Tuesday, September 11, 2012

कोयला आवंटन घोटाले में सहाय और जायसवाल कि छुट्टी हो सकती है


नई दिल्ली। सोनिया गाँधी के देश वापसी के साथ ही कोयले की कालिख साफ करने का कांग्रेस का अभियान शुरू हो गया है इस कड़ी में मंत्री सुबोध कांत सहाय और  कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल को इस्तीफा देने के संकेत दे दिए गए हैं .दोनों मंत्री आज कल में इस्तीफा दे सकते हैं . काग्रेस नेतृत्व कोल ब्लॉक आवंटन में हुए घोटाले के  विवाद को बढ़ते देख काग्रेस हाई कमान  को यह अहसास हो रहा है कि सहाय को ज्यादा दिन तक बनाए रख पाना संभव नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि कोलगेट विवाद में फंस चुके काग्रेसी नेताओं जैसे- विजय दर्डा, नवीन जिंदल, पूर्व कोयला राज्यमंत्री संतोष बागरोडिया के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।सहाय और जायसवाल के अलावा जिन काग्रेसी नेताओं पर कोलगेट की गाज गिर सकती है, उसमें सीबीआई की एफआईआर में नाम आने वाले राज्यसभा सासद विजय दर्डा शामिल हैं। हालाकि दर्डा के खिलाफ सीबीआई ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया है। दर्डा का नाम कोलगेट में फंसी जेएलडी एनर्जी से जुड़ा है, जिसमें मनोज जायसवाल को फायदा पहुंचने की बात है। वहीं, जिंदल पावर लिमिटेड को कोयला ब्लॉक आवंटन से सबसे ज्यादा फायदा होने पर घिरे काग्रेसी नेता नवीन जिंदल विपक्ष के निशाने पर तो हैं ही, टीओआई को मिली रिपोर्ट के अनुसार जिंदल काग्रेस नेतृत्व के सवालों से भी घिर गए हैं। जिंदल की कंपनी को सस्ता कोयला दिया गया, लेकिन इसके बदले कंपनी ने उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली नहीं दी। इस पर काग्रेस पार्टी उनसे जवाब माग सकती है।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री सहाय ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर एसकेएस इस्पात ऐंड पावर को कोल ब्लॉक देने की सिफारिश की थी। इस चिट्ठी के मिलने के अगले दिन ही पीएमओ की अनुशसा पर कंपनी को दो कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिए गए थे। एसकेएस इस्पात में सुबोध कात सहाय के भाई सुधीर कात सहाय डायरेक्टर हैं। पयर्टन मंत्री हितों में टकराव की बात से इनकार नहीं कर सकते। हालाकि कोयला मंत्री जायसवाल पर हितों के टकराव की बात सीधे-सीधे साबित नहीं हो पाई है, लेकिन काग्रेस नेतृत्व को यह लगता है कि कोयला मंत्री के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं है कि उनके कार्यकाल में कैसे कोयला ब्लॉक आवंटित होते रहे यहा तक कि 2010 में भी। हालाकि इस बारे में वह अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं कि उनके कोयला मंत्री बनने से पहले स्क्रिनिंग कमैटी के फैसले से कोल ब्लॉक आवंटित किए गए थे, लेकिन उनके इस जवाब से काग्रेस नेतृत्व संतुष्ट नहीं है।

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