Wednesday, September 5, 2012

गुरु गोविंद दोहू खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय

गुरु गोविंद दोहू खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय' असली मर्म ऐसे ही गुरुओं को समर्पित है।शिक्षक हर व्यक्ति के जीवन में वह इंसान है, जो हमेशा एक पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाता है। वह अपने शिष्य को ऐसे संस्कार और संबल देता है, जिससे जीवन में आने वाले कठिन से कठिन हालात में भी उसका विश्वास नहीं डगमगाता। संत कबीर ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा है, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके 
लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।" गुरु हमेशा से सम्मान के पात्र रहे हैं।
आज देश भर में ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जा रहा है। आधुनिक भारत में गुरुओं को सम्मान देने के लिए विशेष दिवस चुना गया है जिसे ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और इसे भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान स्वरूप मनाय जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को आधुनिक भारत के महान शिक्षकों में से एक माना जाता है।
शिक्षक दिवस वैसे तो पूरे विश्व में मनाया जाता है लेकिन अलग-अलग तिथियों को। भारत में यह दिवस पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पांच सितम्बर को मनाया जाता है। देश में शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा तब शुरू हुई जब डॉ. राधाकृष्णन 1962 में राष्ट्रपति बने और उनके छात्रों एवं मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की उनसे अनुमति मांगी। स्वयं 40वर्षों तक शिक्षण कार्य कर चुके राधाकृष्णन ने कहा कि ‘अनुमति तभी मिलेगी जब केवल मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय देशभर के शिक्षकों का दिवस आयोजित करें।’ उसके बाद से प्रत्येक वर्ष ‘शिक्षक दिवस’ मनाया जाने लगा।
शिक्षक दिवस विभिन्न देशों में अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान और रूस में पांच अक्टूबर, चीन में 10 सितम्बर, अमेरिका में छह मई, ईरान में दो मई, सीरिया, मिस्र, लीबिया और मोरक्को में 28 फरवरी, थाईलैंड में 16 जनवरी, इंडोनेशिया में 25 नवम्बर तथा दुनिया के अधिकांश देशों में पांच अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा है।

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