Tuesday, September 4, 2012

दलितों को प्रमोशन में आरक्षण पर कैबिनेट की मंजूरी


 कैबिनेट ने रिजर्वेशन इन प्रमोशन बिल को हरी झंडी दे दी है। इस बिल को सर्वदलीय बैठक में मुलायम सिंह यादव ने विरोध किया था, जबकि मायावती ने इस बिल का समर्थन किया था। लेकिन आज कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दे दी है। सरकार कल या परसों संसद के पटल पर इस बिल को रख सकती है। बीजेपी ने भी इस बिल का स्वागत किया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कैबिनेट में इस बिल को हरी झंडी मिलने से खुशी जाहिर की है। मायावती ने एनडीए के घटक दलों से अपील की है कि वो संसद में इसके पक्ष में वोटिंग करें। साथ ही माया ने अपील है कि बीजेपी कोयले घोटाले मामले में जो रुख हो वो उनका अधिकार है, लेकिन इस बिल को संसद में समर्थन करें ताकि दलितों को अपना हक मिल सके।गौरतलब है कि इसी साल सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों की पदोन्नति में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कर्मियों के लिए आरक्षण लाभ को निरस्त कर दिया है। सरकारी नौकरियों में पदोन्नति आरक्षण का लाभ उत्तर प्रदेश में पूर्व की बहुजन समाज पार्टी सरकार ने दिया था। न्यायालय के फैसले के बाद बसपा ने सरकारी नौकरियों में एससी एवं एसटी कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण देने के वास्ते संविधान में संशोधन करने की मांग की है। जबकि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) चाहती है कि पदोन्नति में आरक्षण का यह लाभ अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को भी मिले। पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि कोयला घोटाले से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।जबकि एसपी नेता मोहन सिंह ने कहा कि हम भी भी इसका विरोध करेंगे। हम इसके बिल्कुल पक्ष में नहीं है। वहीं राम गोपाल यादव ने कहा कि सरकार कोयला घोटाले से ध्यान भटकाने के लिए ये हथकंडे अपना रही है।बीजेपी ने भी इस बिल का स्वागत किया हैसंविधान संशोधन बिल के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटना चाहती है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरियों में प्रमोशन में एससी-एसटी को आरक्षण देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद से ही बीएसपी के अलावा कई दलों के एससी/एसटी वर्ग के सांसदों ने प्रमोशन में आरक्षण को बहाल करने के लिए सियासी गोलबंदी शुरू की थी। सरकार अनुच्छेद 16(4) से 'पर्याप्त प्रतिनिधित्व' और 355 से 'प्रशासन की कार्यक्षमता बनाए रखने' शब्द हटाने के लिए संविधान में संशोधन करना चाह रही है। यह शब्द सरकारों पर कोटे का औचित्य स्पष्ट करने की जिम्मेदारी डालते हैं।

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