Tuesday, September 11, 2012

पत्रकार अपनी लक्ष्मण रेखा खुद तय करे - सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली। अदालत में लंबित मामलों की रिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है।खंडपीठ ने कहा कि अदालती मामलों की रिपोर्टिंग करते वक्त पत्रकारों को भी अपनी लक्ष्मण रेखा खुद समझनी चाहिए और अगर वो लक्ष्मण रेखा को क्रास करेंगे तो कोर्ट की अवमानना हो सकती है। इसलिए पत्रकार खुद अपनी लक्ष्मण रेखा बनाएं। संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं न्यायमूर्ति डी पी जैन, न्यायमूर्ति एस एस निज्जा, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति जे एस केहर। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अदालत चाहे तो कोर्ट रिपोर्टिंग पर रोक लगा सकती है, लेकिन ये छोटे वक्त के लिए होगा। अदालत ने तर्क दिया है कि अगर रिपोर्टिंग से चल रहे मामले में व्यवधान होती है तो ऐसे मामलों में मीडिया रिपोर्टिंग पर कुछ वक्त के लिए रोक लगाई जा सकती है। अदालत ने ये भी कहा है कि कोर्ट खबर तय नहीं कर सकता।खंडपीठ ने कहा कि अदालती मामलों की रिपोर्टिंग करते वक्त पत्रकारों को भी अपनी लक्ष्मण रेखा खुद समझनी चाहिए और अगर वो लक्ष्मण रेखा को क्रास करेंगे तो कोर्ट की अवमानना हो सकती है। इसलिए पत्रकार खुद अपनी लक्ष्मण रेखा बनाएं। संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं न्यायमूर्ति डी पी जैन, न्यायमूर्ति एस एस निज्जा, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति जे एस केहर। मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने लंबित अदालती मामलों खासकर आपराधिक मामलों की रिपोर्टिंग पर लंबे समय तक रोक लगाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि किसी मामले में पीड़ित पक्ष के आग्रह पर कुछ समय के लिए रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जा सकती है। साथ ही अदालत ये भी कहा है कि किसी खबर की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का काम सिर्फ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तय कर सकता है।

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