Saturday, September 15, 2012

पांच साल में 8.2 प्रतिशत की विकास दर के लिए सुधार जरुरी - पी एम


12वीं योजना के मसौदे को कुछ संशोधनों के साथ मंजूरी मिल गई। अब संशोधित मसौदे को जल्दी ही मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि अगले पांच साल में 8.2 प्रतिशत की विकास दर पाने के लिए ऐसे कदम उठाने ही होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के फैसलों से अर्थव्यवस्था अब उछाल भरेगी। उसके बाद अगले महीने इसे राष्ट्रीय विकास परिषद [एनडीसी] की बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।12वीं योजना के मसौदे को मंजूरी देने के लिए बुलाई गई पूर्ण योजना आयोग की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए आर्थिक विकास की दर का लक्ष्य नौ प्रतिशत से घटाया गया है  निवेश बढ़ाकर लक्ष्य को पाया जा सकता है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ऊर्जा नीति की व्यापक समीक्षा की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि ऊर्जा एक मुश्किल क्षेत्र है। हमारे पास ऊर्जा क साधनों की कमी है और आयात पर निर्भरता बढ़ रही है। इसलिए अब जरूरी है कि ऊर्जा उत्पादों का घरेलू उत्पादन बढ़े। बुनियादी ढांचे के विकास को वक्त की जरूरत बताते हुए प्रधानमंत्री ने संबंधित मंत्रालयों से कहा कि वे 12वीं योजनावधि में बड़े लक्ष्य निर्धारित करें और उन तक पहुंचने के उपाय ढूंढे़। प्रधानमंत्री ने योजना आयोग को बुनियादी क्षेत्र के लक्ष्यों की तिमाही आधार पर समीक्षा करने के निर्देश भी दिए। वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये अल्पकालिक दिक्कतें हैं। आने वाले समय में हमारी प्रगति की संभावनाओं को लेकर इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर इस बात पर होना चाहिए कि कैसे वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास की रफ्तार को तेज किया जा सकता है। इसके बाद हमें योजनावधि के अंत तक विकास की दर को नौ प्रतिशत तक ले जाने के प्रयास करने चाहिए। बैठक में योजना आयोग के सदस्यों के अलावा सभी मंत्रिमंडल के अधिकांश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। 12वीं योजना में 8.2 प्रतिशत की विकास दर का लक्ष्य तय किया गया है। 11वीं योजना में देश की आर्थिक विकास दर 7.9 प्रतिशत रही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2008-09 और 2011 के वैश्विक वित्तीय संकट की स्थिति को ध्यान में रखते हुए 11वीं योजना की 7.9 प्रतिशत की विकास दर भी काफी बेहतर कही जाएगी।

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