Monday, December 26, 2011

धरने से पहले अन्ना टीम का एक और अल्टीमेटम , पी एम् को लिखी चिठ्ठी


लोकपाल के मुद्दे पर अनशन शुरू किए जाने के पहले अन्ना हजारे के सहयोगियों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है. ये चिट्ठी इंडिया अगेंस्ट करप्शन की ओर से सांसदों को भी भेजी गई है. जिसमें टीम अन्ना ने चार प्रमुख मांगों का ज़िक्र किया है.प्रधानमंत्री और सांसदों के सामने टीम अन्ना ने चार मांगें उठाई हैं. बाक़ायदा चिट्ठी लिख कर टीम अन्ना ने मजबूत लोकपाल पास करने की अपील की है.पहली मांग: जांच के अधिकार --- टीम अन्ना का कहना है कि लोकपाल के पास बिना शिकायत के जांच का अधिकार हो जबकि सरकार का रुख है कि शिकायत के बाद ही जांच होगी. टीम अन्ना चाहती है कि पहली जांच में आरोपी का पक्ष न सुना जाए जबकि सरकार चाहती है कि प्रारंभिक जांच में आरोपी का पक्ष सुना जाए. दूसरी मांग: जांच के तरीके -- टीम अन्ना लोकपाल के पास जांच का पूरा अधिकार चाहती है जबकि सरकार का रुख है कि जांच का अधिकार सीबीआई के पास रहे. टीम अन्ना चाहती है कि अगर लोकपाल को जांच का पूरा अधिकार न मिले तो सीबीआई का एंटी करप्शन विंग लोकपाल के दायरे में रहे जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती. टीम अन्ना चाहती है कि लोकपाल के पास जांच के लिए अपनी पुलिस हो लेकिन सरकार को ये मंज़ूर नहीं.टीम अन्ना चाहती है कि सीबीआई पर से राजनीतिक नियंत्रण खत्म हो जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. तीसरी मांग: लोकपाल के चयन --टीम अन्ना चाहती है कि लोकपाल के चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के जज, सीएजी, सीवीसी और मुख्य चुनाव आयुक्त भी शामिल हों. जबकि सरकार चाहती है कि केवल प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के जज बहुमत से लोकपाल का चुनाव करें.चौथी मांग: ग्रुप 'सी' और ग्रुप 'डी' -- अन्ना ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों को सीधे लोकपाल के दायरे में लाना चाहते हैं जबकि सरकार चाहती है कि लोकपाल ग्रुप सी और डी की प्रारंभिक जांच तो करे लेकिन पूरी जांच सीवीसी करे.

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