना पहली प्राथमिकता है। ग्राम सभाओं के अधिकार बढ़ाने, सिटीजन चार्टर, सरकारी कामकाज में लेटलतीफी खत्म करने और पुलिस को लोकपाल या लोकायुक्त के मातहत लाने पर भी उनका जोर रहेगा।दरअसल अन्ना जंतर-मंतर पर आंदोलन खत्म होने के बाद से ही विरोधाभासी बयान देते आ रहे हैं। लेकिन गुरुवार को जारी अपने बयान में अन्ना हजारे ने साफ तौर पर राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने का विरोध किया है। कोल ब्लॉक आवंटन पर अरविंद केजरीवाल के घेराव आंदोलन पर किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद उभरकर सामने भी आ गए। अन्ना ने भी माना है कि दोनों में इस बात पर मतभेद हैं। 

राजनीतिक पार्टी बनाने के सवाल पर टीम अन्ना में गहरे मतभेद हैं। यहां तक कि अन्ना भी इसके लिए खुद को दिल से तैयार नहीं कर पाए हैं। जंतर-मंतर के मंच से राजनीति विकल्प की बात कहने वाले अन्ना अब पार्टी बनाने के खिलाफ बयान दे रहे हैं। यही नहीं, उनका साफ कहना है कि टीम अरविंद अगर चुनाव लड़ती है तो वो उसके लिए प्रचार भी नहीं करेंगे। अन्ना आंदोलन के जरिए सिर्फ जनता को जगाने के पक्ष में हैं। जिससे जनता योग्य उम्मीदवारों को चुनकर संसद और विधानसभाओं में भेज सके।वहीं अन्ना के सहयोगी संजय सिंह ने कहा कि अन्ना के ताजा बयान से भ्रम की स्थिति पैदा होती है। जबकि मयंक गांधी का कहना है कि खुद अन्ना ने महीने भर पहले पार्टी बनाने की बात पर सहमति दी थी, अब ऐसा क्या हो गया कि वे अपने फैसले को बदल रहे हैं।

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